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यूनिवर्सिटी ने बो दिए आस्ट्रेलियन बबूल, गिरेगा जल स्तर

Banswara
यूनिवर्सिटी ने बो दिए आस्ट्रेलियन बबूल, गिरेगा जल स्तर
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गोविंद गुरु ट्राइबल यूनिवर्सिटी (GGTU) के एक गलत निर्णय से बड़वी स्थित कैंपस और समीप के खेतों में जमींदोज जल संकट का खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह यहां हाल ही में आस्ट्रेलियन बबूल के 8 फीट लंबे 200 पौधे रोपे गए हैं। इसके अलावा कांटेदार झाड़ियों वाले करंजी और बउगाइन वेली के 100-100 पौधे अलग है। विदेशी (गांडा) बबूल के नाम से पहचान रखने वाले आस्ट्रेलियन बबूल की विशेषता है कि ये समीपवर्ती वनस्पति को पनपने नहीं देता। विदेशी बबूल जमीन के जल स्तर को भी नीचे ले जाता है। वैज्ञानिक तथ्यों के हिसाब से विदेशी बबूल की जड़े जमीन में पानी का पीछा करते हुए गहरे में चली जाती हैं। जमीन में नीचे तक पानी खींचने के गुणों के कारण दूसरी वनस्पति के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगता है।

बता दें कि यूनिवर्सिटी ने अगस्त महीने में एक ठेकेदार फर्म केा पूरे कैंपस में 1300 पौधे लगाने की जिम्मेदारी दी है। खास बात तो ये है कि यूनिवर्सिटी ने निविदा शर्तों में पौधों की लंबाई तक तय कर दी थी, लेकिन ये तय नहीं किया कि पौधों की ये लंबाई दो साल बाद की मानी जाएगी या फिर शुरुआत की।
फाइनेंस बीड में अकेली फर्म
यूनिवर्सिटी की ओर से 8 जून को कैंपस में पौधे लगाने के लिए ऑनलाइन निविदा आमंत्रित की गई। इसमें कुल 3 फर्मों ने हिस्सा लिया। इसमें भी दो फर्म टेक्निकल क्वालीफाई नहीं हुई। इसके बाद एक मात्र फर्म की फाइनेंस बीड खोली गई। इसमें 9 लाख 70 हजार में नवसारी की सहयोग फर्म को 2 साल के लिए टेंडर दिए गए। इस फर्म को इस अवधि में पौधों की देखरेख से लेकर पानी पिलाने तक की जिम्मेदारी है। यूनिवर्सिटी की ओर से फर्म को 80 प्रतिशत रािश भी स्वीकृत कर दी गई है, जबकि शेष राशि पौधों को जीवित हैंडओवर करने पर जारी होंगे।
ऐसे पौधे हैं शामिल
यहां बोर्सली, सतपरनी, गरमालो, कादम, सन मोहर, गुलमोहर, रैन ट्री, सप्थोदिया, बादाम, करंजी, बोटलब्रश जैसी फूलों की बिरादरी होगी। वहीं यूनिवर्सिटी के फ्रंट पर आसोपलाव, क्रोनोकर्पस, वहीं यूनवर्सिटी के पीछे की ओर थ्रोनी बंबू, मालाबार नीम, नीम, वाद, पीपल, फिस्टाइल पॉम, कोकोनट पॉम, सीता अशोक, कैलाशपति, पलास, टेस्क, सेवन, महागोनी, अर्दुशा, शीशम, सिमदो, अर्जुन, अरीथा, बहेड़ा, हर्डे, बैलपत्र, मीठा नीम, अहजान, ओनला ग्राफ्टेड, गोरस अमली, जामुन, सेफ्ड जामुन, मैंगों वैराइटिज, सप्थोड़ा, लेमन, अंजीर, अमरूद, सीता फल, किन्नू, ग्रीन बंबू, गोल्डन बंबू, बुद्ध बंबू, सफेद चंपा, सन चंपा, हेज प्लांट लगाए गए हैं। इन पौधों की ऊंचाई 6 फीट से 10 फीट तक निर्धारित की गई है।
मेरे आने से पहले काम शुरू
यूनिवर्सिटी में बतौर इंजीनियर सेवाएं दे रहे विजेंद्रसिंह चौहान ने बताया कि विदेशी बबूल लगाने का निर्णय उनके पहले का है। उन्होंने अभी दो माह पहले ही यूनिवर्सिटी जोइन की है। इसलिए निविदा शर्तों और पौधों को लेकर विशेष जानकारी नहीं है।

ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए

वन विभाग के बांसवाड़ा DFO हरिकिशन सारस्वत ने बताया कि यूनिवर्सिटी को ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए। वह इस बारे में राय मांगते तो हम मना कर देते। हकीकत में ये पौधे जमीन का जलस्तर कम करते हैं। इसके वजूद से दूसरी वनस्पति प्रभावित होती है। बांसवाड़ा में पानी जैसी दिक्कत नहीं है। रेगिस्तानी जमीन में ये पौधे जरूर जानवरों का पेट भरने के काम आते हैं। यूनिवर्सिटी में इन पौधों की उपयोगिता नहीं। यह स्वत: उगने वाले पौधे हैं।

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