150 करोड़ में स्मार्ट क्लास रूम बनाने का एमओयू, 1-1 लाख ले फर्जी नौकरियां दी


अजीत सिंह चौधरी | बांसवाड़ा
शौर्य फाउंडेशन नाम के एनजीओ ने केवल बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलो में नहीं उदयपुर, सिरोही, सलूंबर और जयपुर के स्कूलों में भी वॉलियंटर्स लगाने में फर्जीवाड़ा करके उनसे पैसा वसूला। दैनिक भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि शौर्य फाउंडेशन और राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के बीच 28 अक्टूबर, 2024 को हुए एमओयू में कहीं भी यह नहीं लिखा हुआ है कि फाउंडेशन की ओर से स्कूलों में सर्वे करवाना है या उनके वॉलिंटियर्स को स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना है।
राइजिंग राजस्थान के तहत हुए एमओयू की कॉपी में लिखे तथ्यों के मुताबिक फाउंडेशन को सात जिलों के 3774 स्कूलों में 150 करोड़ रुपए खर्च करके स्मार्ट क्लास रूम बनाने थे, लेकिन फाउंडेशन के लोगों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कई अध्यापकों की मिलीभगत से पैसे लेकर वॉलिंटियर्स को स्कूलों में पढ़ाने के लिए नियुक्तियां देना शुरू कर दिया।
इस मामले में प्रतापगढ़ के सालमगढ़ थाने और डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा थाने में पीड़ितों ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है। इसमें बताया कि 7 जिलों में करीब तीन हजार से अधिक पीड़ित बेरोजगारों से करोंड़ों की ठगी की है। फाउंडेशन के डायरेक्टर जिगर भट्ट और उनके सहयोगियों ने एजेंटों के जरिए झूठे आश्वासन और नियुक्ति पत्र दिखाकर ज्चॉइनिंग के नाम पर 40 हजार से एक लाख रुपए लिए।
नौकरी की चाह में कई अभ्यर्थियों ने ब्याज पर पैसे लेकर और जेवर गिरवी रखकर 8 से 10 महीने पहले रकम जमा करवाई थी। 2 से 3 महीने तक फाउंडेशन के लोग नियुक्ति प्रक्रियाधीन होने की बात कहकर घुमाते रहे। इसके बाद फोन उठाने बंद कर दिए। उन्होंने जब उनसे राशि वापस मांगी तो जातिसूचक गालियां देने, जान से मारने और उल्टा केस में फंसाने की धमकियां दी।
24 अक्टूबर 2024 को स्कूल शिक्षा परिषद और एनजीओ के बीच एमओयू हुआ। एमओयू पर सरकारी पक्ष की ओर से राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एवं आयुक्त अविचल चतुर्वेदी (आईएएस) और शिक्षा विभाग की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. स्नेहलता शर्मा के साइन हैं। एनजीओ की ओर से बांसवाड़ा जिले के खेड़ा गढ़ी निवासी जिगर भट्ट और सागवाड़ा के आबेरी गांव के दिलीप दवे के साइन हैं। तीन साल के इस एमओयू में लिखा हुआ है कि एनजीओ को अपने खर्च पर 3774 स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम की स्थापना करनी होगी।
सहमति की शर्तों का उल्लंघन करने पर एमओयू निरस्त हो जाएगा। इसके बाद 20 जनवरी को अविचल चतुर्वेदी के साइन से ही एक पत्र जारी हुआ। इसमें सातों जिलों के शिक्षा अधिकारियों को स्मार्ट क्लास रूम बनाने के एमओयू में सहयोग करने के लिए कहा था। इसके बाद एक पत्र परिषद की ओर से ही 4 सितंबर, 2024 को और जारी हुआ था।
इसमें उन्होंने कहा कि स्कूलों की स्थिति से संबंधित सर्वे के लिए एनजीओ को सहयोग करना है। परिषद की ओर से जारी हुए दोनों पत्र भी विरोधाभासी लग रहे हैं क्योंकि एक में स्मार्ट क्लास रूम का जिक्र और दूसरे में सर्वे का जिक्र है। इसलिए इनकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्न चिह्न है कि, ये सही हैं या गलत। हालांकि स्कूलों में वॉलियंर्स को नियुक्तियां देने का अब तक उपलब्ध सरकारी रिकॉर्ड में कहीं भी जिक्र नहीं है।
{सरकारी टीचर्स ने भी गांव-गांव जाकर एनजीओ का प्रचार किया: पीड़ितों ने बताया कि घाटोल में सरकारी टीचर बड़ी-बड़ी गाड़ियां लेकर गांव-गांव आते थे। पीड़ितों के परिजनों से बेरोजगार युवाओं को नौकरी की बात कहकर फर्जी सरकारी आदेश दिखाकर भरोसे में ले लेते थे।
ऐसे में परिजन सरकारी नौकरी के लिए कर्जा लेकर, जमीन और गहने गिरवी रखकर और रुपए ब्याज पर लेकर एनजीओ को दिए। दूसरी ओर, अब एनजीओ से जुड़े प्रमुख लोग बचने के लिए अपने कुछ कर्मचारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जबकि पूरी साजिश इन प्रमुख लोगों ने की हैं।
{कमीशन बेस पर सहयोग कर रहे हैं कई अधिकारी: निदेशालय, जिला स्तर और स्कूलों के स्तर पर भी कई अधिकारियों, संस्था प्रधानों और अध्यापकों की ओर से कमीशन के बदले एनजीओ का सहयोग करने की जानकारियां सामने आ रही हैं। इस मामले में अब विस्तृत जांच की जरूरत है, लेकिन जिलास्तरीय अधिकारी मामला निदेशालय का बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
हालांकि बांसवाड़ा जिला स्तर पर अधिकारियों ने यह आदेश सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को जारी किर दिए हैं कि एनजीओ के वॉलियंटर्स की कहीं भी उपस्थिति प्रमाणित नहीं करनी है। उनके साइन रजिस्टर में नहीं करवाने और उनसे बच्चों को पढ़वाना नहीं है।
{28 अक्टूबर 2024 को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद और एनजीओ के बीच हुए कथित एमओयू की कॉपी। यह 5 पेज का है।
{20 जनवरी 2025 को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से स्मार्ट क्लास प्रोजेक्ट में सहयोग के लिए जारी किया पत्र