जिले के नेशनल व स्टेट हाइवे पर दुर्घटना से बचाव के लिए सेफ्टी स्ट्रीप नहीं लगाई

बांसवाड़ा जिला दो नेशनल हाईवे और एक स्टेट हाईवे से जुड़ा हुआ है। जिले का प्रतापगढ़ से पाड़ी बांसवाड़ा तक का 100 किलोमीटर लंबाई के नेशनल हाइवे पर ही रोड हिप्नोसिस अर्थात रोड सम्मोहन की स्थिति से बचाव के इंतजाम हैं और शेष स्टेट और नेशनल हाइवे पर नहीं।
जबकि नेशनल हाइवे पर 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हल्के और भारी वाहनों की आवाजाही रहती है। जिला मुख्य सड़क और जिले से अन्य राज्यों की ओर जाने वाली सड़क पर भी लोगों की सुरक्षा के लिए सड़क के दोनों ओर सेफ्टी स्ट्रीप का निर्माण करवाना चाहिए।
क्या है रोड हिप्नोसिस : स्टेट या नेशनल हाईवे पर गाड़ी चलाने के दौरान कुछ क्षणों की शारीरिक और मानसिक स्थिति जो लगातार ढाई से तीन घंटों तक ड्राईविंग करने से उत्पन्न होती है,जिसे रोड हिप्नोसिस कहा जाता है। ये एक ऐसी स्थिति होती है जब गाड़ी चलाने वाले ड्राईवर की आंखें तो खुली रहती हैं लेकिन मस्तिष्क अक्रियाशील अवस्था में आ जाता है। इस कारण ड्राईवर को ऐसे हालात में गाड़ी चलाने के दौरान खुली आंखों से जो दिख रहा है उसका वह सही ढंग से आकलन नहीं कर पाता है। ऐसे विकट हालात में ही नेशनल और स्टेट हाईवे पर तेज गति से आवागमन करने वाले वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। इससे भयंकर दुष्परिणाम सामने आते हैं और वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ जनहानि हो जाती है।
ऐसे बचाव करती है सड़क पर लगी सैफ्टी स्ट्रीप : नेशनल हाईवे 113 पर सड़क के दोनों किनारों पर लगाई गई सैफ्टी स्ट्रीप वाहनों को दुर्घटना होने से पहले सतर्क करती है। इसे यूं समझें कि जैसे ही दिन में या रात में हल्के या भारी वाहनों के चालकों द्वारा वाहन चलाए जाने के दौरान जैसे ही उनका ध्यान भटकता है या रोड सम्मोहन की स्थिति में आने पर गाड़ी सड़क से नीचे जाने लगती है तब गाड़ी का टायर जैसे ही सैफ्टी स्ट्रीप के ऊपर आता है, तो उसमें होने वाले कंपन से ड्राईवर सतर्क हो जाता है।
जिले में इन सड़कों पर नहीं हैं सैफ्टी स्ट्रीप
{बांसवाड़ा से वजवाना- डूंगरपुर नेशनल हाईवे 927 ए
{पाड़ी से कलिंजरा-मोना डूंगर दाहोद-गोधरा नेशनल हाईवे 56
{बांसवाड़ा से उदयपुर स्टेट हाईवे 32
{बांसवाड़ा से रतलाम मार्ग नेशनल हाईवे 927 ए
{बांसवाड़ा से आनंदपुरी- फतेहपुरा- अहमदाबाद मार्ग
डॉक्टर की राय: लंबे समय तक ड्राइविंग से बचें
महात्मा गांधी राजकीय अ श्रेणी हॉस्पिटल बांसवाड़ा के डॉ. मयंक शर्मा एमडी ने कहा कि ऐसी स्थिति अक्सर मध्य रात्रि के बाद, सूर्योदय से पहले और गर्मियों में दोपहर के बाद होती है। इसका कारण लंबे समय तक बिना आराम किए वाहन चलाना है। लोगों को चाहिए कि वे जैसे ही हल्की थकान महसूस हो तो ब्रेक जरूर लें। नशा करके गाड़ी चलाने वालों के सामने रोड सम्मोहन की स्थितियां अधिक उत्पन्न होती हैं। रोड हिप्नोसिस के प्रभाव से बचने के लिए वाहन चलाने वाले ड्राईवर को हर दो से ढाई घंटे के बाद कहीं भी रुक कर आंखों पर पानी का छिड़काव के साथ ही चाय-पानी पीना चाहिए।
नेशनल हाईवे 113 पर रोड पर लगाई गई सेफ्टी स्ट्रीप।