बढ़ती आबादी पर काबू पाने के लिए जरूरीनसबंदी अभियान में स्वास्थ्य विभागपिछड़ता नजर आ रहा है। इसकी वजहपुरुषों में भ्रम आैर डर की स्थिति है। हालतयह है कि पिछले साल 6005 महिलाओं नेनसबंदी करवाई, जबकि इनके मुकाबलेमहज 1 पुरुष नसबंदी के लिए राजी हुआ।भास्कर ने जिले में नसबंदी अभियान के 5सालों आंकड़े खंगाले तो पता चला कि 36हजार 331 महिलाओं ने नसबंदी करवाचुकी हैं, जबकि पुरुषों की संख्या महज 97के साथ 100 का आंकड़ा भी पार नहीं करपाई है। आंकड़े साफ बता रहे हैं किनसबंदी कराने में पुरुष दिलचस्पी नहीं लेरहे हैं। इसके पीछे कई कारण है, लेकिनविभागीय अधिकारी इसके पीछे शारीरिकअस्वस्थता का डर, सामाजिक बर्ताव आैरसबसे आखिरी में जानकारी का अभावमान रहे हैं।दरअसल, नसबंदी को लेकर ग्रामीणक्षेत्रों में कई तरह की भ्रांतियां है। इसकी एकवजह यह भी है कि ज्यादातर नसबंदीदिसंबर-जनवरी में हो रही है। इसके पीछेभ्रम है कि नसबंदी से कमजोरी आती है, दर्दहोता है इसलिए ठंड मंे नसबंदी करवाने कासही समय है। आंकड़े भी बताते हैं किजिले में सर्वाधिक दिसंबर में 2656 वजनवरी में 1659 नसबंदी हुई। जबकिसबसे कम मार्च में 71 व मई में महज 80नसबंदी ही हुई। नसबंदी केस पर महिलालाभार्थी को 2000 हजार रुपए, प्रसव केतुरंत बाद या 7 दिन के भीतर कराने पर3000 रुपए, पुरुष नसबंदी पर 3000 रुपएदिए जाते हैं। वहीं, लाभार्थियों को नसबंदीके लिए प्रेरित करने वाले प्रेरक को भीअधिकतम 400 रुपए दिए जाते हैं।
महिला नसबंदी में लक्ष्य पूरा कर रहे, अंतरा में प्रदेश में अव्वल
एडिशनल सीएमएचआे डॉॅ.भरतराम मीणा ने बताया कियह सही है कि नसबंदी करानेमें पुरुष काफी झिझक रखतेहैं। काफी समझाइश के बादभी कई बार तैयार नहीं होते।इसके पीछे कई भ्रांतियां हैं।पुरुष इसे पुरुषत्व खत्म होनेआैर सामाजिक चर्चा में आनेका मामला भी मानते हैं।हालांकि हमने ज्यादा से ज्यादामहिलाओं की नसबंदी केजरिये लक्ष्य हासिल किया है।वहीं, अंतरा स्कीम के तहत भीप्रदेश में लगातार दो साल तकलक्ष्य प्राप्ति में बांसवाड़ा प्रथमस्थान पर रहा है।
साल पुरुष महिला2018-19 37 75642019-20 28 73672020-21 15 76382021-22 06 65182022-23 11 7244
इन भ्रम से नहीं करवाते नसबंदी
{ कमजोरी से खेती नहीं कर पाना।{ पुरुषत्व खत्म हो जाना।{ सामाजिक स्तर पर चर्चा में आना।{ अॉपरेशन में ज्यादा दर्द होना।{ परिवार नियोजन की जानकारी काअभाव।{ सही सलाह देने वालों की कमी।