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5.23 करोड़ के 10 लाख 56 हजार 417 स्टांप बेचे, फोटोकॉपी से फर्जी स्टांप बनाकर भी बेचे

Banswara
5.23 करोड़ के 10 लाख 56 हजार 417 स्टांप बेचे, फोटोकॉपी से फर्जी स्टांप बनाकर भी बेचे
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जिला कोष कार्यालय के स्ट्रांग रूम में 5.23 करोड़ रुपए के स्टांप चोरी मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है।  पड़ताल में सामने आया कि स्ट्रॉन्ग रूम से 10 लाख 56 हजार 417 स्टांप चोरी हुए थे। इतना ही नहीं इन चुराए स्टांप को बेचने के लिए आरोपी कैशियर नारायण यादव ने दो से तीन वेंडर से मिलकर एक गिरोह बना लिया था। जिनकी मदद से यह स्टांप सीधे ग्राहकों को बेच रहे थे। पुलिस ने इनके पास से एक प्रिटिंग मशीन जब्त की है।

आशंका है कि आरोपियों ने रंगीन फोटो कॉपी व प्रिंटर मशीन से फोटो कॉपी करा कर फर्जी स्टांप बनाकर भी करोड़ों रुपए कमाए हैं। हालांकि पुलिस ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। इन खुलासों के बाद पुलिस ने अपनी जांच और तेज कर दी और बुधवार को 5 और संदिग्धों से पूछताछ की। ऐसे में स्टांप चोरी प्रकरण में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। आरोपी यादव और वेंडर आशीष जैन से पूछताछ की जा रही है। { आरोपी कितने साल से स्टांप बेच रहा है?

{ स्ट्रॉन्ग रूम से स्टांप चुराकर किसे और कितने में बेचे? { गबन में कितने वेंडर व कर्मचारी शामिल हैं? { फोटो कॉपी- प्रिटिंग मशीन से कितने फर्जी स्टांप प्रिंट कराकर बेचे? कोष कार्यालय में कैशियर नारायणलाल का काफी होल्ड था। स्टांप लेने जाने से लेकर उनका रिकॉर्ड संधारण का पूरा जिम्मा उसीका था। नियमानुसार हर महीने स्टांप स्टॉक और बिक्री का वैरिफिकेशन रिपोर्ट बना विभाग को भेजी जाती है। जिस पर ट्रैजरी ऑफिसर (टीओ) के दस्तखत होते हैं। स्टॉक मैंटेनेंस और रिकॉर्ड संधारण की जिम्मेदारी कैशियर के बाद एएओ की है, लेकिन लंबे समय से स्टांप चुराकर बेचने के इस गबन के बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया।

ऐसे में गबन के दौरान जो भी अफसर रहे वह भी जिम्मेदार हैं। आरोपी सहायक प्रशासनिक अधिकारी नारायणलाल यादव दो प्रमोशन लेकर इस पद पर पहुंचा है। सरकारी नौकरी की शुरुआत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से की। इसके बाद एलडीसी और फिर यूडीसी बना। बाद में डेपुटेशन पर जिला कोष कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त हुआ। ऐसे में पदोन्नति, मोटी तनख्वाह और प्रशासनिक रूतबे के बावजूद करोड़ों के मूल्य के स्टांप पर नियत बिगड़ गई। बांसवाड़ा शहर में एक महीने में करीब 60 लाख रुपए तक के स्टांप की बिक्री होती है, जबकि स्ट्रॉन्ग रूम से 5.23 करोड़ से भी ज्यादा कीमत के स्टांप चोरी हुए हैं।

स्टांप स्ट्रांग रूम में डबल लॉक में कड़ी निगरानी में रखे जाते हैं। कैशियर साल 2018 में कोष कार्यालय में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में लगा। इसके बाद से ही वह मौका मिलने पर समय-समय पर स्टांप चुराता रहा। शुरुआत के कुछ सालों में उसने कुछ स्टांप भी चुराए। जब उसे अच्छा पैसा मिलने लगा तो उसने धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ाई। इसके लिए उसने पहले दो-तीन वेंडर को इस काम के लिए राजी किया। इसके बदले वह वेंडरों को कमीशन भी देता था। अब तक विभागीय ऑडिट में ढीलाई या कमजोर निगरानी व्यवस्था के कारण यह कारस्तानी पकड़ में नहीं आ पाई। आरोपी नारायणलाल 2030 में सेवानिवृत्त होने वाला है।

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