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बोरवेल से मोटर चोरी करने के तीन आरोपी गिरफ्तार:सस्ते दामों पर बेचते थे, सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने पकड़ा

Banswara
बोरवेल से मोटर चोरी करने के तीन आरोपी गिरफ्तार:सस्ते दामों पर बेचते थे, सज्जनगढ़ थाना पुलिस ने पकड़ा
@HelloBanswara - Banswara -

बांसवाड़ा के सज्जनगढ़ क्षेत्र में बीते एक माह से सक्रिय मोटर चोर गिरोह की धरपकड़ कर पुलिस ने आधा दर्जन वारदातों का खुलासा किया है। पुलिस के अनुसार क्षेत्र के हेजाभावजी गांव में हुई दो वारदातों को लेकर किसान भूरालाल पुत्र ताजुड़ा गरासिया ने प्रकरण में गत 31 जनवरी को रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया कि रात में उसके घर के पीछे खेत में ट्यूबवेल पर लगी 2 एसपी की मोटर चोरी हो गई। तारों से बंधी मोटर को खोलकर चोर उसके साथ केबल भी निकाल ले गए। दूसरे दिन उसके मकान से 200 मीटर दूर हीरालाल पुत्र लाडजी गरासिया घर के पीछे लगे सोलर संयंत्र के पास लगी मोटर और केबल भी चोर ले गए। इस पर केस दर्ज किया गया।

ऐसे मामले बढ़ने पर एसपी हर्षधर्वन अग्रवाला के निर्देश पर सीओ कुशलगढ़ मदनलाल बिश्नोई के पर्यवेक्षण में थानाधिकारी नागेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में टीम गठित की गई। टीम ने छानबीन की और मुखबीर की सूचना पर शनिवार को संदिग्ध गराडिया निवासी राकेश उर्फ राका पुत्र हकरू डामोर, महेंद्र पुत्र लालू बामनिया और हेजाभावजी गांव के ही मनीष पुत्र भूरा को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपियों ने अपने एक अन्य साथी हेजामोगजी निवासी भारत पुत्र मनजी गरासिया के साथ मिलकर इन वारदातों के अलावा आठ-दस अन्य चोरी कबूली। इस पर इनसे कुछ मोटरें बरामद की गई, जबकि अन्य के लिए पुलिस के प्रयास जारी है। कार्रवाई दल में एएसआई

छगनलाल, हेड कॉन्स्टेबल भरतकुमार, पुष्पेंद्रसिंह, कॉन्स्टेबल शैलेंद्र, कल्पेश, जयंतीलाल, महेश, बहादुरसिंह और चालक कॉन्स्टेबल देवेंद्रसिंह शामिल रहे।

दूसरों को सस्ते में बेचने के फिराक में थे आरोपी

आरोपियों ने गराडिया में मालजी पुत्र रामजी गरासिया, धुला पुत्र सोमजी गरासिया, जोहन पुत्र गलिया गरासिया व एक अन्य किसान के खेतों के कुएं की मोटरों के अलावा अनास नदी में लगी चार मोटरें, हेजाभावजी में ही कालू पुत्र दलजी गरासिया के कुएं से सबमर्सिबल मोटर मय केबल, पचाल गांव के खेत से बोरवेल के सबमर्सिबल मोटर चोरी सहित एक दर्जन वारदातें की। पूछताछ में सामने आया कि कुछ दिन मोटरों को छिपाकर रखने के बाद वे दूसरे क्षेत्रों के जरूरतमंद किसानों को औने-पौने दामों में बेच देते थे।

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