पांच साल के मासूम को जन्मदिन पर मां से मिलाकर दिया तोहफा, डेढ़ माह से बिछड़े बेटे को गले लगाया
- लिव इन रिलेशनशिप लीगल, लेकिन 1 पत्नी के रहते दूसरी लाना गैरकानूनी
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती, सदस्य अंजना मेघवाल, सुमित्रा जैन और आयोग के सदस्य सचिव वीरेंद्र यादव ने बुधवार को बांसवाड़ा सर्किट हाउस में पीड़ित महिलाओं के दुख-दर्द सुना। इस दौरान एक मामला ऐसा भी था, जिसमें आयोग ने एक महिला को उसके 5 साल के मासूम बेटे से मिलाया। आयोग के निर्देश पर एसपी ने महिला के साथ पुलिस टीम को उसके ससुराल बस्सी आड़ा भेजकर उसके बेटे से मिलाया। महिला डेढ़ माह बाद बेटे से उसके जन्मदिन पर मिली तो भावुक होकर रो पड़ी। महिला ने बेटे को गले लगाकर खूद लाड- दुलार किया। मां बेटे का प्यार देखकर साथ में आए पुलिसकर्मी और प्रशासन के कार्मिक भी भावुक हो गए। दरअसल, नवागांव निवासी डिंपल कलाल की शादी वर्ष 2019 में बस्सी आड़ा के सुमित कलाल के साथ हुई थी। करीब 6 माह पूर्व सुमित दूसरी पत्नी ले आया और डिंपल को घर से निकाल दिया। उसके 5 साल के पुत्र मोक्षित कलाल को उसके साथ नहीं जाने दिया। डिंपल अभी अपने पीहर में रह रही हैं। पति सुमित ने पिछले डेढ़ माह से उसे उसके बेटे मोक्षित से मिलने नहीं दिया था। बुधवार को मोक्षित का जन्मदिन था, संयोगवश बुधवार को आयोग की टीम बांसवाड़ा में जनसुवाई को आई थी। डिंपल को पता चला तो वो सर्किट हाउस पहुंची और आयोग अध्यक्ष को पूरी घटना बताकर उसे उसके बेटे से मिलाने की गुहार लगाते हुए बताया कि आज उसका जन्मदिन है। आयोग अध्यक्ष ने एसपी हर्षवर्धन अग्रवाला को तत्काल पुलिस टीम को डिंपल के साथ भेजकर उसकी बेटे से मुलाकात कराने के निर्देश दिए। आयोग अध्यक्ष ने कहा कि वो उसके पति को उसके साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं, लेकिन बेटे की कस्टडी उसे दिलाने की कानूनी कार्रवाई में पूरा सहयोग देने को कहा। आयोग अध्यक्ष ने डिंपल को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से फ्री अधिवक्ता दिलाकर, बेटे की कस्टडी उसे दिलाने के लिए न्यायालय में प्रकरण ले जाने की सलाह दी। आयोग अध्यक्ष ने एक मां को उसके बेटे से मिलाने की घटना पर भावुक होकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को लीगल माना है लेकिन लोगों द्वारा इसकी गलत व्याख्या कर कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। यह नियम कुंवारों के लिए हैं न कि शादीशुदा लोगों के लिए। एक पत्नी के रहते दूसरी, तीसरी महिला को पत्नी के रूप में बिना शादी लिव इन रिलेशनशिप में साथ रखने लगे हैं। ऐसे कई मामले जनसुनवाई में देखने को मिल रहे हैं। जिला प्रशासन इसे लेकर विशेष जागरूकता करें, हम सबको मिलकर इसके खिलाफ जागरूकता करनी होगी। जब तक पहली पत्नी से तलाक न हो, उसे पति से अलग होने के बाद का पूरा हक न मिल जाए तब तक दूसरी पत्नी को लिव इन रिलेशनशिप में रखना गैरकानूनी है।