जिद ओलंपिक में जाने की:बकरियां चराने के बाद दौड़ का अभ्यास, मां ने गहने गिरवी रख जूते खरीदे, सिल्वर जीता

- कॉलेज स्टाफ ने किराया देकर प्रतियोगिता में भेजा, राजकुमारी के नेशनल तक पहुंचने के संघर्ष की कहानी
इनसे मिलिए, यह बांसवाड़ा शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव गुलाबपुरा की रहने वाली राजकुमारी गरासिया है। चंडीगढ़ में नेशनल क्रॉस कंट्री खेल में 13 वर्ष की राजकुमारी ने 6 किलोमीटर की दौड़ में रजत पदक जीता। देश से 75 प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए राजकुमारी ने दूसरा स्थान हासिल किया। अपने पापा विनोद गरासिया के सपने को पूरा करने के लिए बचपन से ही राजकुमारी ने दौड़ की प्रैक्टिस शुरू कर दी। घर की आर्थिक स्थिति भी इतनी खराब है कि जूते भी नहीं खरीद सकती।
जब नेशनल क्रॉस कंट्री टूर्नामेंट से पहले धौलपुर में राज्य स्तरीय टूर्नामेंट के दौरान उसके बाद ना तो जूते थे और न ही वहां जाने का किराया। इसके लिए राजकुमारी की मां ने अपने गले की चेन गिरवी रखकर 2 हजार रुपए का जुगाड़ किया। इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल कर राजकुमारी ने नेशनल के लिए क्वालिफाई किया। चंडीगढ़ नेशनल प्रतियोगिता में जाने के लिए भी उसके पास पैसे नहीं थे, जिसके लिए गोविंद गुरु कॉलेज के स्टाफ ने पैसे देकर राजकुमारी को चंडीगढ़ खेलने के लिए भेजा। जहां उसने दूसरा स्थान हासिल कर जिले का नाम राेशन कर दिया।
यहां भी राजकुमारी के पास वे ही जूते थे जाे मां ने गहने गिरवी रखकर खरीदे थे।। राजकुमारी के पिता विनोद गरासिया ने बताया की बेटी काे दाैड़ने का जूनुन इतना है की बचपन में ही दौड़ की तैयारी को लेकर सुबह ही उठा देती और मुझे साथ लेकर जाती। अब भी सबसे पहले उठकर सुबह 5 बजे मैदान में ही दिखाई देती है। राजकुमारी के दिमाग में केवल ओलंपिक में जाने का जुनून सवार है।
पिता के सपने काे आगे बढ़ाने की जिद: राजकुमारी के पिता विनोद गरासिया भी अपने जमाने में खिलाड़ी रहे हैं। 10 साल पहले महाराष्ट्र के पूणे में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीता था, इस पर उनकाे 15 अगस्त पर जिला कलेक्टर ने सम्मानित भी किया। घर की जिम्मेदारी के कारण विनोद आगे अपना खेल जारी नहीं रख सके और खेती, मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करने लग गए, लेकिन अब बेटी राजकुमारी काे उसके मुकाम पर पहुंचाने के लिए उसके पिता तैयारी में लगे हुए हैं। राजकुमारी ने बताया की वह 1500 और 3000 मीटर दौड़ की तैयारी में लगी हुई है। उसका केवल सपना है कि वह देश के लिए एक दिन ओलंपिक खेले।
ट्रैक पर राजकुमारी
2016 में शिक्षा विभाग की ओर से 1500 मीटर रेस में नेशनल स्पर्धा में बड़ौदा में राजकुमारी ने तीसरा स्थान हासिल किया था। 2017 में शिक्षा विभाग के स्टेट लेवल टूर्नामेंट के 1500 और 3000 मीटर की दौड़ में भाग लेते हुए पहला स्थान हासिल किया।