होली के धधकते अंगारों पर चले ग्रामीण: ढोल की थाप और होली माता के जयकारों के बीच निभाई परंपरा, मांगी निरोगी और खुशहाली की मुराद

होलिका दहन के बाद दूसरे दिन कोकापुर में ग्रामीणों ने दहकते अंगारों पर चलने की परम्परा का निर्वहन किया।
होलिका दहन के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को कोकापुर गांव में ग्रामीणों ने दहकते अंगारों पर चलने की परम्परा का निर्वहन किया। इस दौरान ढोल कुंडी की थाप और होली माता के जयकारों के बीच ग्रामीण अंगारों में होकर गुजरे।
प्रदेश के आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में होली पर अलग-अलग परम्पराओं का निर्वहन सदियों से लोग करते आ रहे हैं। उन्ही परंपराओं में से एक परंपरा है दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने की। इसे सुनकर और देखकर आश्चर्य जरूर होगा, लेकिन वाकई में डूंगरपुर जिले के कोकापुर गांव में होली के अवसर पर जलती होलिका पर चलने की परंपरा है, जो अपने आप में क्षेत्र का अनोखा है।
परंपरानुसार होलिका दहन के दूसरे दिन सुबह सैकड़ों लोग होलिका स्थल पर इकट्ठे हुए। निरा देवी कलाल बताती है की जलती होली के दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर पुरानी मान्यताओं को पूरा किया। ढोल-कुंडी की थाप पर सैकड़ों लोग जुटे। ढोल की थाप पर गैर खेलते हुए एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी। गांव के हनुमान मंदिर और शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद होली के जलते अंगारों पर चलने की परंपरा का निर्वहन किया गया। गांव में बुजुर्ग हो या युवा सभी ने दहकते अंगारों में चहलकदमी करते हुए सदियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया। वहीं गांव में खुशहाली की कामना की।
गांव के विपिन गांधी, कांतिपूरी गोस्वामी, लालजी भाई पाटीदार, रमण भाई पाटीदार, दलजी पाटीदार, कुश गोस्वामी, कानजी भाई, जितेन्द्र कलाल, रमेश, कमल, राजेश, रितिक समेत कई लोग धधकते अंगारों से गुजरे। इस दौरान विकास मेहता, नरेश कलाल, निरा कलाल, पुरुषोत्तम कलाल, शिवराम पाटीदार, मोगजी पाटीदार, लोकेश उपाध्याय, इन्द्र प्रकाश उपाध्याय, कमलेश, लवजी, हरीश, दिनेश, पवित्रा जोशी मौजूद रहे।
गांव में मान्यता है की होलिका दहन के बाद दहकते अंगारों पर चहलकदमी करने से गांव पर कोई विपदा नहीं आती और गांववासियों का स्वस्थ्य भी ठीक रहता है। इस परम्परा को देखने आसपास के कई गांवों के लोग कोकापुर पहुंचे। हजारों साल से ग्रामीण इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं ओर कोई भी अनहोनी नहीं हुई है।