400 साल पुरानी परंपरा, एक-दूसरे पर फेंकी जलती लकड़ियां, एक भी घायल नहीं

- बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण इस बार गांवों में केवल औपचारिक रस्म अदायगी की
कस्बे में साेमवार काे धुलंडी पर पाेस्ट चाैराहे पर जलती लकड़ियाें से राड़ खेली गई। यहां पाटीदार समाज दो पक्षों के बीच राड़ खेलने की परंपरा 400 साल से चली आ रही है। एक दूसरे पक्ष पर जलती लकड़ियां फेंकते हैं, इसमें कई लोग घायल होते हैं। राड़ के बाद होली चौक पर ढूंढोत्सव का आयोजन होता है।
इस साल होली के दूसरे दिन सोमवार को दो पक्षों में जलती लकड़ियों से राड़ खेली। कोरोना के कारण इस साल महज औपचारिकता से राड़ खेली गई। इस राड़ में कोई घायल नहीं हुआ। इसके अलावा जैन समाज द्वारा जैन मंदिर परिसर, बुनकर समाज द्वारा रामनगर में, गांधी बस्ती में तिरगर समाज, यादव समाज, बांसफोड़ समाज ने होली के तहत ढूंढोत्सव की परंपरा निभाई। ग्रामीणों की इसके पीछे मान्यता है कि होलीका की जलती लकड़ी से राड़ खेलने पर गांव में प्राकृतिक आपदा नहीं आती है और अनहोनी नहीं होती है।