Home News Business

स्कूल, अस्पताल, धर्मशाला के लिए 25 साल पहले ३ रु. स्क्वायर फीट मे ली 28.18 बीघा जमीन » बना दी दुकाने

Banswara
स्कूल, अस्पताल, धर्मशाला के लिए 25 साल पहले ३ रु. स्क्वायर फीट मे ली 28.18 बीघा जमीन » बना दी दुकाने
@HelloBanswara - Banswara -

 * चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर 10 गुना सस्ती कीमत पर खरीदी बेशकीमती जमीन, ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया


विजयपाल डूडी

बांसवाड़ा गरीबों के लिए अस्पताल, स्कूल व धर्मशाला खोलकर मदद करने के लिए रियायती दर पर ली गई 28.18 बीघा बेशकीमती जमीन का व्यावयासिक इस्तेमाल किया जा रहा है। मामला शहर के रतलाम रोड स्थित जमीन (खसरा 1077) से जुड़ा है। इस जमीन को लक्ष्मीकांत अग्रवाल ने ट्रस्ट संचालित करना बताकर 10 गुना कम दाम पर ली थी। लेकिन समाजसेवा के लिए ली गई इस जमीन पर 25 साल के बाद भी ट्रस्ट का नहीं करवाया। इसके उलट इसी जमीन पर पेट्रोल पंप और दुकानें बन चुकी हैं। कुछ हिस्सा गैर तरीके से बेच भी दिया। वहीं बाकी पहाड़ी वाले हिस्से में अवैध खनन कर मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है। ऐसा करके ट्रस्ट के नाम पर बेशकीमती जमीन का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है, वहीं ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाकर सरकार को भी लाखों का राजस्व का  नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसकी पड़ताल की तो ट्रस्ट के नाम पर किए जा रहे फर्जीवाड़े का सच सामने आया। 3 रुपए स्ववायर फीट में ली जमीन, दो साल बाद ही 36 रुपए स्वाक्यर फीट में बेची :  खातेदार लक्ष्मीकांत ने यह जमीन 1998 में चैरिटेबल के काम करने के लिए ली थी। जिसके लिए 1996 में डीड भी बना दी गई, ताकि जमीन बेचने वाले भामाशाह को इस बात का एहसास हो जाए कि भविष्य में ट्रस्ट बनाया जाएगा। इसके लिए केवल 3 रुपए स्वाक्यर फीट में (करीब 16.20 लाख रुपए) जमीन ली। 2 साल बाद ही जमीन का 4320 स्क्वायर फीट हिस्सा 36 रुपए स्क्वायर फीट के हिसाब से बेच दिया। बीते कई सालों से इस जमीन पर अवैध खनन किया जा रहा है।

डीड में जमीन खरीदने का उद्देश्य बताया- चैरिटेबल ट्स्ट बनाना
जमीन खरीदने से पहले सन 1996 में डीड (लिखा-पढ़ी ) तैयार की गई। जिसमें बाकायदा लक्ष्मीकांत अग्रवाल व परिवार के सदस्य को ट्रस्टी बनाया, जिसमें महावीर प्रसाद अग्रवाल, मनोहरलाल अग्रवाल, सानवारमल अग्रवाल, बिजय कुमार अग्रवाल, लक्ष्मीकांत अग्रवाल और कृष्णा कुमार अग्रवाल सदस्य बनाए। खरीदार से डीड के जरिए यह बात हुई कि तरवणी देवी अग्रवाल मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट बनेगा, जिसके तहत इस जमीन पर धर्मशाला खोलना, अस्पताल, स्कूल, सामाजिक सहायता का काम करना, गरीबों की मदद के लिए कार्य होंगे। लेकिन उसके बाद अग्रवाल ने रजिस्ट्रेशन के लिए देवस्थान के विभाग के पास भेजा तक नहीं, ताकि वह अपने खुद के उद्देश्य पूर कर सकें।

इसलिए नहीं करवा रहे रजिस्ट्रेशन 
अनुच्छेद 17 राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1959 के तहत पंजीयन किया जाना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन इसलिए नहीं करवाया ताकि ट्रस्ट एक्ट के तहत होने वाली कार्रवाइयों से बच सके। रजिस्ट्रेशन होने से अवैध गतिविधियां नहीं हो पाती। आय-व्यय का ब्यौरा देना पड़ता, ट्रस्ट लीगल हो जाने पर खुद का हित नहीं साध पाते। व्यावसायिक गतिविधिया संचालित नहीं हो पाती।

सरकार वापस लें जमीन : विक्रेता 
ट्रस्ट के लिए जमीन देने जाला परिवार भी अब जमीन के गैर जरूरी उपयोग को लेकर व्शिध में आ चुका है। जमीन बेचने वाले पार्वती शंकर की बेटी योजना दबे के पति नयनेश नागर ने बताया कि जब तक ससुर थे, तब तक लक्ष्मीकांत ने जमीन पर कुछ नहीं किया। अब तक ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन नहीं करना भी गलत है। इस जमीन को सरकार अधिग्रहित कर ले या जिसके नाम है उसे पब्लिक चैरिटेबल का काम करना चाहिए।


एक्सपर्ट व्यू   एस एल बोहरा 

बिना रजिस्ट्रेशन ट्स्ट पर क्या संभव ?
रजिस्ट्रेशन नहीं होने तक ट्रस्ट लीगल नहीं होता। ट्रस्ट के नाम से कोई गतिविधि नहीं कर सकते। डीड बनाने से किसी को कोई अधिकार नहीं मिल जाते। अन रजिस्टर्ड के नाम पर खाताधारक के पास करोड़ों की संपत्ति है। साथ ही बेचने पर पट्टा भी नहीं मिल सकता है। इसमें खाताधारक को बेदखल करने की भी कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि जिस उद्देश्य के लिए जमीन ली, वह पूरा नहीं कर रहा है।

# ट्रस्ट के नाम ली गई जमीन को बेच नहीं सकते। अगर गैर कानूनी तरीके से जमीन बैची गईं है तो रिकवरी का भी प्रावधान है।  इसके अलावा रजिस्ट्रेशन नहीं करवाकर व्यवसायिक गतिधिवियां संचालित करना भी गलत है। हम संबंधित को नोटिस जारी कर कार्रवाई करेंगे। सरकार जमीन को अधिग्रहित कर सकती है। गौरव सोनी  सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग

शेयर करे

More news

Search
×