कुर्सी से गायब 6 लाख रुपये के जेवर फाइलों में छुपे मिले।
सीएमएचओ दफ्तर से महिला कर्मचारी के 6 लाख से ज्यादा कीमत के गायब हुए जेवर कैबिन में ही फाइलों के बीच से मिल गए। इस घटना ने सबको हैरत में डाल दिया है क्योेंकि, 6 दिसंबर को एसीबी की कार्रवाई के दिन कमरे से जेवर गायब हो गए, लेकिन काफी तलाशी के बाद भी नहीं मिले थे। वहीं शिकायतकर्ता महिला कर्मचारी ने भी पुलिस को दर्ज कराई रिपोर्ट में जेवर कुर्सी के पास रखना बताया था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर जेवर बैरक में फाइलों के बीच कैसे पहुंचे? अगर महिला ने नहीं रखे तो फिर किसने रखे?
आशंका यह भी है कि महिला की शिकायत के बाद जेवर लेने वाले व्यक्ति ने घबराकर बाद में फाइलों में रख दिए या फिर इसकी सच्चाई कुछ और है? अगर वाकई में जेवर चोरी हुए थे तो फिर क्या सच्चाई छिपाने और बरामदगी के लिए झूठी कहानी रची गई है? जेवर का मामला इसलिए भी चर्चा में था क्योंकि, लाखों के जेवर चोरी होने के बाद भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। इधर, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम से महिला कांस्टेबल को हटा दिया है। इसे सामान्य विभागीय प्रक्रिया बताई जा रही है। महिला कांस्टेबल उस दिन एसीबी की टीम में शामिल थी। फिलहाल महिला के कलिंजरा थाना क्षेत्र में कार्यरत होना बताया जा रहा है। महिला ने चैंबर में बैठे एसीबी कर्मचारियों और अन्य पर संदेह जताया था। कोतवाल देवीलाल ने बताया कि महिला के जेवर बैरक में फाइलों के बीच ही मिल गए हैं। कार्रवाई के दौरान एसीबी की टीम और अन्य कार्मिक महिला कर्मचारी के कक्ष में बैठे थे। जिले में 150 से भी ज्यादा लैब और क्लिनिक चल रही हैं लेकिन अभी केवल 28 का ही रजिस्ट्रेशन है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पिछले एक महीने से निरीक्षण अभियान पर थे। हाईटेक लैब पर दो बार जांच की गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं की। एसीबी की कार्रवाई के बाद उन्होंने निरीक्षण अभियान भी बंद कर दिया है। कार्रवाई के बाद एसीबी ने उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राहुल डिंडोर से पूछताछ की तो पता चला कि लैब पंजीयन के लिए कोई नोटशीट ही नहीं चलाई गई। केवल पत्रावली ही मिली। लैब पंजीयन का प्रमाणपत्र जारी किया हुआ था इस पर सीएमएचओ डॉ. एचएल तबियार के साइन और सील थी।
भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा बांसवाड़ा शहर की एक निजी हाईटेक नाम की लैब से पीसीपीएनडीटी के डिस्ट्रिक्ट कॉ-ऑर्डिनेटर और लैब पंजीयन प्रभारी हरिकांत शर्मा को 6 दिसंबर को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करने के मामले में कई नए खुलासे हुए हैं। भास्कर पड़ताल में सामने आया कि जब सीएमएचओ डॉ. एचएल तबियार 30 नवंबर को लैब के निरीक्षण के लिए आए थे, तब हरिकांत शर्मा भी उनके साथ था। उस समय लैब का पंजीयन नहीं मिलने पर हरिकांत शर्मा ने लैब के ताला लगाकर चाबी अपने साथ ले गया और वहां के सफाईकर्मी कह दिया कि तुम्हारा मालिक आ जाए तो ऑफिस भेज देना। इसके बाद जब परिवादी लैब संचालक सुरेंद्र पटेल वहां गया तो हरिकांत शर्मा ने उससे पहले 30 हजार रुपए मांगे, लेकिन कुछ कम करने की बात पर वह 25 हजार रुपए लेने पर राजी हो गया। सूत्रों के अनुसार, आरोपी हरिकांत के रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बाद एसीबी की टीम ने सीएमएचओ डॉ. एचएल तबियार को पूछताछ के लिए बुलाया तो हरिकांत ने सीएमएचओ डॉ. तबियार के सामने ही एसीबी टीम को बताया कि यह पैसा मैंने सीएमएचओ के नाम से मांगा था। लैब पंजीयन में मिलने वाला पैसा पूरा का पूरा सीएमएचओ ही लेते हैं। इसके बदले सीएमएचओ उसे तो केवल 20 प्रतिशत कमीशन देते हैं। इसके बाद एसीबी ने सीएमएचओ को बुलाकर जब दोनों को आमने-सामने कराया तो सीएमएचओ ने नोटशीट की जानकारी होने से मना कर दिया। तब हरिकांत ने रिश्वत की चेन का पूरा राज खोला और एसीबी को बताया कि लैब के रजिस्ट्रेशन संबंधी सभी फाइलें सीएमएचओ अपने पास मंगावाते हैं और मुझे बताते हैं कि किससे कितना पैसा लेना है। लैब संचालक की ओर से पैसा देने के बाद ही पंजीयन सर्टिफिकेट जारी करते हैं। सर्टिफिकेट पर सीएमएचओ के साइन होते हैं। हरिकांत की ओर से इतना सब कुछ बताने के बाद सीएमएचओ कुछ नहीं बोले और चुप ही बैठे रहे। सीएमएचओ की ओर से इस मामले में स्पष्ट जानकारी नहीं देने के कारण एसीबी ने इस मामले में उनकी भूमिका भी संदिग्ध मानी है। इसके लिए एसीबी की टीम अब अलग से अनुसंधान करेगी।