बांसवाड़ा की बजाय झालावाड़ बना प्रदेश का चेरापूंजी, पिछले साल झालावाड़ में 1130, जिले में 806 एमएम बारिश हुई थी
इस साल 1 जून से 11 जुलाई तक जिले में 152.50, झालावाड़ में 250 एमएम हो चुकी, पिछले साल झालावाड़ में 1130, जिले में 806 एमएम बारिश हुई थी
मानसून वागड़ से नाराज है। इतना नाराज कि बांसवाड़ा नहीं, झालावाड़ राजस्थान का चेरापूंजी बन गया है। इस साल 1 जून से 11 जुलाई तक बांसवाड़ा में 152.50 और झालावाड़ में 250.42 एमएम पानी बरस चुका है। 41 साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें पता चलता है कि साल 1980 से 2013 तक बांसवाड़ा में सबसे ज्यादा औसत 980 एमएम बारिश होती थी। झालावाड़ में ये आंकड़ा 780 से 890 के बीच था। साल 2015 के बाद से मानसून झालावाड़ पर मेहरबान होने लगा। पिछले साल बांसवाड़ा में औसत 806 एमएम बारिश हुई। जबकि झालावाड़ में 1130 एमएम बरसात रिकॉर्ड की गई।
झालावाड़ में 436.67, बांसवाड़ा में 267.61 हैक्टेयर वन क्षेत्र
एक्सपर्ट्स 2 प्रमुख कारण मानते हैं। पहला-झालावाड़ में हरियाली बढ़ी है। दूसरा-खनन कम हुआ है। वन विभाग की 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, झालावाड़ में 436.67 हैक्टेयर वन क्षेत्र है। जबकि बांसवाड़ा में महज 268.61 हैक्टेयर है। खनन के आंकड़े बांसवाड़ा में ज्यादा डरावने हैं। झालावाड़ में 23.50 लाख मैट्रिक टन खनन किया जा रहा है। जबकि बांसवाड़ा में यह 35 लाख मैट्रिक टन है।
शहर में 10 व सज्जनगढ़ में 65 एमएम बारिश
बांसवाड़ा| सोमवार को दिन में उमस रही। दोपहर के बाद मौसम में बदलाव आया। शाम को चिड़ियावासा, अरथूना, सज्जनगढ़ व बांसवाड़ा शहर में एक घंटा बारिश हुई। 24 घंटे में सज्जनगढ़ में 65, दानपुर में 58, कुशलगढ़ में 42, सल्लोपाट में 35, शेरगढ़ में 28, बागीदौरा में 11, बांसवाड़ा शहर में 10 एमएम बारिश दर्ज की गई। उड़ीसा के ऊपर एक लो प्रेशर सिस्टम बना हुआ है। मानसून की टर्फ लाइन इसी लो प्रेशर एरिया से होकर होकर गुजर रही है। इस कारण अच्छी बारिश होने के संभावना है।
वनों के नुकसान से हवा का रुख बदला है : डाॅ. शांतनु
हवा का रुख बदला है। वनों को काफी नुकसान पहुंचा है। पहले चेरापूंजी में ज्यादा बारिश थी, वह शिफ्ट होकर मौसिराम की तरफ चला गया। चेरापूंजी में 10 हजार मिमी बारिश होती है, वहां अब 3 महीने में बारिश होकर खत्म हो जाती है। फिर सूखा पड़ता है। - डॉ. शांतनु कुमार, प्रमुख वैज्ञानिक, हैदराबाद
पहाड़ों की कटाई ने मानसून बदल दिया : सुभाषचंद्र
पहाड़ों की कटाई ने मानसून का चक्र बदल दिया है। अभी जो ट्रेंड चल रहे हैं उसमें जो मध्यप्रदेश से जुड़े हुए जिलों में सबसे ज्यादा बारिश हो रही है। जैसे पहले बाड़मेर, जैसलमेर में बारिश नहीं होती थी, अब हो रही है। वहां भी इंदिरा गांधी नहर के साथ हरियाली भी बढ़ी है। -सुभाष चंद्र, वैज्ञानिक, जयपुर
शहर में शाम को साढ़े 6 बजे मूसलाधार बारिश हुई।
साल 2007 से 2021 तक औसत बारिश हर साल घटी
साल बांसवाड़ा झालावाड़
2007 1429.7 697.62
2008 449.8 705.95
2009 713.5 739.13
2010 537.4 617.33
2011 974.0 1219.12
2012 1073.8 763.44
2013 1053.5 1473.83
2014 629.0 889.63
2015 665.5 1102.0
2016 1020.0 1112.1
2017 892.1 799.0
2018 832.1 913.0
2019 1223.7 1721.9
2020 1036.4 792.0
2021 806.4 1130.3