जब आदिवासी पंच से लेकर राष्ट्रपति है तो भील प्रदेश लाने से क्या हो जाएगा : मालवीया
मानगढ़ धाम पर 18 जुलाई को आदिवासी परिवार व भील प्रदेश मुक्त मोर्चा के सांस्कृतिक सम्मेलन में खुद को हिंदू नहीं मानने के बयान पर रविवार को भाजपा जिला कार्य समिति की बैठक में कड़ा आक्रोश व्यक्त किया। प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, कैबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी, निवर्तमान सांसद कनकमल कटारा, सांसद प्रत्याशी महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने इसे तालिबानी गतिविधियां, ईसाई मिशिनिरयों का प्रसार-प्रचार, धर्मांतरण का हिस्सा बताते हुए कहा कि आदिवासी परिवार की मेनका डामोर, राजकुमार रोत और बाकी अपने बाप-दादा से पूछे कि उनकी शादी किन रीति रिवाजों से हुई। उनकी मां और दादी माथे पर बिंदी, मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनती थी की नहीं। हमारा आदिवासी सनातनी है। क्या चूड़ियां भी निकाल दें। आदिवासी भाइयों को क्या टाई-सूट पहना चाहते हैं।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि राहुल गांधी संसद में संविधान के टुकड़े-टुकड़े करता है। हिंदू को हिंसक कहता है। एक आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर पहुंचती है तो ये लोग वोट देने तक नहीं जाते हैं। मेरे साथ संकल्प लो कि जो हिंदुत्व को गाली देते हैं। जाति के आधार पर देश को बांट रहे हैं, उनको सबक सिखाएंगे। केबिनेट मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि पहले तो तुम बताओ कि तुम किसकी औलाद हो? एक विधायक कहते हैं कि हमें थाने नहीं जाना है, समाज की बैठक में सुलटारा करेंगे। फिर संविधान और कानून किसके लिए बना। ये तालिबानी फतवे नहीं चलने देंगे। उन्होंने युवा को लाठी-भाटा पकड़ा दिया है। युवाओं को पत्थरबाज बनाकर खड़े कर रहे हैं। बैठक में विधायक कैलाश मीणा, प्रदेश उपाध्यक्ष नाहरसिंह, महामंत्री श्रवणसिंह, जिलाध्यक्ष लाभचंद पटेल, पूर्व मंत्री धनसिंह रावत, भवानी जोशी, जिला प्रमुख रेशम मालवीया, कृष्णा कटारा, हकरू मईड़ा, राजेश कटारा, भीमा भाई डामोर, मनोहर पटेल, मुकेश रावत, दीपसिंह वसुनिया समेत सैकड़ों भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे। सांसद प्रत्याशी महेन्द्रजीत सिंह मालवीया ने कहा कि अभी आदिवासी भाई पंच, सरपंच, मंत्री है। दो सीएम और राष्ट्रपति भी आदिवासी हैं। जब हम सब बन सकते हैं तो भील प्रदेश लाकर क्या कर दोगे। पहले 4 व्यक्तियों ने भील प्रदेश का नारा लगाया था, 3 चले गए, चौथा सोमा भाई बाकी है। आप तय करें कि ये खुद आदिवासी हैं या नहीं। उनका बयान एक राजनीतिक स्टंट है। ये कुछ समय के बुलबुले आए हैं, फूट जाएंगे।
पूर्व सांसद कनकमल कटारा ने कहा कि राजकुमार रोत के नेतृत्व में ईसाई मिशनरियों का प्रचार चल रहा है। यह हम नहीं करने देंगे। ये आदिवासी समाज को क्या देना चाहते हैं। ये विदेशी ताकतें हैं। राजकुमार रोत और आदिवासी परिवार के अन्य लोग अपने बाप, दादा से पूछें कि उनकी शादी कैसे हुई। बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र सनातनी पहचान है। ईसाई ये नहीं करते हैं। हम सब भाइयों को एक होना है, चौरासी विधानसभा का चुनाव जीतना है।