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दो साल बाद फिर खाकरिया गड़ा में बोरिंग से निकल रहे हैं एक फिट तक लंबे नारू

दो साल बाद फिर खाकरिया गड़ा में बोरिंग से निकल रहे हैं एक फिट तक लंबे नारू
@HelloBanswara - -

घातक नारू रोग के खात्मे के सालों बाद फिर इसकी वापसी की आहट हुई है। लोहारिया क्षेत्र के खाकरिया गड़ा गांव में ग्रामीण बोरिंग और हैंडपंप के पानी में नारू निकलने से फिक्रमंद है।  
यहां मदनसिंह नाम के व्यक्ति के घर के बाेरिंग से गुरुवार को 1 फीट लंबा नारू निकला। इसे देख परिजन हैरत में पड़ गए। लेकिन, समझदारी दिखाते हुए इसे एक प्लास्टिक की बोतल में बंद कर दिया। इसके बाद जानकारी ली तो पता चला कि सांप के बच्चे की तरह दिखने वाला जीव नारू है। दो साल पहले भी इसी बोरिंग से नारू निकल चुका है। स्थानीय निवासी नारायण यादव ने बताया कि इससे पहले भी देवीलाल कटारा के घर भी नारू निकला था। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से पानी की जांच कराने का अाग्रह किया है।  
क्या है नारू: इस रोग को साधारण भाषा में नहरूआ, बाला तथा नारू कहते हैं। इसे आयुर्वेद की भाषा में स्नायु कहते हैं। बाला रोग गंदा पानी पीने से होता है। बाला के लार्वा पानी में होते हैं। ये ज्यादातर बिना छना हुआ पानी पीने से पेट में चले जाते हैं। इसका लार्वा पेट में जाने के बाद 8 से 12 हफ्तों में अपना पूरा विकास कर लेता है। लेकिन इतने समय में रोगी को इसका पता तक नहीं चल पाता।  
पानी की जांच करवाएंगे  

नारू का सालों पहले उन्मूलन हो चुका है लेकिन फिर भी किसी पानी से नारू निकल रहे है तो पानी की जांच करवाएंगे। ऐसा हो सकता है कि उस पानी में भूजल से कोई दूषित पानी मिल रहा हो। टीम भेजकर इसके सैंपल लेंगे। इससे पहले ग्रामीणों को पानी छानकर पीने की अपील है। डॉ. एचएल ताबियार, सीएमएचओ  

- बचाव के लिए खुले जल स्त्रोत जैसे कुएं की बजाय हैंडपंप का पानी पिएं।  
- पीने के पानी को दोहरे कपड़े से छानना भी जरूरी है। ताकि गिनी वर्म पानी में न जा सके।  
- रोग की संभावना वाले इलाकों में पानी को हल्का उबाला कर पीना जरूरी है।  
- प्रदूषित स्त्रोत में गंबूजिया मछली डालें। यह मछली वर्म को नष्ट कर देती है।  
- इसके साथ ही ब्लीचिंग और ऑर्गेन फास्फेट मिला कर पानी को शुद्ध कर सकते हैं।  
 

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