एमजी अस्पताल में 2 साल में बनाना था, ठेकेदार ब्लैक लिस्टेड
बांसवाड़ा एमजी अस्पताल परिसर में 1.50 करोड़ रुपए से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट 4 साल से तैयार किया जा रहा है। अभी तक इसका निर्माण 50 फीसदी ही पूरा हो पाया है। यह निर्माण एनएचएम (सिविल िवंग) की देखरेख में किया जा रहा है। एमजी अस्पताल के मरीजों की बेडशीट, वार्डो के पर्दे और अन्य कपड़ों की धुलाई समेत पेड़-पौधे में पानी का इस्तेमाल करने के लिए इसका निर्माण किया जा रहा है।
एनएचएम (सिविल िवंग) ने वर्ष 2020 में आरके सिंह कंपनी को निर्माण का काम दिया गया था, जो पांच साल में केवल 50 फीसदी ही काम पूरा कर पाया। जबकि इसका निर्माण 2022 में पूरा हो जाना चाहिए। अब विभाग ने ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। लेकिन हालात ऐसे हैं कि अब तक लगी मशीनें उपयोग में लिए बिना ही जंग खा गई है। अब विभाग को किसी दूसरे ठेकेदार की तलाश है। तकरीबन पांच हजार लीटर के संयंत्र में अभी भी कई कल-पूर्जे व मशीनें लगनी बाकी है। एमजी अस्पताल में अधूरा पड़ा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट। ^ तीन महीने पहले कार्यभार संभाला मैं पहले जयपुर में पदस्थापित था। तीन महीने से कार्यभार संभाला है। संयंत्र के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। - संजय गोयल, अधिशासी अभियंता, एनएचएम (सिविल िवंग)
संयंत्र को शुरू करने में देरी हुई है। ठेकेदार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। जल्द इसका दोबारा टेंडर जारी किया जाएगा। मैं एक साल से यहां कार्यरत हूं , इसलिए इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। - राम सिंह कोठारी, सहायक अभियंता, एनएचएम (सिविल िवंग) बांसवाड़ा इस प्रोजेक्ट में एनएचएम (सिविल िवंग) विभाग की जिम्मेदारी थी कि वे जल संयंत्र को शुरू कराकर एमजी अस्पताल को सुपुर्द करे, लेकिन उन्होंने समय पर ठेकेदार को नोटिस भी नहीं दी गई। इसी वजह से संयंत्र के कल-पुर्जे भी खराब स्थिति में है। अब विभाग में अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। एमजी अस्पताल के पीएमओ डॉ. खुशपाल सिंह राठौड़ ने बताया कि टीबी अस्पताल के पास बने जल शोधन संयंत्र के बने पांच साल हो गए हैं। अभी तक अस्पताल को हस्तांतरित नहीं किया है। अस्पताल में शौचालयों के अलावा ऑपरेशन थियेटर व अन्य स्थानों से आने वाले गंदे पानी का निस्तारण होता। इससे संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता। इस गंदे पानी के निस्तारण के लिए अस्पताल परिसर में ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। अभी इसका उपयोग नहीं कर नाले के जरिए अस्पताल से बाहर भेजा जा रहा है।