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काेराेना में स्टेरॉयड के उपयोग से 15% लोगों में बढ़ा फेफड़ों का संक्रमण, 12% में डायबिटीज

Banswara
काेराेना में स्टेरॉयड के उपयोग से 15% लोगों में बढ़ा फेफड़ों का संक्रमण, 12% में डायबिटीज
@HelloBanswara - Banswara -
  • स्वास्थ्य दिवस पर 4 डॉक्टर्स का 2000 मरीजों पर अध्ययन, 30% लोगों में सांस फूलने, लगातार खांसी आने, डायबिटीज और हार्ट डिजीज जैसी कई बीमारियां बढ़ी

आज स्वास्थ्य दिवस है। काेराेना ने सेहत की पूरी दुनिया बदली है। अब हमें ज्यादा सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि-कोरोना ने हमें और ज्यादा बीमारी बनाया तो हमें हेल्थ को लेकर जागरूक भी किया है। दैनिक भास्कर ने 4 डाॅक्टर्स के साथ मिलकर 2000 मरीजों पर एक महीने तक रिसर्च की। 2 साल के मुकाबले अब कोरोना मरीज जो ठीक हो गए, उनमें 30 प्रतिशत से भी ज्यादा बीमारियां बढ़ गई है। इसमें सांस फूलना, खांसी का बंद नहीं होना, डायबिटीज का असर, दिल की बीमारी अलावा मानसिक रोग में भी वृद्धि हुई, जिसमें युवा में ज्यादा असर हुआ है।

फेफड़ों के संक्रमण में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ गया है। चौंकाने वाला यह है कि कोरोना में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से डायबिटीज वाले मरीजाें की संख्या में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे-5 के आंकड़े बताते हैं कि 21 पुरुष व 17 प्रतिशत महिला डायबिटीज की समस्या से जूझ रही है। जबकि 15-16 में यह संख्या 15 और 12 प्रतिशत के बीच थी। 17.1 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन की समस्या से परेशान हैं।

नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे-5% मानसिक बीमार, मास्क लगाकर ही सो जाते हैं

1. कोरोना ठीक हो गया, लेकिन सांस अब भी फूल रही है, दवाएं बंद नहीं हुई
धरमेश (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वह बैंक में काम करते हैं। कोरोना होने पर 7 दिन अस्पताल में भर्ती रहे। ठीक होने के 3-4 महीने बाद भी खांसी ठीक नहीं हुई। फेफड़ों में संक्रमण की बीमारी बताई। लगातार खांसी चलती है और सांस फूलती है।

2. कोरोना के बीच में ही डायबिटीज भी हो गई
68 वर्ष की ममता (बदला हुआ नाम) को कोरोना होने पर आईसीयू में भर्ती हुई। पहले डायबिटीज नहीं थी। इलाज के बाद डायबिटीज का पता चला। शुगर लेवल 4-50 आ रहा था।​​​​​​​

3. कोरोना काल में मानसिक बीमार हुआ, डरावने सपने आते हैं
40 साल के हर्ष (बदला हुआ नाम) मानसिक बीमारी है। हर्ष के परिवार ने बताया की हर्ष को कोरोना भी नहीं हुआ था, लेकिन आस-पास में हो रही मौतों से डरता रहा। रात में डरावने सपने आते हैं। मास्क लगाकर ही सो जाता है।​​​​​​​

फेफड़ों का संक्रमण

  • 10 से 15 प्रतिशत मरीज की संख्या बढ़ गई है। जहां पहले हर दिन इलाज के लिए 80 मरीज आते थे, अब 90 से 95 मरीज पहुंच रहे हैं।
  • वजह : कोरोना के इलाज में दवाओं की हाइलेवल डोज ली। कोरोना ने भी फेफड़ों पर ही अटैक ज्यादा किया है।
  • क्या करें : लोगों को अभी भी सावधानी रखनी चाहिए। घूमना और खाने पीने पर विशेष ध्यान देने से ही इसका असर खत्म हो होगा।

डायबिटीज

  • 12 प्रतिशत से भी ज्यादा मरीज बढ़ गए हैं। मरीज कोरोना में भर्ती रहे, सीटी स्कोर लंबे समय तक बढ़ा रहा, जिनकी दवाई लंबे समय तक चली है।
  • वजह : कोरोना के समय लोगों ने घूमना बंद कर दिया। गांव में रहने वाले लोगों ने दवा लेना ही बंद कर दिया।
  • क्या करें : इसके लिए समय पर दवाई लेना, लक्षण दिखे तो जांच करवाने के साथ ही घूमना सबसे जरूरी है।​​​​​​​

मानसिक रोग

  • दो साल में 4 से 5 प्रतिशत मरीज बढ़ गए हैं। कोरोना में जो लम्बे समय तक अस्पताल में भर्ती रहे उन पर ज्यादा असर दिखाई दिया है।
  • वजह : अस्पताल में हो रही मौतों को देखकर डर गए या लॉकडाउन में कारोबार बंद हो गया। जिसके चलते मानसिक परेशानी बढ़ गई।
  • क्या करें : लोगों को घबराने की जरूरत नहीं हैं। संतुलित भोजन के साथ बिना तनाव के ही काम करें।

दिल की बीमारी

  • कई मरीज ऐसे हैं, जिन्हें पहले से दिल से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं रही, लेकिन उन्हें भी हार्ट अटैक हो रहा है। 5 से 7 प्रतिशत मरीजों में कोरोना ने दिल पर असर डाला है।
  • वजह : ऑक्सीजन की कमी से मांसपेशियों को ऑक्सीजन युक्त खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसका सीधा असर हार्ट के टिश्यू पर पड़ा।
  • क्या करें: डॉक्टर्स से सलाह जरूर लें, जांच जरूर करवानी चाहिए।

चर्म रोग

  • स्किन रैशेज, सूजन या फिर एलर्जी जैसी दिक्कतें महसूस हो रही हैं। स्किन पर सूजन, रेड पैचेज, फुंसी होने की संभावना बढ़ गई है।
  • वजह : कोरोना होने के चलते ली गई दवाई के साथ ही ज्यादा सेनेटाइजर का उपयोग किया, जिसमें केमिकल ज्यादा था, जिसके वह से स्किन पर असर है।
  • क्या करें : साफ पानी पीने के साथ नहाने में उपयोग करना चाहिए। डॉक्टर्स से भी जांच करवानी चाहिए।
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