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सेशन कोर्ट का फैसला-13 दोषियों को 10 साल कैद:8 साल पुराने मर्डर के केस में हिस्ट्रीशीटर भाई भी दोषी करार

Banswara
सेशन कोर्ट का फैसला-13 दोषियों को 10 साल कैद:8 साल पुराने मर्डर के केस में हिस्ट्रीशीटर भाई भी दोषी करार
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा सेशन कोर्ट में दो हिस्ट्रीशीटर भाइयों सहित प्रतापगढ़-उदयपुर के बदमाशों की गैंग के 13 लोगों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। आरोपी डकैती की साजिश रचते पकड़े गए थे। जांच में 8 साल पुराना मर्डर केस भी खुला। मामले में 3 आरोपी जमानत पर थे, जो फरार हैं।

कोतवाली पुलिस को 11 फरवरी 2016 को मुखबिर से सूचना मिली कि हथियारों के साथ गैंग के सदस्य किसी बड़े कांड की तैयारी में अब्दुल्ला पीर क्षेत्र में छुपे हैं। पुलिस ने घेराबंदी की तो एक जीप, एक बाइक के साथ अंधेरे में छिपे बैठे 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

इनमें हिस्ट्रीशीटर होली चौक, पृथ्वीगंज निवासी सिराज पुत्र रियाज एहमद और उसके सगे भाई इम्तियाज के साथ मदार कॉलोनी निवासी अब्दुल रउफ पुत्र शब्बीर एहमद, हुसैनी चौक काली कल्याण धाम निवासी इरशाद खां पुत्र नाहर खां, प्रतापगढ़ जिले के रठांजना थानान्तर्गत साकरिया निवासी फिरदोस खां पुत्र मुन्ना खां, चांद खां पुत्र अय्युब खां, पुष्पेंद्रसिंह पुत्र प्रतापसिंह राजपूत, रहीम खां पुत्र अफजल खां, अमजद खां पुत्र अफजल खां, गुलबाज खां पुत्र गुलफराज खां, चनियाखेड़ी निवासी अय्युब खान पुत्र सलीम खां, बगवास निवासी कय्युम पुत्र शाबास खां, सितामउ, एमपी निवासी गुफरान खां पुत्र नत्थे खां, खेरादीवाड़ा उदयपुर निवासी सिकंदर पुत्र इकबाल खां, झालावाड़ निवासी अय्युब पुत्र चिंटू पुत्र मोहम्मद अनीस और मंदसौर निवासी नदीम पुत्र शफी मोहम्मद शामिल थे।

इनसे पुलिस ने 7 पिस्तौल, बड़ी संख्या में जिंदा राउंड मय मैगजीन और एक चाकू बरामद किया गया।

सख्ती से पूछताछ पर पता चला कि ये गैंग बड़ी डकैती की प्लानिंग कर अंजाम देने के प्रयास में थे। इस पर पुलिस ने केस दर्ज कर सभी को गिरफ्तार किया। इसके बाद जांच आगे बढ़ाई तो पुलिस रिकॉर्ड से सामने आया कि आरोपियों में शामिल सिराज और इम्तियाज बांसवाड़ा शहर में हत्या और हत्या के प्रयास जैसे केस में लिप्त रहे हैं।

मामलों में प्रतापगढ़ कोतवाली थाना इलाके में अय्यूब और अमजद हत्या की वारदात में शामिल थे। आरोप पत्र दाखिल किया गया। प्रकरण में तीन आरोपी जमानत मिलने के बाद लापता हो गए। इस पर उन्हें फरार घोषित किया गया।

13 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई हुई। इसके बाद जिला एवं सेशन न्यायाधीश अरुण कुमार अग्रवाल ने इन सभी को दोषी करार दिया और भादसं की धारा 399 भारतीय दण्ड के तहत 10 साल के कठोर कारावास व 1-1 लाख रुपए जुर्माना एवं धारा 402 के तहत 7 साल कठोर कारावास व 50 हजार जुर्माना सुनाया।

प्रकरण में सरकार की ओर से पैरवी लोक अभियोजक खगेश सोमपुरा ने की।

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