इस मानसून दोनों बिजलीघर में 700 करोड़ रुपए की 139.18 करोड़ यूनिट बिजली बनी, यह जिले में डेढ़ साल सप्लाई जितनी
हर साल 15 अगस्त से शुरू करते हैं उत्पादन, इस बार 3 अगस्त से शुरू किया, उत्पादन खर्च 80 पैसे/यूनिट
प्रशांत जोशी
बांसवाड़ा माही बांध के पानी से इस बार रिकॉर्ड 139.18 करोड़ पूनिट बिजली बनाई है। उत्पादित बिजली की यह प्रात्रा पिछले 5 सालों सर्वाधिक है। बिजली का उत्पादन कितने बड़े स्तर पर किया है इसका पता इसी पे चलता है कि 139.18 यूनिट से पूरे बांसवाड़ा को डेढ़ साल तक सप्लाई की जा है। बांसवाड़ा जिले में प्रतिदिन 25 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है। दरअसल, इस बार पनसूत से पहले प्रदेश में बिजली संकट के हालात थे। इसे देखते हुए माही परियोजना और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अभियंताओं ने आपसी तालमेल से पानी का अधिकतम इस्तेमाल करने की योजना बनाई। जिससे माही बांध के अधिशेष पानी का बिजली बनाना शुरू कर दिया। माही बांध के अधिशासी अभियंता प्रकाश चंद्र रेगर ने बताया कि पानी का उफ्योग मानसून के दौरान अधिक से अधिक बिजली उत्पादन में हो इसी पर हमारा फोकस रहा।
अधिशेष पानी का उपयोग... 5 साल में सबसे ज्यादा इस बार उत्पादन - इस मानसून में बांध में पानी की आवक शुरू होने पर 3 अगस्त से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया, जबकि अमूमन मानसून सीजन में 15 अगस्त या इसके बाद से बिजली उत्पादन शुरू किया जाता है। इस बार 3 अगस्त से 2 अब्टूबर के दौरान 14 मिलीयन क्यूबिक पानी से 55 करोड़ यूनिट से अधिक बिजली उत्पादन हुआ। कहीं 3 से 29 अबटूबर के दौरान दोनों बड़े बिजलीघर से 5 टीएमसी पानी का उपयोग कर 83 करोड़ यूनिट बिजली का रिकॉर्ड उत्पादन किया गया। जिससे इस मानसून बिजली उत्पादन में वृद्धि 139.18 करोड़ यूनिट के बोनस के रूप में देखा जा रहा है। अधीक्षण अभियंता दिलीप गेहानी ने बताया कि बिजलीघरों में प्रति यूनिट उत्पादन की लागत 60 से 80 पैसे आती है और बाजार में यही बिजली नोर्थ ग्रिड पर जाने के बाद 5 से 6 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिकती है। बाजार दर के हिसाब से इस साल मानसून सीजन सहित अब्टूबर में उत्पादित 139.18 करोड़ यूनिट की बाजार लागत 650 से 700 करोड़ रुपए अनुमानित है, जो अधिक भी हो सकती है।