12 साल के बच्चे ने कराई परेड: अहमदाबाद के हॉस्पिटल में भर्ती मां से मिलने निकला, रात 2 बजे रोडवेज बस स्टैंड पर मिला
दरअसल, मामला सरेड़ी बड़ी के रहने वाले प्रभास शुक्ला से जुड़ा है, जो कि परतापुर की मेक्सफोर्ट एजुकेशन स्कूल की छठी क्लास का स्टूडेंट है। प्रभास की मां का अहमदाबाद स्थित सनफ्लावर हॉस्पिटल में ऑपरेशन होना था। इसलिए मां नेहा शुक्ला, पिता विरल शुक्ला और दादी 17 फरवरी को अहमदाबाद गए थे। इस बीच प्रभास उसके दादा के साथ घर में अकेला था। अगले दिन शाम को दादा घर से बाहर घूमने गए तो प्रभास भी बिना बताए अहमदाबाद के लिए निकल गया। उसने बड़ी सरेड़ी से बांसवाड़ा के लिए बस पकड़ी और रोडवेज बस स्टैंड पहुंच गया। शाम 6 बजे उसके दादा को बेटा गायब मिला तो उन्होंने इसकी सूचना अमरदीप बैंगलोज, बांसवाड़ा में रहने वाले छोटे बेटे शैलेंद्र शुक्ला को दी। इसके बाद परिवार ने अहमदाबाद में भाई को फोन लगाकर बच्चे के आने की जानकारी ली, जहां से जवाब न में मिला। परिवार ने बिना देर लगाए पहले तो थाने में घटना की सूचना दी। बाद में उसकी तलाश शुरू की।
बस का नाम जानता था, कहां से मिलती है पता नहीं था
परिवार की मानें तो प्रभास इससे पहले उसके माता-पिता के साथ अहमदाबाद गया था। उसे ये तो पता था कि अनीता-माया ट्रेवल्स की बस अहमदाबाद जाती है। उसे अहमदाबाद के हॉस्पिटल का नाम भी पता था, लेकिन प्राइवेट बस कहां से मिलेगी। इस बारे में उसे जानकारी नहीं थी। इसलिए वह रोडवेज बस स्टैंड पर जाकर बस का इंतजार कर रहा था।
डर था कि दादा जाने नहीं देंगे
बच्चे ने उसके चाचा को बताया कि अगर, वह दादा से अहमदाबाद जाने के लिए पूछता तो उसे जाने नहीं देते। इसलिए दादा के घर से निकलने के बाद ही वह बांसवाड़ा के लिए निकल गया। इस बीच उसे बांसवाड़ा पहुंचने का मौका भी मिल गया।
परिवार ने प्यार से समझाया
पूरे मामले में खास बात यह रही कि तलाश में हैरान परिवार ने प्रभास को एक शब्द नहीं कहा। रोडवेज बस स्टैंड पर उसे वेटिंग सीट पर बैठे देख परिवार ने पहले तो राहत की सांस ली। बाद में उसे प्यार से समझाया। घर पहुंचने के बाद दादा ने भी उसे लाड़-प्यार कर गले लगाया। इधर, अहमदाबाद में मौजूद पिता ने भी राहत की सांस ली। बता दें कि प्रभास घर का इकलौता बेटा है।
स्कूल आने-जाने से खुली हिम्मत
बस में सफर करने का अनुभव बच्चे को स्कूल जाने-आने के दौरान मिला। उसकी स्कूल घर से दूर पड़ती है। वह बस से स्कूल आता-जाता रहता था। वहीं कुछ अनुभव पिता के साथ यात्राओं से मिला था। बस इसी हिम्मत के साथ प्रभास ने अहमदाबाद तक जाने की योजना बनाई। वह स्कूल ड्रेस पहने हुए ही घर से निकल गया।