बांसवाड़ा में किसानों की फसल पर संकट:बारिश और कीट प्रकोप से सोयाबीन को नुकसान, खाद की कालाबाजारी से परेशानी

बांसवाड़ा जिले के किसानों के सामने इस बार खरीफ सीजन में गंभीर संकट खड़ा हो गया है। अतिवृष्टि और कीट प्रकोप ने सोयाबीन की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में खड़ी फसल के पत्ते पीले पड़ने लगे हैं और इल्लियों के प्रकोप से पत्तियां चट हो रही हैं। कई जगहों पर किसानों की मेहनत पूरी तरह बर्बाद होने की कगार पर है। वहीं दूसरी ओर खाद की कालाबाजारी की वजह से महंगे दामों पर खाद खरीदकर लेनी पड़ रही है। किसानों ने खाद की कालाबाजारी पर भी अंकुश लगाने की मांग की है। किसानों का कहना है कि समस्याओं की लगातार अनदेखी करना अनुचित है। यदि सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए तो वे अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन करेंगे।
किसानों पर दोहरी मार किसान संघ के प्रांतीय अध्यक्ष रणछोड़ पाटीदार ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं से पूरी तरह बेखबर है। उन्होंने आरोप लगाया कि “किसानों ने करीब 11 करोड़ रुपए का बीमा प्रीमियम जमा कराया है, लेकिन जिले के लिए महज 2 करोड़ रुपए की बीमा राशि ही पारित की गई है। यह किसानों के साथ सीधा खिलवाड़ है। ब्लॉक अध्यक्ष अर्जुन मसाणी ने बताया कि सोयाबीन की फसल में इल्लड़ों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। किसानों को महंगी कीटनाशक दवाइयां खरीदकर छिड़काव करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी फसल की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ रही है।
खाद की कालाबाजारी और मक्का किसान परेशान किसान डूंगर राठौड़ और खुमान सिंह चौहान ने बताया कि मक्का की फसल करने वाले किसानों को खाद की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। खुले बाजार में व्यापारी खाद को ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। जिससे किसान मजबूरी में महंगे दाम चुकाकर ही खाद खरीदने को विवश हैं। उन्होंने मांग की कि खाद की आपूर्ति सीधे सहकारी लेम्पस के माध्यम से की जाए, ताकि कालाबाजारी पर रोक लग सके।
सरकारी योजना भी सीमित किसान रतन सिंह राव ने कहा कि सरकार ने बैल से खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है, लेकिन यह लाभ महज 500 किसानों तक ही सीमित है। जिले के हजारों किसान इस योजना से वंचित रह जाएंगे।
कंटेंट/वीडियो- नारायण कलाल, बागीदौरा