मंत्री मालवीया की FIR पर खड़े किए सवाल:REET पेपर लीक प्रकरण में सस्पेंड शिक्षक ने पुलिस पर लगाया अपहरण का आरोप
असलम चौपदार V/s मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया।
REET पेपर लीक प्रकरण में सोशल मीडिया पर जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया का नाम आने के बाद सवाल खड़े होने लगे हैं। मानहानि के आरोप में उदयपुर से शिक्षक असलम चौपदार को बांसवाड़ा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। असलम को उदयपुर शिक्षा विभाग ने रीट पेपर लीक मामले में पहले ही सस्पेंड कर दिया है। आरटीआई एक्टिविस्ट और हाईकोर्ट के एडवोकेट गोवर्द्धन सिंह ने बांसवाड़ा पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। रविवार को सिंह ने सोशल मीडिया पर ही लाइव राजस्थान सरकार, CM अशोक गहलोत, मंत्री मालवीया के दबाव में आकर बांसवाड़ा पुलिस पर कार्रवाई का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मंत्री मालवीया ने FIR में असलम चौपदार की वजह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सरकार का अपमान होने की बात लिखवाई है। मंत्री के दबाव में आकर पुलिस ने बिना नियम-कानून देखे असलम चौपदार की गिरफ्तारी कर ली। एडवोकेट सिंह ने आरोप लगाए कि सरकार के बिना मिलीभगत के REET पेपर लीक हो ही नहीं सकता। सरकार को पूरे प्रकरण की जांच CBI से करानी चाहिए। तब ही सच लोगों के सामने आएगा।
सोशल मीडिया पर यूं बाेला था असलम
31 जनवरी को असलम चौपदार की ओर से सोशल मीडिया पर एक लाइव वीडियो में मंत्री मालवीया का नाम लिए बिना ये कहा गया कि TSP क्षेत्र के एक बड़े मंत्री भी REET पेपर लीक करने वाली सूची में शामिल हैं। इस बीच लाइव पर आए कमेंट को पढ़ते हुए असलम ने मंत्री मालवीया का नाम लिया था। इसके तुरंत बाद मंत्री मालवीया की ओर से आनंदपुरी थाने में बांसवाड़ा SP के नाम एक शिकायत दी गई थी। पुलिस ने असलम को आरोपी मानते हुए कार्रवाई की।
FIR की इन बातों पर खड़े किए सवाल
- एडवोकेट सिंह के लाइव में एतराज उठाया गया कि मंत्री मालवीया के खिलाफ असलम चौपदार ने जातिगत प्रताड़ित करने जैसे कोई बात नहीं बोली है। सार्वजनिक जगह पर जातिगत प्रताड़ित करने के मामले में ही ST/SC एक्ट लगता है। ऐसे में केवल सोशल मीडिया के मंच से पुलिस ने ये धाराएं लगाईं।
- पुलिस ने FIR में IT एक्ट की धारा 66 लगाई है, जो कि केवल धारा मात्र है। वहीं इंटरनेट या सोशल मीडिया पर कुछ गलत लिखने पर धारा 66 (A) लगती है, जिसे सुप्रीम कोर्ट पहले ही खत्म कर चुकी है। ऐसे में इस IT एक्ट को पुलिस ने कैसे मर्ज किया।
- असलम चौपदार के सोशल मीडिया पर बोलने से मानहानि बनती भी है तो ऐसे मामले में पुलिस को FIR करने का अधिकार नहीं है। ये मामले इस्तगासे से कोर्ट में जाते हैं।
- आनंदपुरी पुलिस ने असलम चौपदार को FIR में लगाई गई धाराओं के आधार पर गिरफ्तार नहीं किया। बल्कि आनंदपुरी ले जाकर शांतिभंग की धारा 151 में गिरफ्तार किया है, जिस इलाके में उसने अशांति फैलाई ही नहीं।
असलम बोला- पुलिस ने किया अपहरण
मामले में उदयपुर शिक्षा विभाग से सस्पेंड शिक्षक असलम चौपदार ने कहा कि पुलिस ने बिना कोई कारण बताए उसे रात 2 बजे तक घासा थाने में बिठाकर रखा। इसके बाद एक कार थाने पहुंची। इसमें दो वर्दी और दो सिविल ड्रेस में पुलिस थी। उन्होंने थाने आकर उसे उठाया। बाद में आनंदपुरी थाने ले गए। वहां जाकर कुछ पूछताछ की और इसके बाद 3 जनवरी की शाम को नायब तहसीलदार के समक्ष पेश किया। जिन लोगों की ओर से ठगी के परिवाद दायर कराए गए हैं। उन लोगों को न तो मैं जानता हूं। न ही वह मेरे से कभी मिले हैं। ऐसी झूठी शिकायत के खिलाफ न्यायालय की शरण ले रहा हूं।
CCTNS से गायब FIR
मंत्री मालवीया की दर्ज FIR के मामले में एक खास बात और सामने आई है। यहां आनंदपुरी थाने में दर्ज FIR सूची में मालवीया की शिकायत गायब है। ये FIR पुलिस ने एक फरवरी को दर्ज की थी, लेकिन रिकॉर्ड में 29 जनवरी के बाद सीधे 2 फरवरी की FIR शो कर रही है।
बांसवाड़ा SP बोले
बांसवाड़ा SP राजेश कुमार मीणा ने कहा कि प्राथमिक सूचना कोई भी हो, पुलिस उसे दर्ज करती ही है। इसके बाद IO उसकी जांच करता है। इस मामले में भी जांच अधिकारी जांच करेगा, जो होगा वह सामने आएगा।
मैं भी बाहर ही था
आनंदपुरी थाना CI दिलीप सिंह ने बताया कि घटना वाले दिन उनके परिवार में किसी की मृत्यु हो गई थी। वह थाने पर नहीं थे। पीछे से तत्कालीन थाना इंचार्ज ने शिकायत दर्ज की थी। पुलिस असलम को लेने के लिए घासा थाने गई थी। कानून व्यवस्था के हिसाब से आरोपी असलम को गिरफ्तार कर पाबंद कराया है। रही बात CCTNS से FIR गायब होने की तो ये काम NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) देखती है। स्थानीय पुलिस किसी FIR को गायब नहीं कर सकती। मामले की जांच DSP रामगोपाल बसवाल कर रहे हैं।
कोई कुछ भी कहता रहे
प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने कहा- मुझे किसी को डराना नहीं है। मैं निर्दोष था। मैंने अपना काम कर दिया। मेरे पास जो जानकारी आई थी। वह पुलिस को दे दी। अब कोई कुछ भी कहता रहे। कहने वाला अपना काम करें। कानून अपना काम करता रहेगा।