इनसे सीखें... सरकार ने नहीं सुनी तो स्वराज साथियों ने कूपड़ा ओवरब्रिज की टूटी सड़क के गड्ढे भरे
जिले की हवा इन दिनों अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए खतरा बन गई है। इसका मुख्य कारण है टूटी और खस्ताहाल सड़कें हैं। टूटी सड़कों के कारण जिले की आबोहवा इतनी बिगड़ी कि एक्यूआई 154 तक पहुंच गया है। अगस्त में 10 दिन बारिश के छोड़कर शेष 21 दिनों में एक्यूआई 100 से ज्यादा ही रहा है। नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार एक्यूआई 100 से ज्यादा होने पर फेफड़े के रोगों से पीड़ित, अस्थमा और हृदय रोगियों को सांस लेने में दिक्कत होती है।
उन्हें हार्ट अटैक तक आने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, एनएसी इंडेक्स हवा में धूल के कणों को पीएम-10 के रूप में दर्शाता है। जिसका मतलब है कि हवा में मौजूद कण 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं। पीएम-10 हवा में धूल, मिट्टी और धुंध के कण की मात्रा बताता है। ये धूल के कण आसानी से सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। इसी वजह से पहले से बीमार लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है।
जिले के सभी अस्पतालों में अस्थमा के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। पहले रोज औसत 25 लोग पहुंचते थे, अब 150 पहुंच रहे हैं। वाग्धारा के स्वराज साथियों ने कूपड़ा ओवरब्रिज के पास सड़क की खराब हालत देखी तो खुद ही सुधारने पहुंच गए। संस्था सचिव जयेश जोशी, मानसिंह और कैलाश निनामा ने बताया कि रविवार सुबह 5 बजे सभी साथी इकट्ठा हुए और ढाई घंटे में ही सड़क के गड्ढे भर दिए। गौरतलब है कि कूपड़ा ओवरब्रिज के ऊपर की सड़क भी पूरी तरह से टूट गई है। वहीं नीचे की दोनों साइड की सड़क पर भी बड़े-बड़े गड्ढे हैं। अगस्त एक्यूआई 1 109 2 106 3 93 7 79 8 108 9 67 10 96 11 100 12 69 {एक सितंबर को एक्यूआई 154 दर्ज किया गया। 13 110 14 99 15 127 16 131 17 120 18 132 19 119 20 185 21 152 22 136 23 130 24 71 25 86 26 74 27 53 28 69 29 92 30 136 31 129 { अच्छा {अगस्त में 10 दिन ही अच्छी बारिश हुई, शेष दिन बारिश नहीं हुई। जब-जब बारिश हुई, तब धूल नहीं उड़ी।