40 दिन पहले बांसवाड़ा की लैब ने 26 हजार क्विंटल गेहूं काे खाने लायक नहीं माना, उदयपुर लैब ने कहा-23 हजार क्विंटल गेहूं सही

भारतीय खाद्य निगम का 26 हजार क्विंटल गेहूं बांसवाड़ा लैब से जांच कराने पर अनसेफ पाया गया था। 40 दिन बाद वहीं गेहूं उदयपुर स्थित प्राइमरी हेल्थ केयर लैब से जांच कराने पर अपने मानक पर खरा उतरा है यानि जाे सैंपल पहले अनसेफ यानि फेल हाे गया था अब वह पास हाे गया है। इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी। उदयपुर से पहुंचे अधिकारियाें ने थाणा स्थित गाेदाम से 23 हजार क्विंटल गेहूूं से सैंपल लिए थे। करीब 23 हजार क्विंटल गेहूं से कमेटी के सैंपल लेने से साफ है कि करीब तीन हजार क्विंटल गेहूं खराब है। हालांकि एफसीआई के अधिकारी तीन हजार क्विंटल गेहूं काे लेकर पुष्टि नहीं कर रहे हैं। हालांकि तीन हजार क्विंटल गेहूं की अनुमानित लागत 60.45 लाख रुपए बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि 4 दिन पहले ही उदयपुर में इसकी रिपाेर्ट आ गई है।
दरअसल, खाद्य सुरक्षा याेजना व प्रधानमंत्री गरीब कल्याण याेजना के तहत डूंगरपुर रेलवे स्टेशन पर मार्च माह में मालगाड़ी से कुल 52 हजार 829 बैग पहुंचे थे। उस समय मालगाड़ी से ट्रकाें में लाेड करने पर गेहूं की ढेलियां बनी हुई मिली थी। इन बैगाें में साल 2020-21 के कुल 39 हजार 399 व 2021-22 के 13 हजार 430 बैग शामिल थे। यह जुट व प्लास्टिक के कट्टाें में हाेकर यहां तक आए थे। लैब रिपाेर्ट ने 26 हजार क्विंटल गेहूं काे अनसेफ बताया था। इस पर एफसीआई के रिजनल आॅफिस से टीम ने डूंगरपुर आकर पूरे स्टाॅक के सेग्रिगेशन का काम शुरु किया था। सेग्रिगेशन के जरिये हर बैग की जांच कर इसे अलग अलग किया गया था। सके बाद उदयपुर डीएसओ व कमेटी ने थाणा स्थित गाेदाम से 23 हजार क्विंटल गेहूं से सैंपल जांच के लिए लेकर लैब में भेजे थे।
तीन हजार क्विंटल गेहूं को ही खराब माना है
तीन हजार क्विंटल काे सेग्रिगेशन में खराब मान कर अलग किया है। इससे करीब 60.45 लाख का नुकसान हुआ। हालांकि एफसीआई ने इस मामले में अधिकृत ताैर पुष्टि नहीं की है। मई में एफसीआई के एरिया मैनेजर ने माना था कि मार्च में गेहूं की रैक आने के दाैरान इसकी गुणवत्ता काे लेकर शिकायत की थी। अनसेफ रिपाेर्ट इसके बाद सेग्रिगेशन का काम थाणा गाेदाम पर शुरू किया। उदयपुर की टीम ने सैंपल लिए। अब असमंजस है कि इस गेहू का वितरण हाेगा या नहीं।
