खातेदार सुबह से ही कतार में आकर लगे, भीड़ बढ़ने पर पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत
खाते में जमा पेंशन निकालने के लिए शहर की बैंकों के बाहर शुक्रवार को पेंशनर्स की भीड़ जमा हो गई। सुबह से बैंकों के बाहर डटे पेंशनर्स को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। दूसरी ओर बाहर खड़ी भीड़ को देखकर काउंटर पर बैठे बैंक कार्मिकों की सांसें फूलती रही। ड्यूटी के बीच बैंक स्टाफ को भीड़ के कारण संक्रमण का डर सताता रहा।
दरअसल मामला यह है कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी, मृतक आश्रित पेंशन के अलावा विधवा पेंशन एवं अन्य योजनाओं से जुड़ी पेंशन एक जून को खाते में जमा हुई है। लॉकडाउन में जमा पेंशन राशि का मैसेज खातेदारों को मंगलवार शाम तक मिला।
दूसरी ओर मिनी अनलॉक की सूचना के बीच ग्रामीण इलाकों के पेंशनर्स अल सुबह ही बैंकों के बाहर आकर जमा हो गए। बाद में शहरी पेंशनर्स भी उनकी जरूरतों को लेकर बैंकों तक पहुंचे। लेकिन, बैंक कार्मिक उनके तय समय के हिसाब से सुबह साढ़े नौ बजे बाद ही पहुंचे।
संक्रमण के खतरे को भांपते हुए भीड़ को पेंशनर्स को क्रम से भीतर आने की हिदायत दी। इस बीच बाहर की ओर खातेदारों की भीड़ बढ़ती गई। एकबारगी भीड़ का मामला अनियंत्रित हो गया। पहले भीतर घुसने की जल्दी में पेंशनर्स बिल्कुल गेट के पास जाकर खड़े हाे गए।
कुशलबाग, माेहन कॉलोनी और हाउसिंग बोर्ड तिराहे की एसबीआई और कलेक्ट्रेट के नीचे बैंक ऑफ बड़ौदा के बाहर लोगों की भीड़ की सूचना पुलिस को लगी। सूचना पर कोतवाली से थानेदार जेठू सिंह एवं जाप्ता कुशलबाग पहुंचा। वहां पुलिस ने लोगों को कतार में करते हुए सोशल डिस्टेंस की पालना करने की नसीहत दी। तब कहीं जाकर स्थिति काबू में आती दिखी, हालांकि बैंक में खाते से पेंशन निकलवाने का यह सिलसिला देर दोपहर तक यथावत रहा। बैंक से मिली जानकारी के मुताबिक कुशलबाग शाखा से करीब एक हजार पेंशनर्स ने पेंशन निकाली। वहीं बीओबी में ऐसे पेंशनर्स की संख्या साढ़े छह सौ के करीब रही।
पुलिस का था डर
तलवाड़ा से आए पेंशनर नरेंद्र त्रिवेदी ने बताया कि मिनी अनलॉक के तहत सुबह 11 बजे तक ही लाॅकडाउन खुला था। इसके लिए वह सुबह जल्दी ही घर से बैंक को चले आए। यहां आकर पता चला कि बैंक तो उसके तय समय पर ही खुल रही है। मिनी अनलॉक के कायदे बैंकों पर लागू नहीं है।
ऐसे में कई घंटों तक बैंक के बाहर खड़ा रहना पड़ा। दूसरी ओर माहीडेम से आए दातारसिंह ने बताया कि वह पुलिस के डर से घर से जल्दी निकले। सोचकर आए थे कि बैंक का काम खत्म करते ही कुछ खरीदारी कर जल्दी लौट जाएंगे। अगर, शहर में देर हो गई छूट अवधि के बाद नाकेबंदी पर खड़ी पुलिस उनके दुपहिया का चालान बना देगी, लेकिन भीड़ के बीच उनका नंबर ही एक बजे आया। अब लौटते समय पुलिस को पेंशन डायरी दिखाएंगे। मान गए तो ठीक है, नहीं पेंशन की राशि से पुलिस का चालान भरेंगे।