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लॉकडाउन में बेरोजगार हुए पिता व तीन बेटों ने 20 दिन में खोदा 45 फीट कुआं

Banswara
लॉकडाउन में बेरोजगार हुए पिता व तीन बेटों ने 20 दिन में खोदा 45 फीट कुआं
@HelloBanswara - Banswara -

यह कहानी बांसवाड़ा जिले के चांदरवाड़ा पंचायत के रोहनिया गांव की है। इस गांव के एक परिवार में तीन भाई हैं। पिताजी और तीनाें भाइयाें की चाय-नाश्ते की दुकान है। लाॅकडाउन के कारण चारों बेरोजगार हुए तो उन्होंने आपदा को अवसर में बदला और 20 दिन में 45 फीट गहरा कुंआ खोद दिया। खुदाई के दौरान कुएं में पानी आया तो उन लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्हाेंने घाेषणा की कि पूरे गांव काे पेयजल निशुल्क देंगे। यह कहानी इसलिए भी प्रेरणादायी है क्याेंकि जिले का अानंदपुरी ब्लाॅक नाॅन कमांड एरिया में है और यहां पर पेयजल की काफी किल्लत है। रोहनिया गांव के नरपत सिंह राणावत और उनके तीन बेटे रविंद्र सिंह, राजपाल सिंह और प्रदीप सिंह की कांगलिया चौराहे पर चाय-नाश्ते की दुकान थी। अप्रैल में लॉकडाउन लगने के बाद काम बंद हो गया। चाराें ने मिलकर लॉकडाउन में कुआं खोदने की योजना बनाई। एक भाई रविंद्रसिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण लॉकडाउन में कुआं खोदने की याेजना बनाई ताकि रबी में सिंचाई के लिए खेतों में पानी मिल सके। नाॅनकमांड एरिया हाेने से यहां पानी की काफी दिक्कत है।सभी ने मिलकर तय किया और 29 अप्रैल से कुआं खोदना शुरू किया। देखते ही देखते 20 दिन में पिताजी, तीन भाइयों और परिजनाें ने मिलकर 20 दिन में 45 फीट गहरा और 30 फीट चाैड़ा कुआं खोद दिया। कुएं में पानी आ गया। इससे परिवार में खुशी छा गई।


70 गांवाें में 6 माह पानी की किल्लत
आनंदपुरी ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतों के 70 से अधिक गांवों में साल में 6 माह पेयजल की किल्लत रहती है। यहां के लोग गर्मी की सीजन में 2-2 किमी दूर जाकर कुओं और हैंडपंप से पानी लाते हैं। इस वजह से लोग दीपावली के बाद रोजगार के लिए गुजरात और महारष्ट्र पलायन कर जाते हैं, जो बारिश से पहले वापस घर आते हैं। इन पंचायतों में सिर्फ खरीफ की ही फसल होती है, रबी में खेत वीरान रहते हैं।
छाजा. राेहनिया गांव में खाेदा गया कुअां।

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