न्यूक्लियर पावर प्लांट: पेड़ों की संख्या पर विवाद, टनल का काम रुका, पर्यावरण स्वीकृति अटकी
बांसवाड़ा | न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण कार्य पेड़ों की संख्या को लेकर विवाद में फंस गया है। प्लांट प्रबंधन ने पर्यावरण मंत्रालय को 500 पेड़ कटने की रिपोर्ट दी थी, जबकि स्थानीय वन विभाग का दावा है कि 1000 से अधिक पेड़ों की कटाई होगी। इस विवाद के कारण पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) प्रक्रिया रुक गई है।
मुख्य विवाद और कार्यवाही
कटने वाले पेड़ों की संख्या में अंतर:
- प्लांट प्रबंधन ने 500 पेड़ कटने का दावा किया।
- वन विभाग ने शंका जताई कि 1000 से अधिक पेड़ कटेंगे।
वन विभाग की नई कार्रवाई:
- सभी पेड़ों की गिनती और उनकी प्रकृति की जांच के लिए सर्वे शुरू।
- फरवरी तक रिपोर्ट राजस्थान के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (फोरेस्ट) को भेजी जाएगी।
- रिपोर्ट के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय निर्णय लेगा।
जमीन का उपयोग और ग्रीन कॉरीडोर योजना
- कुल भूमि: 602.72 हेक्टेयर।
- वन क्षेत्र: 100.05 हेक्टेयर।
- टनल निर्माण: 27.47 हेक्टेयर में पेड़ों की कटाई होगी।
- ग्रीन कॉरीडोर: शेष 72.58 हेक्टेयर में ग्रीन बेल्ट विकसित होगी।
- काटे गए पेड़ों के बदले 5 से 10 गुना नए पेड़ लगाए जाएंगे।
टनल निर्माण की स्थिति
टनल का निर्माण माही बांध से पानी लेने के लिए होगा। यह टनल 27.47 हेक्टेयर भूमि में बनाई जाएगी। इसके लिए आवश्यक पेड़ों की कटाई के आंकड़े स्पष्ट नहीं होने के कारण काम रुका हुआ है।
अधिकारियों के बयान
किशोर, एक्सईएन, एनपीसीआईएल:
"हमने पर्यावरण स्वीकृति के लिए सभी आवश्यक रिपोर्ट जमा की थी। अब वन विभाग दोबारा सर्वे कर रहा है। हम पर्यावरण मानकों का पूरा पालन करेंगे।"अभिषेक शर्मा, डीसीएफ:
"प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित वन भूमि में कितने पेड़ कटेंगे और कितने लगाने होंगे, इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। यह ग्रीन कॉरीडोर वन विभाग की निगरानी में बनेगा।"
निष्कर्ष
न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण पर्यावरणीय स्वीकृति पर निर्भर है। पेड़ों की संख्या का विवाद सुलझने और ग्रीन बेल्ट विकसित करने की योजना पूरी होने के बाद ही यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ सकेगा।