टैक्स चोरी के लिए फर्जीवाड़ा:1500 करोड़ निवेश, 60 हजार उद्योग लगाए, 3.72 लाख रोजगार भी दिए

आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में हर माह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) 700 नए उद्योग लग रहे हैं। 10 साल में 60 हजार उद्योग लग गए। इनमें 1500 कराेड़ निवेश हुआ औैर 3.72 लाख लाेगाें काे रोजगार भी दे दिया। लेकिन, सब कागजों में। भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय के एमएसएमई पोर्टल के आंकड़े बताते हैं कि इसी साल अप्रैल से सितंबर तक के 6 माह में 102.83 करोड़ की लागत से 4510 उद्योग लगे और इनमें 37,135 लाेगाें काे रोजगार मिला है।
भास्कर ने इन उद्योगों की जमीनी हकीकत देखी तो पचा कि इनमें ज्यादातर डमी कंपनियां हैं। आशंका है कि ये लाेग टैक्स चाेरी या बैंकों से लाेन के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। जिला उद्याेग केंद्र के महाप्रबंधक हितेश जाेशी बोले कि बांसवाड़ा जैसी जगह में इतने उद्योग लगना संभव ही नहीं है। इसकी जांच करवाएंगे। जमीनों की तरह पोर्टल पर उद्योगों के रजिस्ट्रेशन के लिए भी जीओ टैगिंग, फाेटाे, उत्पादन और वहां पर काम करते हुए श्रमिकों की वीडियो अपलोड करना अनिवार्य करना चाहिए।
मालूम हो कि पहले जिला उद्योग एवं वाणिज्य केंद्र मौके पर जाकर उद्योग का वेरिफिकेशन होता था, फिर रजिस्ट्रेशन होता था। लेकिन, 2015 में इंस्पेक्टरराज खत्म करने के लिए वेरीफिकेशन बंद कर दिया गया। सीधे रजिस्ट्रेशन की सुविधा दी ताे फर्जीवाड़ा शुरू हो गया।
50 उद्योगों की जांच की... कहीं घर मिले, कहीं, फर्म के नाम की आदिवासी महिला
यह है सियापुर गांव, जहां कंकू नाम से उद्योग लगना बताया गया। पते पर उद्योग तो नहीं, कंकू नाम की आदिवासी महिला मिली। पति की कचरे की दुकान है। रजिस्ट्रेशन का मतलब ही नहीं पता।
यह पलोदरा गांव है। कागजों में ईश्वर आरसीसी कंस्ट्रक्शन यहीं बताई गई। लेकिन, बताए गए पते पर खेत में घर मिला। सरपंच विट्ठल डामाेर भी ऐसी किसी फर्म से अनभिज्ञ थे।
डमी कंपनियों से तीन तरह से होता है फर्जीवाड़ा
- टैक्स की चाेरी करने के लिए छाेटी-छाेटी डमी कंपनियां खड़ी कर उनमें निवेश बताया जाता है। ये फर्जी कंपनियां परिजन, रिश्तेदार या फिर किसी अन्य व्यक्ति के दस्तावेजों के आधार पर शुरू की जाती हैं। जैसे ही इनका टर्नओवर टैक्स स्लेब काे पार करता है, इन्हें बंद कर दिया जाता है।
- डमी कंपनियाें में कर्मचारियाें की फर्जी संख्या दिखाकर उनके वेतन, ईएसआई, पीएफ राशि की कटाैती के नाम पर टैक्स चाेरी की जाती है।
- कुछ कंपनियां सरकारी टेंडर लेने, बैंकों से लाेन लेने या फिर ऐसे ही अन्य प्रकार के फर्जीवाड़ा करने के लिए शुरू की जाती है। इससे सरकार काे टैक्स का नुकसान ताे हाेता ही है, देश के लिए भविष्य की याेजनाएं बनाने के लिए बताए गए आंकड़ाें की वास्तविकता पर भी सवाल खड़े हाेते हैं।

भास्कर एक्सपर्ट - जिले में 500 उद्योग, इनमें 10% नए लगते हैं, 5% बंद हो जाते हैं
जिला उद्योग संघ बांसवाड़ा के सचिव दीनदयाल शर्मा ने बताया कि बांसवाड़ा जिले में 60 हजार एमएसएमई उद्योग रजिस्टर्ड हाेना ताे संभव है लेकिन इतने चालू हाें, ये असंभव है। ये सब फर्जी हैं। जिलेभर में छाेटे-बड़े सभी चालू उद्योग 500 से ज्यादा नहीं हैं। इनमें भी हर साल 10 प्रतिशत नए उद्योग शुरू हाेते हैं तो 5 प्रतिशत बंद हाे जाते हैं। जाे उद्योग बंद हाेता है, वाे भी रजिस्ट्रेशन रद्द नहीं कराते, चेंजओवर लेता है। मतलब, घाटा हाेने पर एक बंद कर दूसरा शुरू कर देते हैं। रजिस्ट्रेशन का फायदा सिर्फ बैंकों से लाेन लेना, डमी फर्म खड़ी कर इसमें निवेश दिखाते हुए मुख्य फर्म का टैक्स बचाना है। कर्मचारियाें की संख्या दिखाकर उनके वेतन, ईएसआई, पीएफ राशि की कटाैती के नाम पर कर चाेरी की जाती है।