सेनावासा सरपंच के खिलाफ ग्रामीणों ने 2 केस दर्ज कराए, भ्रष्टाचार के 6 सबूत दिए
घाटोल की ग्राम पंचायत सेनावासा के ग्रामीणों ने सरपंच गणपत कटारा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच ने निर्माण कार्यो में घोटाले किए हैं। बिना निर्माण कराए ही भुगतान उठाए गए हैं। उसके विरूद्ध ग्रामीणों ने घाटोल थाने में दो एफआईआर भी दर्ज कराई थी। मनरेगा में पात्रों को वंचित कर अपनी मां और भाई को 400 दिन का रोजगार देकर भुगतान उठाया गया। जबकि कई ऐसे वंचित हैं, जिनको 4 साल में 50 दिन का भी रोजगार नहीं मिला।
पट्टा वितरण में भी मनमानी की गई है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच ने सरकारी आबादी में अपने चहेतों को पट्टा वितरण कर उनका पंजीयन कर सरकार को चूना लगाया है। ग्रामीणों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि आगामी दिनों में पंचायती राज का कार्यकाल पूर्ण होने वाला है। ऐसे में चुनाव होने तक सिर्फ प्रशासक या फिर ग्राम विकास अधिकारी को ही चार्ज दिया जाए। वर्तमान सरपंच को चार्ज नहीं दें। सरपंच को पाबंद किया जाए कि वो चुनाव होने तक ग्राम पंचायत के कामांे में हस्तक्षेप नहीं करे और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच की जाए। ग्रामीणों में केलजी, रमण, मणीलाल, बापूलाल, नाथू्र नरेश, मांगीलाल वडेरी आदि शामिल है। {गांव में 30 साल से निवास कर रही मधु पंचाल को आवेदन के बाद भी आवासीय पट्टा और मनरेगा में रोजगार नहीं दिया, पति को पेंशन भी नहीं मिल रही। 21 दिसंबर 2024 को कलेक्टर को शिकायत की। { मधु पंचाल अपने मानसिक रूप से बीमार पति की पेंशन शुरू कराने के लिए आवेदन किया। सरपंच से हस्ताक्षर कराने पहुंची तो उन्होंने नहीं किए। गांव के एक व्यक्ति ने उसकी मदद की कोशिश की तो उसके साथ सरपंच ने मारपीट की। जिसका केस घाटोल थाने में दर्ज कराया। { सरपंच ने वर्ष 2020 से 2024 तक मां अपनी मां कंकू पत्नी हरदू कटारा को 349 दिन और सगे भाई गेबीलाल को 431 दिन का घर बैठे मनरेगा में रोजगार देकर भुगतान भी उठाया। इसके अलावा भी कई बार फर्जीवाड़ा किया। { सरपंच की पत्नी शिल्पा कटारा जो वर्ष 2021 में 4 दिन तक डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती रही थी। सरपंच ने इस दौरान भी उसकी पत्नी शिल्पा के नाम से मनरेगा में उपस्थित दर्शाकर भुगतान उठाया लिया। { बीपीएल परिवार के मीठालाल, परतू, संतू, कमला चरपोटा, नाथू, बापूलाल और अमृतपाल गर्ग, राजू जैसे करीब 40 परिवारों को रोजगार नहीं दिया, जबकि अपने चहेतों को कैटल शेड, आवास और मनरेगा में बिना काम रोजगार दिया। { पूर्व सरपंच ने करीब 20 साल पहले मृत हो चुके रंगी कटारा, इसके पुत्र भानजी की मनरेगा में उपस्थिति दर्शाकर 25 जून 2019 से 9 जुलाई 2019 तक कुल 13 दिन का भुगतान फर्जी तरीके से उठा लिया था। ग्रामीणों का आरोप है कि वो अपने किसी भी काम के लिए जब सरपंच के पास जाते हैं तो उसके द्वारा उनके काम नहीं किए जाते हैं। सरपंच कहता है कि तुमने मुझे वोट नहीं दिया है, इसलिए तुम्हारे काम नहीं करुंगा।
सरपंच सिर्फ उन्हीं लोगों के काम करता है जो उसके रिश्तेदार हैं या फिर करीबी लोग हैं। हम भी तो उसकी पंचायत में निवास करते हैं। गणपत कटारा जब से सरपंच बना है, तब से भी ग्रामीणों को परेशान किया जा रहा है। गांव में विकास के नाम पर करोड़ों रुपए का बजट आया और उठ भी गया, लेकिन गांव में विकास नहीं हुआ। ग्रामीणों ने कलेक्टर से सभी कामों की जांच कराने की मांग की है। ^मैं सरपंच हूं तो क्या मेरे मां और भाई मनरेगा में रोजगार के पात्र नहीं होंगे। मेरे सरपंच बनने से पहले से ही उनके रोजगार कार्ड बने हुए हैं तो उनको नियमानुसार रोजगार दिया गया।
डिलीवरी के लिए जब पत्नी अस्पताल में भर्ती थी तो उसके नाम से मनरेगा रोजगार में नाम लिखकर भुगतान उठाने की तो जांच हो चुकी है। अब इसे क्यों उठाया जा रहा है। रही बात मृत लोगों के नाम से मनरेगा में रोजगार दिखाकर भुगतान लेने की तो वो मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है। ये तो पूर्व सरपंच के समय का मामला है। पंचायत के कुछ लोग चुनाव के समय ही मेरे विरोध में थे, वो आए दिन शिकायतें करते रहते हैं। वो चाहते ही नहीं है कि मैं सरपंच रहूं। -गणपत कटारा, सरपंच ग्राम पंचायत सेनावासा