विद्यार्थी आए ही नहीं, उनके लिए खरीद ली 9.16 लाख की सामग्री, रजिस्टर में व्हाइटनर लगाकर स्टॉक शून्य बताया
काेविड के दाैर में एक अाैर कारनामा सामने अाया है। इस बार कमीशन की हेराफेरी के लिए बच्चाें का उपयाेग किया गया। काेविड में अावासीय विद्यालय में एडमिशन ही नहीं हुए। छात्रावास खुले ही नहीं अाैर बच्चाें के नाम पर 9.16 लाख रुपए की शैक्षणिक सामग्री खरीद कर ली गई। 500 बच्चाें के लिए 18 हजार पेन, एक अन्य तरह के 2800 पेन, 2500 पैंसिलें सहित कई सामग्री खरीदी गई। यह पूरा मामला है बांसवाड़ा जिले के खाेडन स्थित डाॅ. भीमराव अंबेडकर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक अावासीय विद्यालय का। अाैर इस गड़बड़ी के दाैरान वहां कार्यवाहक प्रिंसिपल थे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, बांसवाड़ा के अतिरिक्त निदेशक अशिन शर्मा। अावासीय विद्यालय के रिकाॅर्ड के अवलाेकन से पता चला कि बजट की इस राशि में अधिकांश खरीद केवल कागजों में की गई। पिछले साल के बकाया सामान काे स्टाॅक रजिस्टर में काटछाट और व्हाइटनर लगाकर शून्य दिखा दिया गया अाैर नई खरीद दिखा दी गई। एेसा कई सामग्रियाें में हुअा। अब यहां सरकारी काम की रफ्तार भी देखिए। 28 मई काे सामग्री खरीद के कार्यादेश हुए अाैर 6 जून काे सामग्री खरीदकर 8 जून काे संबंधित फर्माें काे 9.16 लाख की राशि का भुगतान कर दिया गया। मामला निदेशालय तक भी पहुंच चुका है। निदेशक अाेमप्रकाश बुनकर ने इस इस मामले में गंभीर वित्तीय अनियमितता एवं राजकीय धनराशि का दुरुपयाेग मानते हुए सहायक निदेशक अशिन शर्मा काे राजस्थान सिविल सेवा नियम 1955 के नियम 16 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए 24 सितंबर 2020 काे नाेटिस भी जारी िकया। उनसे इस मामले में 15 दिनाें में स्पष्टीकरण मांगा गया था। हालांकि बताया जा रहा है कि अब इस मामले काे दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
कमीशन के लिए... स्कूल ड्रेस बदलने की अाशंका थी ताे 1.70 लाख के अंडरगारमेंटस खरीदे
खाेडन अावासीय विद्यालय में 500 विद्यार्थियाेें की क्षमता है। उनके लिए 15 हजार पेन, एक अन्य तरह के 2800 पेन, 5 हजार रबड़, 2500 पेंसिलें, 500 व्हाइटनर, 500 पैकेट स्केच कलर अादि सामग्री खरीद ली गई। यहां भ्रष्टाचार का खेल देखिए। विद्यालय में एडमिशन नहीं हुए थे, वहीं स्कूल ड्रेस बदलने की अाशंका थी। एेसे में कमीशन पाने का नया तरीका खाेज लिया गया। स्कूल ड्रेस नहीं खरीद पा रहे थे ताे खादीघर, बांसवाड़ा से छात्राअाेंे के लिए बिना अावश्यकता व नाप के 1 लाख 70 हजार रुपए की 1 हजार अंडरवियर व 1 हजार समीज खरीद ली गई। जबकि नियमाें के तहत विद्यालय में अध्ययन कार्य प्रारंभ हाेने व छात्राअाें की उपस्थिति के बाद वास्तविक जरूरत का अांकलन करने के उपरांत उनके नाप के अनुसार ही उक्त खरीद की कार्यवाही हाेनी थी। सरकारी विभागाें की खरीद के लिए राजस्थान उपायन में पारदर्शिता नियम 2013 के नियम 32 के तहत खादीघर से सीधे सामान खरीद किए जाने का प्रावधान नियमाें में है ही नहीं।
इतनी जल्दबाजी... 10 दिन में खरीद की प्रक्रिया पूरी कर भुगतान भी कर दिया
सहायक निदेशक अशिन शर्मा के पास 29 जून 2019 से 7 जुलाई 2020 तक अावासीय विद्यालय खाेड़न के तत्कालीन प्रधानाचार्य तथा अाहरण वितरण अधिकारी का चार्ज भी था। कुछ माह पहले विभाग की अाेर से यहां प्राचार्य पद पर शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई। इसकी भनक लगने पर तुरत-फुरत वर्ष 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के लिए अावंटित हुए बजट में से लगभग 9 लाख रुपए के खरीद की अाैपचारिकताएं पूरी कर ली। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के विद्यार्थियाें के लिए 26 मई 2020 काे शैक्षणिक सामग्री के खरीद की प्रक्रिया प्रारंभ की। दाे दिन बाद 28 मई काे इसके लिए कार्यादेश जारी हुए। 6 जून काे सामग्री खरीद ली गई व इसके दाे दिन बाद 8 जून काे संबंधित फर्माें काे 9.16 लाख की राशि का भुगतान कर दिया गया।
सहायक निदेशक अशिन शर्मा के झूठे तर्क
1. खरीद की प्रक्रिया 26 मई काे शुरू की, छात्रावास में उस समय तक हाे चुके थे 530 एडमिशनहकीकत: विभाग के जयपुर स्थित निदेशालय से 18 मई 2020 काे अादेश क्रमांक 28492 जारी हुअा था। जिसमें अाॅनलाइन प्रवेश की प्रक्रिया 20 मई 2020 काे शुरू हाेनी थी। जिसकी प्रथम वरीयता सूची 19 जून 2020 काे जारी हाेनी थी। इस सूची में नामांकित विद्यार्थियाें काे सात दिनाें के भीतर यानि 26 जून 2020 तक प्रवेश लेना था।
2. स्टाॅक रजिस्टर के पेजाें पर व्हाइटनर लगा कर अंत में स्टाॅक शून्य दिखाने की जानकारी पर अनभिज्ञता जताईहकीकत: हर पेज पर हर एंट्री के बाद सहायक निदेशक के बताैर प्रधानाचार्य हस्ताक्षर किए हैं। अंत में जहां स्टाॅक शून्य दिखाया गया। वहां भी सहायक निदेशक शर्मा के हस्ताक्षर हैं। एेसे में उनका यह कहना गलत है िक उन्हें जानकारी नहीं। उनके कार्यकाल में अाॅफिस इंचार्ज का काम देखने वाले शिक्षक जिन्हाेंने यह स्टाॅक रजिस्टर संधारित िकया। उन्हें अावासीय विद्यालय से वापस उनके मूल शिक्षा विभाग में भेजा जा चुका है।
3. सरकार ने 24 अप्रैल काे 34 लाख का बजट अावंटित किया था। मैंने उसमें से केवल 5 लाख ही खर्च किया
हकीकत: सरकार के बजट जारी करने के एक माह के भीतर ही 9 लाख 16 हजार की सामग्री खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर ली। 6 जून तक खरीद पूरी कर भुगतान भी कर दिया गया। इसके एक माह बाद ताे सहायक निदेशक से कार्यवाहक प्रधानाचार्य का चार्ज ही वापस ले लिया गया।
4. नियम अाैर डिमांड के अाधार पर खरीद की गई
हकीकत: विभागीय परिपत्र के अनुसार अावासीय विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति पिछले माह में व्यय की गई राशि और तद्नुसार िरकाॅर्ड संधारण की समीक्षा करेगी। इस खरीद प्रक्रिया के बारे में इस समिति काे ऐसी काेई जानकारी नहीं है।