बेटियों को मिशनरी स्कूल में पढ़ाने एमपी भेजा, नन बनाने की ट्रेनिंग देने लगे, एडमिशन रिकॉर्ड तक नहीं, तीन छात्राएं डिटेन
- बालिग को घर, नाबालिग को वन स्टॉप सेंटर भेजा
जिले की आदिवासी छात्राओं को गैरकानूनी तरीके से मध्यप्रदेश ले जाकर जबरन धर्मांतरण कराने का मामला सामने आया है। मामला मध्यप्रदेश के झाबुआ से जुड़ा है, जहां के चर्च और कैथोलिक छात्रावास में छात्राओं को नन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इसका खुलासा मध्यप्रदेश में राज्य बाल आयोग की जांच में हुआ, जिसमें बांसवाड़ा जिले की 3 छात्राओं को भी डिटेन किया गया है। इसमें एक बालिग है और दो नाबालिग हैं। झाबुआ बाल कल्याण समिति ने बालिग छात्रा को वन स्टॉप सेंटर में आश्रय दिया है। वहीं, नाबालिग छात्राओं के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। दरअसल, आदिवासी बालिकाओं से छेड़छाड़ से जुड़े एक मामले की जांच के दौरान मध्यप्रदेश महिला बाल आयोग की टीम जांच के लिए कैथोलिक छात्रावास पहुंची थी। वहीं पर बांसवाड़ा की ये छात्राएं मिली।
इन छात्राओं को बगैर रजिस्ट्रेशन के निजी छात्रावास में प्रवेश दिलाकर उन्हें ईसाई मान्यता अनुसार नन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। झाबुआ में जबरन धर्मांतरण कराने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। करीब डेढ़ साल पुराने धर्मांतरण के मामले में हाल ही में कोर्ट ने फादर और पास्टर सहित तीन लोगों को दोषी पाया। दोषियों को दो-दो साल के सश्रम कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई। जबरन और लालच देकर धर्मांतरण का प्रयास करने की शिकायत कल्याणपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव के लोगों ने की थी। इस पूरे मामले में चौंकाने वाला खुलासा तो यह हुआ कि तीनों छात्राएं करीब डेढ़-दो माह से वहां रह रही थी, लेकिन छात्रावास में उनके नाम का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। आयोग ने स्कूल मैनेजमेंट से भी एडमिशन का रिकॉर्ड मांगा तो वहां जुलाई में अस्थायी प्रवेश की जानकारी दी गई। जैन ने बताया कि छात्रावास और स्कूल प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार छात्राएं कब से यहां थी और उन्हें अब तक क्या-क्या ट्रेनिंग दी गई, यह पूरा मामला जांच का विषय है। ^मध्यप्रदेश के झाबुआ में कैथोलिक छात्रावास में बांसवाड़ा की छात्राओं के बारे में जानकारी मिली है।
छात्राएं वहां पढ़ने गई थी, लेकिन मामला कुछ और ही सामने आया है। हमने सोशल इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट मांगी गई है। - दिलीप रोकड़िया, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति बांसवाड़ा करीब एक साल पहले 31 जुलाई 2022 को भी ऐसा ही एक मामला सज्जनगढ़ क्षेत्र की बालिकाओं का सामने आया था। सज्जनगढ़ क्षेत्र की 12 नाबालिग लड़कियों को केरल के कोझीकोड रेलवे स्टेशन पर डिटेन किया गया था। केरल के एर्नाकुलम जिले की एक संस्था में पढ़ने के लिए नाबालिगों को ले जाना बताया गया। लेकिन वह संस्था इन्हें रखने के लिए अधिकृत नहीं मिली थी। इस पर केरल पुलिस ने मानव तस्करी का केस दर्ज कर संस्थान के मैनेजर व दो अन्य को गिरफ्तार किया है। आरपीएफ ने नाबालिग लड़कियों को बाल कल्याण समिति को सुपुर्द किया। जैन ने बताया कि एक लड़की बालिग थी, जिसकी उम्र करीब 18 साल 1 माह होने के कारण उसे पूछताछ के बाद परिजनों को सौंप दिया।
दो नाबालिग छात्राओं के पुनर्वास के लिए बांसवाड़ा बाल कल्याण समिति से दोनों की सोशल रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही दोनों को परिजनों को सौंपने की कार्रवाई की जाएगी। भास्कर ने इस मामले में झाबुआ बाल कल्याण समिति अध्यक्ष प्रदीप जैन से बात की तो उन्होंने बताया कि झाबुआ में स्नेह सदन आदिवासी बालिका छात्रावास कैथोलिक मिशन स्कूल परिसर में बाल आयोग की टीम जांच के लिए पहुंची थी। वहां नन के कमरे में जांच की तो तीन बच्चियां मिली, जिनसे आयोग की महिला सदस्यों ने बातचीत की तो बताया कि उन्हें यहां नन बनने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। छात्राओं को धर्म विशेष की ट्रेनिंग का मामला सामने आया तो आयोग ने परिजनों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि छात्राओं को उन्होंने पढ़ने के लिए भेजा था।