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रीट लेवल-1 : 80 अभ्यर्थी कॉलेज में नियमित पढ़ रहे, एसटीसी की फर्जी डिग्री लाकर परीक्षा दी...डीवी के लिए चुन भी लिए गए

Banswara
रीट लेवल-1 : 80 अभ्यर्थी कॉलेज में नियमित पढ़ रहे, एसटीसी की फर्जी डिग्री लाकर परीक्षा दी...डीवी के लिए चुन भी लिए गए
@HelloBanswara - Banswara -

शिक्षक भर्ती-2021 में रीट लेवल 1 में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। कई अभ्यर्थी एसटीसी की डिग्रियां फर्जी हैं। भास्कर ने 12 दिन तक गाेविंद गुरु ट्रायबल यूनिवर्सिटी के 2020-21 सत्र के इंट्रीग्रेटेड बीएड में 24 कॉलेजों में पढ़ रहे 6000 अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की 12 दिन तक पड़तान की। भास्कर पड़ताल में सामने आया कि टीएसपी के बांसवाड़ा-डूंगरपुर और प्रतापगढ़ में चयनित अभ्यर्थियों में 80 अभ्यर्थियों की एसटीसी की डिग्रियां फर्जी है, क्योंकि यह अभ्यर्थी गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के अधीन काॅलेजाें में इंटीग्रेटेड बीए बीएड, बीएससी बीएड में अध्ययनरत हैं। यह 80 अभ्यर्थी सत्र 2020-21 के ही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन अभ्यर्थियों ने 12वीं के बाद नियमित बीएससी, बीएड, बीए-बीएड में प्रवेश लिया है ताे किस आधार पर और किस वर्ष में एसटीसी की डिग्री हासिल की? क्योंकि एसटीसी की डिग्री भी नियमित अध्ययन करने पर ही मिलती है। विश्वविद्यालय में अन्य भी नियमित पाठ्यक्रम है, जिसमें सैकडों अभ्यर्थी अध्ययनरत हैं। ऐसे में इन सभी की दस्तावेजों की जांच की जाए ताे एसटीसी की फर्जी डिग्रियां बड़ी संख्या में सामने आ सकती है। कुछ काॅलेज संचालक और जानकारों द्वारा मिली जानकारी अनुसार बांसवाड़ा-डूंगरपुर-प्रतापगढ़ में लेवल-1 में चयनित अभ्यर्थियों में से 700 के करीब अभ्यर्थी वर्तमान में जीजीटीयू में रेग्युलर डिग्रियां कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग सेे पहले भास्कर का वेरीफिकेशन : ~1.50 से 2.50 लाख में खरीदी फर्जी डिग्रियां, ज्यादातर टीएसपी क्षेत्र से

2017 में पास की दसवीं, 2021 में बीएससी बीएड में सैकंड ईयर

{886 नंबर पर बांसवाड़ा के अभ्यर्थी ऋषिराज जैन पुत्र राजेंद्र जैन का नाम शामिल है। दस्तावेजों के अनुसार ऋषिराज ने 2017 में कक्षा 10वीं पास की है। इसलिए 2019 में 12वीं पास की जा सकती है। उसने जीजीटीयू के अधीन ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ बीएड काॅलेज बड़ाेदिया में इंटीग्रेटेड बीएड में प्रवेश लिया 2020 में प्रथम वर्ष और 2021 में द्वितीय वर्ष पास किया।
गड़बड़ी यहां : {पढ़ाई नियमित जारी रखते हुए भी ऋषि ने एसटीसी की डिग्री हासिल की है। जो नहीं कर सकता है।

2016 में 10वीं पास, 2021 में बीएससी बीएड में थर्ड ईयर

{2185 नंबर पर नाम है अशाेक राव पुत्र भारतसिंह राव जाे वर्तमान में सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्णन काॅलेज बागीदौरा में बीएससी बीएड का विद्यार्थी है। अशाेक की 10वीं की मार्कशीट के अनुसार उसने 2016 में 10वीं पास की। 2018 में 12वीं और उसके बाद 2019 में बीएससी बीएड में प्रवेश लिया। उसकी थर्ड ईयर 2021 में पास की।
गड़बड़ी यहां : {अशाेक ने भी 12वीं के बाद एक भी वर्ष का गेप नहीं रखा और नियमित पढ़ाई जारी रखी। लेकिन फर्जी तरीके से एसटीसी की डिग्री हासिल कर ली।

667 नंबर पर शामिल कपिल ने 2021 में ही पास की बीएससी
{सूची में शामिल 667 नंबर पर कपिल पुत्र दिनेश चंद्र पटेल का नाम शामिल है। यानि अंतिम कट ऑफ से अधिक नंबर प्राप्त किए है। लेकिन कपिल ने 2016 में 10वीं पास की है, जैसा की उसकी अंकतालिका में वर्ष है। 2019 से लेकर अब तक लगातार वाे बीएससी का अभ्यर्थी है। कपिल ने तीनों सालाें में कुल 2425 नंबर में से 1838 अंक प्राप्त किए हैं।
गड़बड़ी यहां : {कपिल शहर के लीयाे काॅलेज बांसवाड़ा से नियमित रुप से बीएससी में अध्ययनरत है। उसके बाद भी एसटीसी की डिग्री भी हासिल की है।

सत्र 2020-21 : 33 अभ्यर्थी इंटीग्रेटेड में थर्ड ईयर में
डीवी में चयनित अभ्यर्थियों की सूची में शामिल नामाें का काॅलेजाें में अध्ययनरत इंटीग्रेटेड छात्रों के नामाें से मिलान किया ताे 2020-21 में 80 नाम सूची से मैच हुए। एल-1 में चयनित 33 अभ्यर्थी ऐसे हैं ताे 2020-21 में इंटीग्रेटेड बीएड में थर्ड ईयर में पढ़ रहे थे, 31 अभ्यर्थी ऐसे थे जाे सैकंड ईयर में थे। वहीं 13 प्रथम वर्ष और मात्र 1 अभ्यर्थी फोर्थ ईयर में था। सबसे अधिक 56 अभ्यर्थी बीएससी बीएड वाले और 24 बीएबीएड वाले हैं। इंटीग्रेटेड बीएड 2019-20 में अध्ययनरत छात्रों की सूची में भी 130-150 नाम ऐसे हैं जिनका नाम लेवल 1 की कट ऑफ सूची में शामिल है। जांच करें ताे 700 से अधिक अभ्यर्थियों पास एसटीसी की फर्जी डिग्री मिल सकती है।

इन यूनिवर्सिटी और काॅलेज की डिग्रियों की भरमार
फर्जी एसटीसी डिग्रीधारी अभ्यर्थियों के पास किन-किन काॅलेज और यूनिवर्सिटी की डिग्री हैं ये ताे पुख्ता ताैर पर डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन में ही सामने आएगा, लेकिन जानकारी और इन फर्जी डिग्रीधारियों के संपर्क में लाेग हैं उनसे बातचीत और पड़ताल में सामने आया कि दूसरे राज्यों में बिहार, हरियाणा, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश शामिल हैं। इनमें भी कुछ सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के नाम सामने आए हैं जिसमें सनराइज विश्वविद्यालय अलवर, आेपीजेएस विश्वविद्यालय चुरु, श्री कृष्णा विश्वविद्यालय छतरपुर मध्यप्रदेश, पटेल विश्वविद्यालय बालाघाट मध्यप्रदेश, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय बिहार, जेएस विश्वविद्यालय मैनपुरी उत्तर प्रदेश के नाम चर्चा में हैं।

टीएसपी में इसलिए सक्रिय हुआ फर्जी डिग्री गिरोह

रीट-2018 की भर्ती में पता चला लेवल-1 में 1167 पद रिक्त रहे, तभी से सक्रिय हुए कई गिरोह
दाेनाें ही जिलाें में वैसे ताे सालाें से अभ्यर्थी बीएड की फर्जी डिग्री का अधिक उपयोग करते आ रहे हैं। लेकिन एसटीसी की फर्जी डिग्री का जाे मामला सामने आया उसमें जानकार बताते हैं कि राजस्थान सरकार ने जनजाति उपयोजना के तहत जनजाति क्षेत्र में विशेष आरक्षण के प्रावधान से शिक्षक भर्ती में अलग से पद आवंटित किए जाते हैं। वर्ष 2018 की भर्ती में टीएसपी क्षेत्र में लेवल वन के तहत आवंटित पदों के मुकाबले योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने से लगभग 1167 पद लेवल वन में रिक्त रहे थे। कांकरी डूंगरी उपद्रव में इसका पता चला। इसलिए डीएल.एड बीएसटीसी डिग्री की होड़ मच गई। राजस्थान में आयोजित प्री. डीएल. एड (BSTC) प्रवेश परीक्षा में प्रतिभावान विद्यार्थियों का चयन हुआ एवं वे राजस्थान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त कर राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा, 2021 में प्रविष्ट होकर पात्र हो गए हैं। टीएसपी क्षेत्र में पिछले 1-2 साल में ऑन स्पॉट फर्जी डिग्री का चलन बढ़ गया है। जिसकी कीमत 1.50 लाख से 2.50 लाख रुपए तक है। जिसमें रुपए दाे डिग्री लाे का सिस्टम है। बीएड और एसटीसी के अलावा जिले में 25 से 35 हजार में लाइब्रेरी की डिग्रियां भी बेची गई है। वहीं हाल ही में कंप्यूटर अनुदेशक की भर्ती विज्ञप्ति जारी करने के बाद पीजीडीसीए की डिग्री भी 50 से 75 हजार रुपए तक पहुंच गई है।


रनिंग बीएड के साथ डिग्री लाया है, वो फर्जी है : कुलपति
हमारे अधीन काॅलेजाें में प्रवेश परीक्षा के बाद ही दिया जाता है जिसमें अभ्यर्थी की नियमित उपस्थिति हाेती है। परीक्षा भी देनी हाेती है, जिसके बाद ही मार्क्स भरकर रिजल्ट जारी किया जाता है। एसटीसी की अगर काेई अभ्यर्थी रनिंग बीएड के साथ डिग्री लाया हाे ताे वाे पूरी तरह से फर्जी है। आई.वी. त्रिवेदी, कुलपति, जीजीटीयू


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