डूंगरपुर में जयपुर के ढाेल की गूंज; हाेली के उत्साह काे दोगुना करते हैं जयपुर के 10 मुस्लिम परिवार

- अब 5 से 7 हजार ढाेल बनाने की चल रही तैयारी, जयपुर से लाए कच्चा माल और यहां तैयार कर रहे हैं
वागड़ में हाेली के त्योहार पर ढाेल बजाने का बड़ा क्रेज है। होली त्योहार आने से 15 दिन पहले ढोल की गूंज शुरू हो जाती है। गांव-गांव में शाम से लेकर रात तक ढाेल बजने सुनाई देते हैं, यही ढाेल हैं जाे हाेली के त्योहार में अलग सा उत्साह ला देता है। अब इस त्योहार में दाे दिन का समय शेष रह गया है। जिले में इस त्योहार का उत्साह दोगुना करने के लिए जयपुर से 10 मुस्लिम परिवार पिछले 25 दिनों से ढाेल तैयार कर रहे हैं। 25 दिन में अब तक साढ़े तीन हजार ढाेल तैयार कर दिए हैं।
एक टीम इन ढाेल काे तैयार करती है, फिर दूसरी टीम शहर व गांव में जाकर ढाेल बेचती है। अगले 2-3 दिन में करीब 4 हजार से अधिक ढाेल बनाने की तैयारी चल रही है। यहां पर आए प्रत्येक परिवार के सदस्य मिलकर ढाेल तैयार करने में जुटे हैं। इनके पास ढाेल 100 रुपए से 1 हजार रुपए कीमत के हैं। यह लाेग जयपुर के ढाेल की गुंज से डूंगरपुर जिले की हाेली में उत्साह लाने का काम करते हैं।
दरअसल, हाेली के त्योहार की आहट से पहले ही जयपुर के आगरा राेड के रहने वाले 10 मुस्लिम परिवार ढाेल बनाने के कच्चा सामान के साथ डूंगरपुर पहुंच गए हैं। यह लाेग हाथों हाथ ढाेल बनाने का कार्य कर उस पर लकड़ी, कलर, छल्ला, रस्सी लगा कर इसे पूरी तरह से तैयार भी कर रहे हैं। सड़क किनारे पर बेचने के साथ शहर व गांवों में जाकर इसे बेचा जा रहा है।
मुस्लिम परिवारों ने कहा-ढाेल बनाना ही हमारा पुश्तैनी काम
जयपुर आगरा राेड के रहने वाले मोहम्मद वाजिद अली कहते हैं कि ढाेल बनाना हमारा पुश्तैनी काम है। राजस्थान के अलावा गुजरात में जाकर ढाेल निर्माण का कार्य करते हैं। हमारे करीब 109 परिवार ढाेल बनाने के काम से जुड़े हैं। इसके लिए कच्चा सामान जयपुर में मिल जाता है। ढाेल के रेट में काेई बढ़ाेतरी नहीं हुई है। यहां पर ढाेल की अच्छी डिमांड है। पिता-दादा से यही सीखा है। आसिफ कहते हैं कि अभी कुल मिलाकर 7 हजार ढाेल हाेली से पहले तैयार करने हैं। कच्चा सामान जयपुर से लेकर आए हैं।
5 इंच से लेकर 12 इंच तक के ढाेल तैयार किए जा रहे हैं। अभी काफी मात्रा में ढाेल बिक चुके हैं। जयपुर आगरा राेड के रहने वाले बुजुर्ग ने बताया कि हाेली के त्योहार में अब कम दिन बचे हैं। अब ढाेल की अच्छी डिमांड हाेगी। इन्होंने खुद तैयार किए करीब 50 ढाेल बिक चुके हैं।