भद्रा के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन:शहर की कॉलोनियों सहित जिलेभर में हुआ दहन, लोगों ने फाग गीत गाए, दिन में महिलाओं ने की पूजा

होली के शुभ मौके पर गुरुवार रात को 11.28 मिनट पर भद्रा काल खत्म होने के बाद होलिका दहन शुरू हुआ। शहर सहित जिलेभर में लोगों में दहन को लेकर उत्साह देखने को मिला। दहन से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने गोबर के उपलों और लकड़ियों से होलिका तैयार की।
इससे पहले दिनभर महिलाओं ने होलिका की पूजा अर्चना कर मन्नत मांगी। दहन के बाद युवाओं से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों ने होलिका की अग्नि के फेरे लिए। उसमें नारियल और तील की आहुतियां दी। विशेष तौर पर बच्चों को अग्नि का सेक दिया गया। अग्नि ठंडी होने के बाद लोगों ने परिक्रमा करते हुए फाग गीत लोकभाषा में गाए।

बड़लिया के वालेंग पटेल व संजय पटेल ने बताया की परंपरा के अनुसार होलिका दहन से पूर्व ढोल बजाकर गांव के प्रत्येक घर तक युवाओं की टोली ने घूमकर लकड़ियां (मामेरा) एकत्रित किया। उसके पश्चात सब ग्रामीण इकट्ठा हुए और मूहर्त के अनुसार होलिका दहन किया गया। होली के गीत गाए।





बड़ोदिया कस्बे में भी बुधवार रात को शादी की परंपरा के बाद गुरुवार को वैष्णव समाज के लोगों ने दिनभर घरों घरों से लकड़ियां एकत्रित की और होलिका तैयार की। जिसके बाद गैर नृत्य खेल का लुत्फ उठाया, रात को मुहूर्त में होलिका दहन किया।

बांसवाड़ा शहर के पुराना बस स्टैंड के पास कस्टम चौराहे पर होलिका दहन से उठी आग की लपटों से बड़ा हादसा होते होते टल गया। दरअसल मुख्य मार्ग पर होलिका दहन किया गया। उसकी लपटें थोड़ी ऊपर उठी तो ठीक ऊपर किसी लाइब्रेरी का फ्लैस बोर्ड चपेट में आया और वहां लगा मीटर भी जल गया। लेकिन लोगों और पुलिस प्रशासन की सूझबूझ से तत्काल ऊपर से पानी डालकर कुछ ही मिनट में काबू पा किया गया।

शुक्रवार सुबह जब होली की आग बुझी तो घर की महिलाओं ने जले हुए लकड़ी के गर्म को कोयलों को एकत्रित किया और घर लाए। मान्यता है कि इस दिन घर में इसकी धूप की जाती है और इसी से घर में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इसे शुभ माना जाता है।