1995 में पूर्व सीएम जोशी के बेटे को भवानी ने हराकर बांसवाड़ा मे खोला था भाजपा का खाता

कुशलगद में भाजपा- कांग्रेस अबतक 1-1 बार ही जीती, जनता दल के फतेहसिंह 6 बार जीते
बांसवाड़ा विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस अपना दम भर रही हैं। जिले की पांचों सीटों पर कसमकश है। वर्षों तक राज करने वाली कांग्रेस कुशलगढ़ विधानसभा में अभी तक आजादी के बाद से अब तक एक बार ही जीत हासिल कर पाई। वर्ष 2018 में तो प्रत्याशी तक नहीं उतारा। कुशलगढ़ विधानसभा में जेडी (जनता दल) का कब्जा रहा है। इस सीट से जनता दल के फतेह सिंह 5 बार विधायक चुने गए। दूसरी तरफ बांसवाड़ा विधानसभा की बात करें तो जिले में सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने बांसवाड़ा विधानसभा में 10 बार जीत हासिल की। खास बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने 7 बार चुनाव जीता, वो भी लगातार, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा चुनाव जीतने वाले पहले प्रत्याशी रहे हैं। उनके निधन के बाद उपचुनाव में जोशी के बेटे दिवेश जोशी को सहानुभूति भूति नहीं मिल पाई और भाजपा के भवानी जोशी ने उन्हें 1187 वोटों से हरा दिया। लेकिन पिछले 4 चुनावों की बात करें तो भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है, जिसमें कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस जीत रही है। वहीं, बागीदौरा विधानसभा सीट भी कांग्रेस लगातार तीन बार से जीत रही है।
पूर्व सीएम जोशी ने प्रदेश में सबसे ज्यादा 7 चुनाव जीतने का बनाया था रिकॉर्ड
बांसवाड़ा विधानसभा सीट पर 1951 में सबसे पहले भेलजी (SP) विजेता रहे थे, उन्हें 8071 वोट मिले थे। उनहोंने निर्दलीय भारतेंद्ररा सिंह (4658 ) को हराया था। इसके बाद 1952 में उपचुनाव में यशोदा देवी (PSP) जीती थी, उन्हें 14862 वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के नटबरलाल को (8451 ) हराया था। 1957 में निर्दलीय मोगजी (11272) ने कांग्रेस के हीरालाल (8188 ) को हराया था। 1962 में विट्ठल (SOC) ने हीरा (SWA) को हराया था। विद्वुल को 16373 बोट और हीरा को 6127 बोट मिले थे। इसके बाद दूसरी बार उपचुनाव 1995 में हुए थे। जिसमें भाजपा के भवानी जोशी ने 35644 के साथ जीत दर्ज की थी और पूर्व सीएम के बेटे कांग्रेस से दिनेश जोशी को हराया था। दिनेश जोशी को 34457 वोट मिले थे।
बांसवाड़ा: भवानी जोशी (भाजपा) को 35644 वोट मिले थे - बांसवाड़ा विधानसभा पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की सीट रही है, लेकिन 1995 में जोशी का निधन होने पर उपचुनाव हुए, जिसमें उनके बेटे दिनेश जोशी को उतारा। कहीं भाजपा ने भवानी जोशी को प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में भवानी जोशी ने दिनेश जोशी को 1187 वोटों से हराकर भाजपा का खाता खोला। भवानी जोशी को 35644 तो दिनेश जोशी को 34457 बोट मिले। इस सीट पर अब तक एक निर्दलीय भी जीत चुके हैं।
कुशलगढ़ विधानसभा में निर्दलीय हीरा (15591) ने कांग्रेस के रंगजी (5608 ) को हराया था। 1962 में हीरा (SOC) ने 19987 वोटों के साथ जीत दर्ज की। उनहोंने कांग्रेस के भीमारत को हराया था। जिसे 10807 वोट मिले थे। 1967 में दोबारा हीरा (SSP) ने 21662 के साथ जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के वारसिंग (21569 ) को हराया था। इसके बाद 1972 में जीतसिंह (507 ) ने 27284 से जीत हासिल कर कांग्रेस के वारसिंग (19176 ) को हराया था। 1977 में जीतसिंह (JNP) ने 25218 जोट हासिल कर जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस के हीरालाल को (7757 ) हराया था।
कुशलगढ़ : जनता दल से छीनी सीट, कोई और गढ़ नहीं बना पाया - कुशलगढ़ विधानसभा जनता दल का गढ़ रहा है, जो भाजपा-कांग्रेस ने ढहा तो , लेकिन खुद का गढ़ नहीं बना सकी। 1985 में कांग्रेस के वीरसिंह ने LKD)
की हीराबाई को 312 वोटों से हराया। जीर सिंह को 25591 तो हीराबाई को 25279 वोट मिले। यहां भाजपा भी केवल एक बार ही खाता खोल पाई। 2013 में भाजपा के भीमाभाई डामोर ने कांग्रेस के हुरतिंग खड़िया को 708 वोटों से हराया। भीमा भाई को 63979 तो हुरतिंग खड़िया को 63271 वोट मिले थे।
