2 लोगों को तेलंगाना में ट्रेनिंग दी, 75 लाख के जाली नोट छापे उनका मुनाफा देख खुद ही छापने लगे, विदेशी नेटवर्क से जुड़ाव

प्रियंक भट्ट | बांसवाड़ा
तेलंगाना में जाली नोट (फेंक करंसी) छापकर देश को आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले अंतरराज्यीय सिंडिकेट का खुलासा हुआ है। गिरोह ने मोटे मुनाफे का लालच देकर बांसवाड़ा के आदिवासियों को अपने साथ जोड़ा। इन्हें नोट छापने की ट्रेनिंग दी। इसके बाद इन्हीं के जरिए इन नोटों को बाजार तक पहुंचाने के लिए पूरा सिंडिकेट खड़ा कर दिया। अकेले तेलंगाना में ही 75 लाख के, झालोद में 4 लाख और बांसवाड़ा में 3.61 लाख जाली नोट छापकर अपने साथियों की मदद से बाजार में सप्लाई किए गए।
लैपटॉप और प्रिंटर की मदद से 500, 200 व 100 के हूबहू दिखने वाले नोट छाप रहे थे। पूरे सिंडिकेट को मास्टरमाइंड कर्नाटक के रायपुर, मूकरमगंज का हुसैन पीरा पुत्र ओसमान साब नाम का व्यक्ति ऑपरेट कर रहा है। तेलंगाना में इसी के फ्लैट में बांसवाड़ा के दो व्यक्तियों को ट्रेनिंग दी गई। पुलिस को इसकी तलाश है। सिंडिकेट के अब तक 11 बदमाश गिरफ्तार हो चुके हैं। इनसे एक लेपटॉप, 3 प्रिंटर और 3.61 लाख के जाली नोट बरामद किए जा चुके हैं। जांच में गुजरात, राजस्थान और तेलंगाना में जाली नोट छापने का खुलासा है।
पुलिस कड़ी से कड़ी मिलाते हुए सिंडिकेट के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। जांच में सिंडिकेट ढाई से तीन साल से ऑपरेट हो रही है। विदेशी एजेंसी की भूमिका की भी संभावना के कारण इस एंगल पर जांच की जा रही है। जाली नोट छापने में जब सल्लोपाट के खुंटागलिया के कमलेश तंबोलिया का नाम सामने आया तो काफी तलाश के बाद भी कमलेश नहीं मिला। इस पर पुलिस को सूचना मिली कि उसकी पत्नी निजी अस्पताल में नर्सिंगकर्मी है और वह उसे मिलने जा सकता है। इस पर पुलिसकर्मी सादे कपड़ों में मरीज बनकर अस्पताल पहुंचे। इसी तरह झालोद के सुखलाल सिंगाड़ा ठेकेदारों को श्रमिक उपलब्ध कराता है।
पुलिस ने उस तक पहुंचने के लिए ठेकेदार बनकर उसके परिचितों से श्रमिकों के बारे में बात की। बड़ी साइट पर ज्यादा श्रमिकों की मांग होने की जानकारी मिलने पर सुखलाल पुलिसकर्मी को ठेकेदार समझकर खुद ही उनके पास आ गया। मौका देख पुलिस ने उसे पकड़ लिया। एसपी हर्षवर्धन अग्रवाला ने बताया कि जाली नोट का सिंडिकेट काफी सक्रिय है। हमारी टीम 11 आरोपी गिरफ्तार कर चुकी है और बाकियों को भी जल्द पकड़ा जाएगा। लोगों से अपील है कि अगर अनजाने में उनके पास जाली नोट आ जाए तो वह नजदीकी पुलिस स्टेशन या बैंक में जानकारी दें। आनंदपुरी के धुलियागढ़ का महेश कटारा, जुनी टिंबी का सुनील खिहुरी, सल्लोपाट के खुटा गलिया का रमेश निनामा, कमलेश तंबोलिया, सुखराम तंबोलिया, आंबापुरा के बोरपाड़ा का वारजी डोंेडियार, नरसिंह मईड़ा, वगेरी हरेंग का रमेश सारेल, आनंदपुरी के कुंडा का जयंती बारिया, कलिंजरा के बिछावाड़ा का नरबू हाड़ा और झालोद के ठेरका रुंडी का सुखलाल सिंगाड़ा पुलिस गिरफ्त में आ चुके हैं। इस पूरे सिंडिकेट के खुलासे के लिए सीआई कपिल के साथ 10 जवानों की टीम जुटी हुई है।
जांच अधिकारी सीआई कपिल पाटीदार बताते हैं कि दिवाली से पहले झालोद की अनाज मंडी में हुसैन पीर, सुखलाल, सुखराम और कमलेश मिले। जहां जाली नोट छापने की प्लानिंग तैयार की गई। इसके तहत किसी ने लैपटॉप तो किसी ने प्रिंटर और किसी ने कागज लाने का जिम्मा संभाला। बाद में झालोद में सुखलाल के घर 4 लाख के जाली नोट छापे।
जहां पर हुसैन पीर दो दिन रुका, लेकिन दिवाली के बाद हुसैन ने कमलेश और सुखराम को हैदराबाद में अपने फ्लेट पर बुलाया। इस पर कमलेश और सुखराम राजी हो गए। दोनों को मुंबई से लेने के लिए हुसैन पीरा ने अपनी कार भी भेजी। जहां एनी डेस्क एप के जरिये दोनों को जाली नोट प्रिंट करने और उसमें थ्रैड (चमकीली हरी पट्टी) लगाने की ट्रेनिंग दी गई। दोनों हुसैन के फ्लेट पर 20 से 25 दिन ठहरे और 75 लाख के जाली नोट छापे। बाद में हुसैन ने दोनों को 30 हजार रुपए और थ्रैड देकर वापस भेज दिया। दरअसल, आनंदपुरी पुलिस को व्यापारियों से बाजार में जाली नोट आने की लगातार शिकायतें मिल रही थी। पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो आनंदपुरी के धुलियागढ़ के महेश कटारा पर संदेह गहराया। पुलिस ने 7 दिन तक महेश पर नजर रखी। महेश के घर में बड़ी मात्रा में जाली नोट होने की पुख्ता सूचना पर 18 मार्च को पुलिस ने दबिश दी। जहां से 1.39 लाख के जाली नोट बरामद हुए थे।
महेश ने पूछताछ में कबूला कि उसने अपने दोस्त सुनील खिहुरी के घर धुलियागढ़ में 3 लाख के जाली नोट छापे, लेकिन क्वालिटी सही नहीं थी। महेश ने खुंटागलिया के रमेश निनामा से संपर्क किया। रमेश ने बताया कि दाहोद सुखलाल सिंगाड़ा और खूंटा गलिया के कमलेश के पास अच्छी क्वालिटी के नोट मिल जाएंगे। बाद में रमेश ने ही महेश को 1 लाख के बदले 2 लाख के जाली नोट लाकर दिए थे। इसके बाद पुलिस ने सुखलाल और कमलेश को भी गिरफ्तार किया तो इस पूरे सिंडिकेट का पर्दाफाश हो गया।
हैदराबाद से लौटने के बाद कमलेश को लगा कि वह खुद ही जाली नोट बनाने लगे तो जल्द ही अमीर बन जाएगा। इस पर उसने सुखराम के साथ मिलकर दाहोद में कमलेश के किराए के मकान में 5 लाख के नोट छापे। इन्हीं में से 2 लाख के जाली नोट बाद में रमेश के मार्फत महेश को 1 लाख के बदले बेचे गए थे, बाकी 3 लाख सुखराम ने खुद अपने पास रख लिए थे। पुलिस ने जब सुखराम को गिरफ्तार किया तो उसके कब्जे से 2.15 लाख के जाली नोट भी बरामद कर लिए।
