प्रत्यक्षदर्शी: जलते हुए युवक को दौड़ते देखा, हम तो अगरबत्ती का गोदाम समझते थे
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बांसवाड़ा रीको औद्योगिक क्षेत्र पीपलवा में गुरुवार दोपहर 2:15 बजे अवैध रूप से संचालित पटाखा फैक्ट्री में आग लग गई। धुआं उठता देख मदद के लिए पहुंचे लोगों और पुलिस ने दीवार तोड़कर दंपती और दो बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इसी दौरान दूसरे कमरों की जांच के दौरान एक धमाका हुआ, इसकी वजह से मदद के लिए पहुंचे 14 लोग झुलस गए।
सभी को एमजी अस्पताल ले जाया गया। यहां प्राथमिक उपचार के बाद 3 की हालत गंभीर होने पर उदयपुर रेफर कर दिया। आग इतनी जबरदस्त लगी थी कि धुआं 2 किलोमीटर दूर से दिखाई दे रहा था। 9 दमकलों की मदद से 2 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। सूचना पर कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव और एसपी हर्षवर्धन अगरवाला भी मौके पर पहुंचे। आग लगने की वजह फिलहाल साफ नहीं है।
अवैध फैक्ट्री रीको ऑफिस से करीब 200 मीटर दूर ही चल रही थी। रोड नंबर एक पर स्थित इस गोदाम में तीन कमरों का एक पक्का भवन है, पास ही टीनशेड बने हुए हैं। सामने की तरफ चौकीदार और अन्य स्टाफ के लिए छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं। पहले सामने बने बड़े भवन में आग लगी। धुआं उठता देख आसपास के लोग पहुंचे। भवन में दंपती और दो बच्चों के फंसे होने की सूचना पर पुलिस ने जेसीबी से दीवार तुड़वाकर सर्च शुरू किया।
हालांकि भीतर कोई नहीं मिला। इसी बीच कुछ लोग मदद के लिहाज से पतरे और मलबा हटा रहे थे, तभी टीनशेड में बड़ा धमाका हुआ तो सभी गोदाम परिसर से बाहर भागने लगे। मददगार और फोटो खींच रहे कुछ लोग झुलस गए। एक युवक बुरी तरह झुलस गया। उसके कपड़ों में आग लग गई। वह मदद के लिए दौड़ते हुए पास के प्लॉट में पहुंचा। जहां से उसे अस्पताल ले जाया गया। फैक्ट्री में मिले पटाखों के खोल। विस्फोट के बाद बचकर भागते लोग।
रीको औद्योगिक क्षेत्र पीपलवा के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक वीएस निमेश ने बताया कि प्लॉट 15 जनवरी, 2007 में मैसर्स अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी को ट्रांसफर किया था। कंपनी प्रो. निर्मला देवी पत्नी अशोक अग्रवाल की है। कंपनी का काम मार्बल चिप्स एंड पाउडर का है। इसकी आड़ में अवैध पटाखा फैक्ट्री चला रहे थे। मौके से पटाखों के फार्मा भी बरामद हुए हैं।
अग्रवाल ने इसे किसी सोनू सिंधी नाम के व्यक्ति को किराए पर दे रखा था। यहां बने तीन पक्के और दो पतरों के टीनशेड में भारी मात्रा में पटाखें और बारूद जमा कर रखा था। पटाखा गोदाम बनाने की सूचना कार्यालय में नहीं दी थी। रीको प्रबंधन ने दोनों के खिलाफ कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई है। वहीं प्लॉट आवंटन निरस्त करने के लिए भी नोटिस जारी किया है। सूत्रों के अनुसार फैक्ट्री में कई छोटे छोटे बच्चों से भी काम करवाया जाता था। उनके साथ मारपीट भी होती थी । हादसे के वक्त अशोक माली ने बताया कि धुआं उठते देख मौके पर गए। अशोक बताते हैं कि पुलिस और 50 से 60 लोग रेस्क्यू में जुटे थे। मैं भी मदद के लिए पतरे हटाने लगा। एक भवन में लगी आग पूरी तरह बुझ चुकी थी। तभी, पास के टीनशेड में भीषण धमाका हो गया। मैं किसी तरह दौड़कर सड़क पर आया गया। कुछ देर तो सुनाई देना ही बंद हो गया। इसी दौरान मैंने पास के प्लॉट में एक जल रहे युवक को दौड़ते देखा तो होश उड़ गए।
एक के बाद एक 8 से 10 लोग झुलस गए, लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों को तत्काल एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाया। विस्फोट हो गया। को दौड़ते देखा। इधर, एक श्रमिक ने बताया कि वह इसे अगरबतती का गोदाम समझ रहे थे। (विस्तृत खबर पेज|20 पर) क्या रीको कार्यालय से 200 मीटर दूर फैक्ट्री के अफसर कभी निरीक्षण करने नहीं गए या फिर गए होंगे, लेकिन सब कुछ जानकर भी अनजान बने रहे? जितनी ज़िम्मेदारी फैक्ट्री मालिक की बनती है, उतनी ही रीको के अफसरों की भी बनती है। इसलिए इन पर भी मुकदमा होना चाहिए।