Home News Business

11.4वर्ग किलोमीटर मे सोने के भंडार, कर्नाटक की हट्टी क कोलार माइंस की तर्ज पर अन्डरग्राउंड खुदाई होगी, जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं

Banswara
11.4वर्ग किलोमीटर मे सोने के भंडार, कर्नाटक की हट्टी क कोलार माइंस की तर्ज पर अन्डरग्राउंड खुदाई होगी, जमीन अधिग्रहण की जरूरत नहीं
@HelloBanswara - Banswara -

अरविंद अपूर्वा | बांसवाड़ा

बांसवाड़ा जिले के भूकिया-जगपुरा में मिले सोने के भंडारण की नीलामी मार्च के पहले सप्ताह में शुरू होने जा रही है। कर्नाटक हट्टी और कोलार गोल्ड फील्ड में सोने का खनन हो रहा है। इसके बाद अब बांसवाड़ा में सोने के भंडार मिलने के चलते यह देश का दूसरा बड़ा सेंटर बनने जा रहा है। जिले की दोनों खदानों के लिए केंद्र के ई-पोर्टल से टेंडर होंगे। कुल 11.4 वर्ग किमी में सोने के भंडार मिले हैं, लेकिन अभी 9.4 वर्ग किमी एरिया में लीज के लिए नीलामी होगी, उसके अलावा 2 वर्ग किमी एरिया में अभी शोध व अन्य कार्य के लिए ही नीलामी होगी। खास बात यह है कि सोना निकालने के कर्नाटक की कर्नाटक की हट्टी और कोलार गोल्ड माइंस की तर्ज पर अंडरग्राउंड खुदाई होगी। जिससे कंपनी को जमीन अधिग्रहण की भी जरूरत नहीं होगी। साथ ही इन 9.4 वर्ग किमी क्षेत्र में 6 वर्ग किमी क्षेत्र वन विभाग का है, उसके अलावा बाकी 3.4 एरिया खातेदार या श्रीसरकार की ही जमीन है। इस एरिया में 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क का आकलन किया है, जिसमें सोने के धातु की मात्रा 222.39 टन आंकी गई है। इसके अलावा भी एक लाख 74 हजार टन से अधिक कॉपर, 9700 टन से अधिक निकल और 13 हजार 500 टन से अधिक कोबाल्ट खनिज भी प्राप्त होगा।

जगपुरा, सोनामगरी, लक्ष्मीपुरा तहसील गनोड़ा व देलवाड़ा रावला में बढ़ेगा रोजगार ० भू सर्वेक्षण विभाग की ओर की गई खोज में घाटोल के अलग-अलग जगहों पर सोने के भंडारण मिले हैं। जिसमें ग्राम जगपुरा, सोनामगरी, लक्ष्मीपुरा तहसील गनोड़ा एवं देलवाड़ा-रावला तहसील घाटोल में कुल क्षेत्र 9.4 वर्ग किलोमीटर में खनिज गोल्ड एवं एसोसिएटेड मिनरल्स का खनन पट्टा प्रस्तावित है। इसके अलावा ग्राम खाकरिया गढ़ा तहसील घाटोल में कुव्ठ क्षेत्र 2.049 वर्ग किलोमीटर वास्ते खनिज गोल्ड एवं एसोसिएटेड मिनरल्स का कम्पोजिट लाइंसेंस प्रस्तावित है।

० खास बात यह है कि जिस कंपनी को भी ठेका मिलेगा, उसकी तरफ से भूकिया-जगपुरा में ही कारखाना स्थापित किया जाएगा, जहां से गोल्ड के अलावा अन्य खनिज तैयार किए जाएंगे। यहां से देश के अलग अलग भागों में इसका परिवहन किया जाएगा। विभाग के मुताबित कुल एरिया भंडारण के लिए निर्धारित किया है, कारखाना भी उसी जमीन पर लगेगा।

जरूरत पड़ने पर ही होगी जमीन अधिग्रहित विभाग के मुताबिक जब अंडरग्राउंड माइनिंग होती है तो उसमें जमीन अधिग्रहित करनी की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। कर्नाटक में चल रही सोने की माइनिंग भी अंडर ग्राउंड हैं, इसके अलावा उदयपुर में भी कॉपर-मैगनीज की जावर खान भी अंडरग्राउंड खुदाई है, जिसमें जमीन अधिग्रहित करने की जरूरत नहीं पड़ी। अगर टेंडर के बाद कंपनी की जमीन अधिग्रहित की जरूरत भी होगी तो वह कलेक्टर और स्थानीय लोगों की सहमति से जमीन के भाव के हिसाब से मुआवजा मिलेगा। इसके अलावा कारखाने में काम करने के लिए स्थानीय लोगों को भी नौकरी देने की गारंटी रहेगी। जो नीलामी प्रक्रिया के बाद होगी।

वन विभाग की जमीन के लिए भी लेनी होगी अनुमति सोने के भंडारण की जगह पर अधिकतर भूमि वन विभाग की है। इसलिए भी पर्यावरण मंत्रालाय से अनुमति लेनी होगी, जिसमें प्रति हैक्टेयर के हिसाब से चार्ज भी भुगतान करना पड़ेगा। नीलामी प्रक्रिया के बाद खान विभाग व भू सर्वेक्षण विभाग संगत रुप से प्रस्ताव बनाकर जयपुर भेजेंगे, जहां से भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास रिपोर्ट जाएगा। जहां वनअनारक्षण नियम के तहत जिस कंपनी को ठेके मिला है उसका वन विभाग की जमीन का प्रति हैक्टेयर के हिसाब से चार्ज भुगातन करने के बाद अनुमित मिलेगी।

हमने प्रस्ताव भेज दिया था, अब नीलामी की प्रक्रिया मार्च में शुरू कर दी जाएगा। करीब एक महीने तक नीलामी की प्रक्रिया चलेगी। उसके बाद पड़ा मिल जाएगा। खुदाई और कारखाना लगने से यहां के लोगों को रोजयार के अवसर भी गिलेगा। जिले के लोगों को भी सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। -शांतिलाल अहारी; जिला खनिज अधिकारी

शेयर करे

More news

Search
×