माही बांध के शाम 4:26 बजे 4, शाम 7:30 बजे 6 और रात 9:30 बजे 16 में से 8 गेट खोले
पड़ताल में सामने आया कि राजस्थान से या यूं कहें कि माही बेसिन एरिया से तीन तरह से पानी गुजरात जा रहा है। पहला- माही बांध से समझौते के तहत 40 टीएमसी गुजरात को दिया जा रहा है। दूसरा- 6200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में जहां हर साल 80 सेंटीमीटर औसत बारिश होती है। जो पूरा पानी गुजरात चला जाता है। तीसरा- राजस्थान में बने 4 बांध माही बांध, जाखम बांध, सोम कमला डैम और जयसमंद बांध का ओवरफ्लो पानी भी गुजरात जाता है।
भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा जिले और मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश के कारण माही बांध लबालब हो गया। मंगलवार शाम 4:26 बजे बांध के 4 गेट, शाम 7:30 बजे 2 और रात साढ़े 9 बजे और दो गेट खोले गए। इसमें 4 गेट 1.5-1.5 और 4 गेट 1-1 मीटर तक खोले हैं। बांध क्षेत्र में हर सेकंड 59589.11 (16,87,563 लीटर) क्यूसेक पानी आ रहा है और 56,221.48 क्यूसेक (15,92,192 लीटर) पानी छोड़ा जा रहा है। गेट खोलने से एक घंटा पहले मंगलवार दोपहर 3 बजे सायरन बजाकर अलर्ट किया। गेट खोलने से पहले माही डैम के ऊपर बने माही माता मंदिर में पूजा की गई। एईएन पीयूष पाटीदार ने बताया कि बांध का जलस्तर 280.45 आरएल मीटर तक पहुंच चुका है। एक्सईएन प्रकाश चंद्र रैगर ने बताया कि इसकी भराव क्षमता 281.50 आरएल मीटर है। जिले में मंगलवार तक 785 एमएम बारिश हो चुकी है। मंगलवार शाम को जिले में मूसलाधार बारिश हुई है। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक बांसवाड़ा शहर, केसरपुरा, सज्जनगढ़ और दानपुर में 2-2, अरथूना में 3, बागीदौरा में 6, शेरगढ़ में 7, सल्लोपाट में 3 और कुशलगढ़ में 5 एमएम बारिश हुई। हालांकि शाम बाद कई इलाकों में तेज बारिश हुई।
माही बांध का पानी माही नदी से गुजरात जाता है। इस पानी को राजस्थान में रोककर प्रदेश के ऐसे भागों में भेजा जा सकता है, जहां पेयजल व सिंचाई के लिए पानी नहीं है। इतना पानी व्यर्थ छोड़ा जा रहा है, जिससे पूरे राजस्थान का सूखा खत्म हो सकता है। एक तरफ सरकार पश्चिमी राजस्थान में समुद्र से पीने का पानी लाने की योजना बना रही है। दूसरी ओर, राज्य का पानी बहकर समुद्र में जा रहा है। राज्य सरकार माही बांध का पानी 10 जिलों को देने का भी प्लान बना र ही है, लेकिन यह देखना गोपीराम अग्रवाल, अध्यक्ष, राजस्थान ट्राइबल एरिया विकास समिति माही बांध वर्ष 1982 से लेकर 2020 तक 40 वर्षों में सिर्फ 12 बार पूरा भरा है। 9 वर्षों में 100-100 टीएमसी से अधिक पानी आया। बांध निर्माण से लेकर अब तक साल 2006 में सबसे ज्यादा 198.4156 टीएमसी पानी छोड़ा गया। अब तक 26 बार गेट खोले गए हैं। जिले में अभी तक मानसून का कोटा पूरा नहीं हुआ है। अभी तक औसत 1000 के मुकाबले 785.50 एमएम बारिश हुई है। जिले में 5 नंबर पर 25-25 मेगावाट, लीलवानी पर 45-45 मेगावाट और घाटोल में 0.4 मेगावाट का छोटा बिजली घर है। इनमें से घाटोल को छोड़ बाकी दोनों बिजली घरों में 26 अगस्त से बिजली बनाई जा रही है।
अब तक 84 लाख यूनिट बिजली बनाई जा चुकी है। घाटोल यूनिट में बिजली उत्पादन शुरू नहीं होने के पीछे तकनीकी वजह है। यहां नहरें टूटी हुई होने से अब तक यहां के लिए पानी नहीं छोड़ा गया है। चाहिए कि यदि गुजरात जा रहा पानी रोककर इसका सदुपयोग किया जा तो यही पानी राजस्थान को हराभरा कर सकता है। अकेला बांध राजस्थान के लिए हरित क्रांति ला सकता है। अनुबंध के अनुसार गुजरात को 40 टीएमसी से कई गुना ज्यादा पानी मिल रहा है। अगर इसे रोक लिया जाए और कैनाल बनाकर उपयोग में लिया जाए तो अकेले बांसवाड़ा जिले में नॉन कमांड की 2.40 लाख हैक्टेयर जमीन में सिंचाई हो सकती है।
10 जिलों में माही का पानी ले जाने की योजना का विस्तार भी किया जा सकता है। साल आवक बांध से छोड़ा 2015 92.168 45.485 2016 135.702 66.366 2017 58.456 13.121 2018 43.517 00 2019 207.670 158.365 2020 86.740 43.127 2021 66.448 20.652 2022 64.40 20.394 2023 137.8 69.83