कलेक्टर को पता ही नहीं, सीईओ ने उनकी सील पर खुद हस्ताक्षर कर जलदाय विभाग के एईएन काे प्रतिनियुक्ति पर लगाया

आदेश ही फर्जी और 2 साल से पंचायत समिति गढ़ी में काम देख रहे जलदाय विभाग के सहायक अभियंता श्यामलाल चरपाेटा
बाँसवाड़ा : प्रशासनिक व्यवस्था का एक चाैंकाने वाला मामला सामने आया है। कलेक्टर की सील पर जिला परिषद सीईओ ने अपने स्तर पर जलदाय विभाग के एईएन काे पंचायत राज विभाग में प्रतिनियुक्ति पर लगा दिया। आपकाे जानकार ताज्जुब हाेगा कि खुद कलेक्टर विशेष परिस्थितियाें के अतिरिक्त इस तरह का आदेश नहीं निकाल सकते। दाे साल से एईएन पंचायत समिति, गढ़ी में बताैर प्रतियुक्ति के पंचायतराज में स्वीकृत्तियां जारी कर रहे है और अधिकारियाें की जानकारी मेंहाेने के बावजूद उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त नहीं की गई है। बताया गया है कि कांग्रेस के बड़े नेता के इशारे पर उनकी पाेस्टिंग की गई है।जिला कलेक्टर के 23 जुलाई 2018 के आदेश से जलदाय विभाग, गढ़ी के सहायक अभियंता श्यामलाल चरपाेटा पिछले दाे साल से पंचायत समिति, गढ़ी के पद का काम देख रहे हैं। उन्हें कार्य व्यवस्था की दृष्टि से पंचायत समिति गढ़ी एवं अरथूना में अपने कार्य के साथ-साथ पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास की याेजनाओं का कार्य संपादित करने के लिए सहायक अभियंता नरेगा के रिक्त पद का अतिरिक्त कार्यभार देना बताया है। जबकि ऐसा काेई आदेश तत्कालीन कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने निकाला ही नहीं। जिला कलेक्टर की सील पर जिला परिषद के तत्कालीन सीइओ आईएएस भंवरलाल ने ही हस्ताक्षर कर दिए। एेसा भी नहीं कि जिस दिन यह आदेश निकला, उस दिन कलेक्टर का चार्ज सीईओ के पास रहा हाे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि कलेक्टर काे भी इस तरह का आदेश निकालने का अधिकार ही नहीं। कलेक्टर केवल अतिवृष्टि, महामारी या अन्य किन्हीं आपातकालीन परिस्थितियाें में केवल उस समय विशेष के लिए अस्थायी रूप से किसी अन्य विभाग के अधिकारी काे सीमित समय के लिए इस तरह का अतिरिक्त कार्यभार साैंप सकतें है। पूर्व सीईओ गाेविंद सिंह राणावत के समय यह मामला सामने अाया। इसकी नाेटशीट मांगी ताे इस आदेश के अनुमाेदन संबंधी पत्रावली मिली ही नहीं। विभागीय कार्मिकाें का कहना है कि एेसी काेई पत्रावली चली ही नहीं।
