मध्यप्रदेश बॉर्डर से सटे बांसवाड़ा के कुशलगढ़ में जोखिम लेने के आदतन जनजाति युवा, अब बॉर्डर पर नहीं मिलती पुलिस, न ही लागू है कोई कानून

यहां के ग्रामीणों को न तो कोरोना का डर है न ही वाहन दुर्घटना का। उन्हें तो इतना पता है कि वह इस वाहन से उन्हें मंजिल तय कर घर पहुंचना है। खास बात यह देखने को मिली कि इन लोगों में पुलिस का भय केवल नाकाबंदी तक सीमित है।
पुलिस की नाकाबंदी देख सभी ग्रामीण एक साथ जीप से नीचे उतर जाते हैं। वहीं कुछ आगे जाकर खड़ी जीप में यही सवारी फिर से आगे बढ़ जाती है। जानकार आश्चर्य होगा कि 9 सीटर क्षमता वाली इस जीप में 48 छोटे-बड़े, मोटे-पतले लोग सवार थे।
जितने भीतर भरे थे उससे कहीं ज्यादा जीप की छत पर और बाहर की ओर लटके थे। अगर, दूसरे हिसाब से देखें तो जीप में इंसानों को मवेशियों से भी बद्तर हाल में भरा हुआ था। यानी जो एक बार जिस जगह पर बैठ गया। उसे मंजिल से पहले पैर हिलाने का मौका नहीं मिलता।
जीप में सवार जोगड़ीमाल निवासी शांतिलाल डामोर से बातचीत की तो उसने बताया कि उनके इस क्षेत्र में बसें कम चलती हैं। बस सवारियों को भरने के लिए धीरे चलती हैं, जबकि जीप रफ्तार से तो चलती ही है। सवारी भी जल्दी से मिल जाती है। उनके लिए इस भीड़ और दुर्घटना जैसे कोई मायने नहीं हैं। उन्हें तो हर हाल में घर पहुंचना है।
शांतिलाल ने बताया कि यह तो दोपहरी का समय है। इसलिए अभी लोगों की भीड़ कम है। कारण कि पीछे दूसरे वाहन भी आ रहे हैं, लेकिन रात के समय अंतिम आने वाली जीप में तो भीतर बैठे आदमी को बाहर की हवा तक नहीं लगती। हमारी ओर से तस्वीर को कैमरे में कैद करते समय जीप चालक ने इसका विरोध किया, लेकिन अगले ही पल वह शांत भी हो गया।

जी घबराने से बेहाल
कुशलगढ़-आंबापाड़ा मार्ग पर उपखण्ड मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर इस जीप में सवार जोगड़ीमाल निवासी कचरू पुत्र केड़िया की एकदम से तबीयत बिगड़ गई। जीप के भीतर हवा नहीं मिलने से उसका दम घुटने लगा।
इससे उसे पेट में दर्द का भी अहसास हुआ। जोर से शोर मचाते हुए उसने वाहन रूकवाया और बैठे हुए ही जीप से लुढ़क गया। बाद में उसकी पत्नी तनसु भी उसे संभालने के लिए जीप से उतरी। तबीयत खराब देख उसे अलग वाहन यानी ऑटो से घर पहुंचाया गया। उसे मौके से करीब 17 किलोमीटर का सफर और तय करना था।

पटरी छोड़ी नहीं कि काम खत्म
इस रोड पर दुर्घटनाओं के मामले अब पहले जितनी संख्या में तो नहीं आते, लेकिन, कभी कभार होने वाली घटना में एक साथ बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने के मामले आते रहते हैं। उसकी वजह संकरी सड़क में अक्सर क्रॉसिंग को लेकर गफलत होती है।
सामने से आने वाले वाहन को साइड देने के दौरान कई बार ऐसी जीप के पहिए सड़क से उतर जाते हैं। बस सवारियों को एक ओर झूलते ही जीप अनियंत्रित होकर पलट जाती है, लेकिन, यहां के लोगों के लिए यह सब आम बात है।
खास तो यह है कि लॉकडाउन में नाकाबंदी कर भीड़ को काबू करने में जुटी पुलिस यहां न तो कार्रवाई करती है, न ही बिना मास्क के जुर्माना काटती है। ऐसे में बॉर्डर पर चलने वाले वाहनों की लगाम बेरोकटोक है।
