गनोड़ा खरीद केंद्र पर गेहूं से भरे 50 ट्रैक्टरों की लगी कतार, व्यवस्था संभालने बुलाई पुलिस

गनोड़ा के गेहूं खरीद केंद्र पर इन दिनों किसानों की लंबी कतार देखने को मिल रही है। खाद्य निगम की ओर से गनोड़ा में होटल शक्तावत के पास संचालित गेहूं खरीद केंद्र पर किसान अपने ट्रैक्टरों में गेहूं लाकर घंटों इंतजार कर रहे हैं। मंगलवार को लगभग 50 से 60 ट्रैक्टर लंबी-लंबी कतारों में खड़े हुए दिखाई दिए।
गेहूं खरीद केंद्र पर जगह कम होने के चलते बांसवाड़ा उदयपुर स्टेट हाइवे के दोनों और ट्रैक्टरों की लंबी कतार लग गई। इतने सारे किसान एक साथ केंद्र पर पहुंचने से किसानों में तीखी बहस भी हुई । कई किसान दिनभर एक दूसरे से आपस मे ही उलझते रहे। कुछ किसान जबरदस्ती अपना ट्रेक्टर सेंटर के अंदर ले जाने की जिद करने लगे इसके बाद किसानों में आपस में ही बहस बढ़ गई। गनोडा के गेहूं खरीद केंद्र पर तड़के 3:00 बजे से ही किसानों का आना शुरू हो जाता है। गनोड़ा सहित आसपास के गांव के किसान अपने अपने गेहूं ट्रैक्टर में लादकर सुबह 3:00 बजे से ही केंद्र पर आना शुरू हो जाते हैं। केंद्र के बाहर ट्रैक्टरों की लंबी कतारें सुबह से ही देखने को मिल रही है। मंगलवार को ज्यादा संख्या में किसान एकत्रित हो गए थे और उनमें आपस में बहस हो गई। इसके बाद मौके पर मोटागांव थाने के कांस्टेबल देवेंद्र सिंह को आना पड़ा तथा किसानों से समझाइश करनी पड़ी।
6 दिन से केंद्र बंद था, इसलिए लगी किसानों की भीड़
4 से 9 मई तक केंद्र बंद था जिसकी वजह से किसानों का गेहूं 6 दिनों तक नहीं तोला जा सका। 10 तारीख से किसानों की भीड़ इस केंद्र पर जमा होने लगी जिसके कारण व्यवस्थाएं बिगड़ गई। इतने दिनों से केंद्र बंद होने के बाद किसान एक साथ केंद्र पर पहुंच रहे हैं जिसके चलते केंद्र पर किसानों की लंबी कतार देखने को मिल रही है। केंद्र पर दो कांटे लगे हैं और दो काटो पर निरंतर काम चलता हैं। केंद्र पर सबसे बड़ी समस्या मेन पावर की है तथा यहां पर एफसीआई का स्टाफ भी कम है। पहले दूसरे जिलों से यहां पर लेबर काम पर आ रही थी लेकिन जिले में कोरोना का प्रकोप बढ़ते देख लेबर वापस अपने-अपने जिलों में चली गई।
बजे से ही केंद्र पर आना शुरू हो जाते हैं। केंद्र के बाहर ट्रैक्टरों की लंबी कतारें सुबह से ही देखने को मिल रही है। मंगलवार को ज्यादा संख्या में किसान एकत्रित हो गए थे और उनमें आपस में बहस हो गई। इसके बाद मौके पर मोटागांव थाने के कांस्टेबल देवेंद्र सिंह को आना पड़ा तथा किसानों से समझाइश करनी पड़ी।
