6 बीडीओ, 3 अकाउंटेंट व 4 एईएन को नोटिस जांच टीम सदस्य एईएन श्याम लाल खुद दोषी
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बांसवाड़ा अरथूना पंचायत समिति की ओर से हैंडपंप गलत तरीके से खोदने और गलत भुगतान करने के मामले में कई और खुलासे हुए हैं। इसमें सामने आया कि 4 सदस्यीय जांच कमेटी में शामिल एईएन श्यामलाल चरपोटा भी थे। वे मूल रूप से जलदाय विभाग में एईएन हैं लेकिन उनके पास अरथूना पंचायत समिति के एईएन का भी अतिरिक्त चार्ज था।
उस दौरान उन्होंने गलत तरीके से 21 हैंडपंप का वैरीफिकेशन और भुगतान किया। इसलिए जांच में उनको भी दोषी माना गया। जांच रिपोर्ट पर इनके हस्ताक्षर भी है। इधर, जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए 6 बीडीओ में राजेश वर्मा, रमेश मीणा, नरेश पंचाल, देशराज विश्नोई, बहादुर ताबियार और रितेश जैन, 3 अकाउंटेंट में निलेश जोशी, मनोज निनामा व भरत मनात और 4 एईएन में महिपाल कटारा, सुखवीर सिंह, श्यामलाल चरपोटा और रामकिशोर जाट को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
मैसर्स चामुंडा बोरवैल एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी गढ़ी, मैसर्स भगवती बोरवैल, निंबाहेड़ा, मैसर्स निधि कंस्ट्रक्शन, नोलियावाड़ा, मैसर्स नमोकार एंटरप्राइजेज,अरथूना और तुषार ट्रेडिंग कंपनी, उदयपुर से ज्यादा भुगतान की गई 64.48 लाख रुपए की वसूली होगी। इनमें से एक फर्म उप प्रधान दर्शना कोठारी की भी है। {कई हैंडपंप ऐसे हैं जिनका जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों की ओर से भी भुगतान की आशंका है। इसलिए इसकी पूरी जांच करवाना जरुरी है। इन बिंदूओं को जांच टीम ने शामिल नहीं किया क्योंकि उनके पास जांच के बिंदू ये नहीं थे। इसलिए इन्होंने पूरक जांच की सिफारिश की है।
{दोषी कर्मचारी-अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है लेकिन स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि उनके खिलाफ पुलिस में मुकदमा होना चाहिए या एसीबी में?
{जो फर्जी बिल बनाए गए या गलत तरीके भुगतान किया गया उन बिल पर पूर्व प्रधान कल्पना कटारा और वर्तमान प्रधान राजू मईड़ा के भी हस्ताक्षर है। सवाल उठता है कि जांच टीम ने इन दोनों को दोषी क्यों नहीं माना? अब देखना यह है कि प्रशासन इस गबन पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
{27 बिल 8 से 10 दिन में ही जारी कर दिए। इसलिए पूरी प्रक्रिया संदेहास्पद है। जिस एरिया को देखकर कहा जा सकता है कि जुलाई व अगस्त में बारिश के दौरान बोरवैल खोदने के लिए गाड़ियां जा ही नहीं सकती वहां पर काम करवाना बता दिया गया।
{ वर्ष 2019 में 16 हैंडपंप का 9.75 लाख रुपए का भुगतान बिना किसी टेंडर के कर दिया गया। इसका जिम्मेदार कर्मचारी-अधिकारियों ने कारण बताया कि वे टेंडर करना ही भूल गए थे।
{वर्ष 2021 में 108 हैंडपंप को बिना किसी वर्क ऑर्डर के ही खुदवा दिया गया। इसके वर्क ऑर्डर सहित कई दस्तावेज जिम्मेदारों ने जांच टीम को उपलब्ध नहीं करवाए।
{सहायक लेखाकार प्रथम और द्वितीय का चार्ज मंत्रालयिक कर्मचारी को देने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद मंत्रालयिक कर्मचारी भरत मनात को सहायक लेखाधिकारी का चार्ज दिया गया। इसकी ओर से अलग-अलग समय 42.48 लाख रुपए का भुगतान किया गया।
{अधिकांश फाइलों में हैंडपंपों के फोटो नहीं लगाए गए। मैसर्स चामुंडा बोरवौल एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से पेश किए गए 21 बिलों में दिनांक ही नहीं है।