80 समूह की 2400 महिलाएं रोज 5 हजार साबुन बना रही, सालाना 20 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर

बांसवाड़ा जिले की महिलाओं के 80 ऐसे समूह हैं, जिन्होंने मिलकर 4 सालों में डेली सोप की इंडस्ट्री खड़ी कर दी। इन 80 समूहों से 2400 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। 4 साल पहले लोन लेकर बिजनेस की शुरुआत की थी, लेकिन अब इनका टर्नओवर सालाना 20 करोड़ से ज्यादा है।
महिलाएं अपने समूहों के जरिए रोजाना 5 हजार से अधिक साबुन बना रही हैं। इनके साबुन की मांग जयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, उदयपुर, कोलकत्ता तक है। बिजनेस को बढ़ाने के लिए यह अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनियां लगा रही हैं। वर्ष 2020 में महिलाओें को आत्मनिर्भर बनने के लिए राजीविका से जुड़ी धीरे-धीरे यह सिलसिला चलता रहा व महिलाएं जुड़ती रही। समूहों से 2 करोड़ से अधिक का ऋण देकर आय बढ़ाने के लिए कराई जा रही अलग-अलग गतिविधियां स्वयं सहायता समूहों को लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके चलते महिलाएं घर बैठे रोजगार कर रही हैं। इसके चलते गांगड़तलाई निवासी विमला भूरिया ने बताया कि इन महिलाओं को 18 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद यह लोन लेकर खुद का व्यवसाय शुरू करती है। मैनेजर को 15 हजार दिए जाते हैं।
गांगड़तलाई में 2020 में स्वयं सहायता समूह के 7 सदस्यों ने 6 लाख का लोन लेकर मिर्च मसाला पैकेजिंग व अचार, पापड़ बनाने के साथ साबुन बनाने का काम शुरू िकया। अब तक 2100 महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। लॉकडाउन व कोरोना कर्फ्यू के बावजूद 2.50 लाख की आय प्राप्त की। ग्रुप में अब 30 महिलाएं जुड़ चुकी हैं। स्वयं सहायता समूह में मिर्च मसाला पैकेजिंग के लिए 5.60 लाख का ऋण लेकर 3 लाख की आय अर्जित की। वर्तमान में एक समूह में 30 सदस्य हैं। जो प्रिंटेड थैली, झाडू बनाना, सौंफ पैकेजिंग, मिर्च मसाला पैकिंग, साबुन, महुआ के लड्डू, सरसों का तेल, चना, दाल की सफाई, महुआ बीज का तेल, नींबू का आचार, आम का आचार, आंवले का मुरब्बा के अलावा कुल 100 से अधिक उत्पाद बनाने का कार्य करती हैं।
पशुपालन व डेयरी व्यवसाय से जुड़कर अच्छी आमदनी कर रही हैं। इसी के साथ भारत माता मिर्च पैकेजिंग, वागड़ वंदन विकास केंद्र दलिया, नारी शक्ति आटा, जय हनुमान जी चावल, हल्दी, हवन माता वंदन विकास केंद्र मिर्च, महासागर धनिया पैकेजिंग, प्रिंटेड थैली निर्माण, मां त्रिपुरा सुंदरी सौंफ पैकेजिंग अलग - अलग समूह से अलग प्रॉडक्टस बनाती हैं। साबुन भी नीम, एलोवेरा, हल्दी और चंदन की वैरायटी में अलग-अलग ग्राम के बना रहे हैं। बांसवाड़ा. आचार बनाकर पैकिंग करती समूह की महिलाएं।