महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी होना आवश्यक : सीजेएम
पाॅक्सो एक्ट, यौन हिंसा, बाल विवाह, भ्रूण लिंग परीक्षण निषेध अधिनियम, दहेज प्रतिषेध अधिनियम के संबंध में जानकारी दी
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में महिलाओं के अधिकारों के संबंध में दूसरी कार्यशाला शुक्रवार को टीएडी भवन के हॉल जीजीटीयू कैंपस में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा आयोजित की गई। अध्यक्षता मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दीपक कुमार सोनी ने कहा कि महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों और उसका उपयोग करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण के लिए अनेक कानून और योजनाएं बनी हुई है, जिनकी जानकारी के अभाव में महिलाएं समुचित मंच के सामने न्याय के लिए नहीं पहुंच पाती है।
अत: महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो और अन्याय सहन करने के स्थान पर समुचित मंच के सामने कानूनी कार्रवाई हो सके। आज महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के बराबर योगदान दे रही है, परन्तु आज भी यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, बाल विवाह जैसी अनेक चुनौतियां महिलाओं के सामने हैं। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित महिला कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे कार्यक्रम में दी गई कानूनी जानकारियों को न केवल अपने कार्यक्षेत्र में अधिकाधिक महिलाओं तक पहुंचाए बल्कि यदि कोई महिला किसी प्रकार की हिंसा या प्रताड़ना से त्रस्त हो, तो उसे न्याय दिलवाने में यथा संभव मदद करें। रिसोर्स पर्सन गोपाल पंड्या और अनुसूइया व्यास ने महिलाओं को कानूनी अधिकारों से संबंधित जानकारी दी। कार्यशाला में पाॅक्सो एक्ट, यौन हिंसा, बाल विवाह, भ्रूण लिंग परीक्षण निषेध अधिनियम, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, भरण-पोषण, घरेलू हिंसा से संरक्षण, सम्पत्ति में उत्तराधिकार आदि के संबंध में जानकारी दी। कार्यशाला में महिला कार्यकर्ताओं से उक्त कुरीतियों के विरूद्ध जनजागृति लाने में सक्रिय भूमिका निभाने काे कहा। महिला एवं बाल विकास विभाग की नमिता कुलश्रेष्ठ ने महिलाओं से संबंधित विभिन्न विषयों पर जानकारी दी।