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जंगलों में हो रहा इंसानों का कब्जा, लोग कर रहे जमीन का हकपत्र पाने के लिए दावे

Banswara
जंगलों में हो रहा इंसानों का कब्जा, लोग कर रहे जमीन का हकपत्र पाने के लिए दावे
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प्रियंक भट्ट | बांसवाड़ा

प्रदेश के जंगलों में अब धीरे-धीरे इंसान काबिज हो रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से बाकायदा दावे तक मांगे जा रहे हैं। यही नहीं, वन भूमि में सामुदायिक हक पत्रों के प्रति कम रुझान को देखते हुए मार्च से अभियान भी शुरू किया गया है, जिसके तहत पंचायतों में शिविर लगाकर प्रस्ताव मांगे जा रहे है। प्रदेश में अब तक 591 ही सामुदायिक अधिकार पत्र जारी हुए हैं। दूसरी ओर व्यक्तिगत हकपत्रों की संख्या 48 हजार के पार पहुंच चुकी है। दैनिक भास्कर ने सरकार की ओर से जारी किए गए वन हक पत्रों के लाभार्थी और वनभूमि का विश्लेषण किया तो बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। प्रदेश में 48 हजार 489 लोगों के दावों को सही मानते हुए व्यक्तिगत हक पत्र जारी किए गए हैं। यह संख्या प्रदेश के जंगलों में रहने वाले हमारे राज्य पशु चिंकारा (41412 ) से भी ज्यादा हैं। इन हकपत्रों का कुल बन क्षेत्रफल 27651 हेक्टेयर है। वहीं सामुदायिक अधिकार पत्रों को कुल वनभूमि 20963.4 हेक्टेयर हो रही है। इस प्रकार प्रदेश के जंगलों में अब तक 46 हजार 164 हेक्टेयर में वनहक पत्र जारी किए जा चुके हैं। यह इलाका चूरू के पूरे वनक्षेत्र से 6 गुना और 9 जिलों के जंगलों से भी बड़ा है। यह इतना बड़ा जंगल है कि दुनिया का सबसे छोटे देश सीलैंड (क्षेत्रफल 250 मीटर ) जैसे कई देश इसमें समा जाए।

जारी हकपत्रों का क्षेत्रफल इतना बड़ा कि दुनिया का सबसे छोटे देश सीलैंड (क्षेत्रफल 250 मीटर) जैसे कई देश इसमें समा जाए

62 हजार 221 दावे झूठे निकले, हकपत्र को लेकर लोगों में भ्रम भी
वनहक पत्रों को लेकर प्राप्त दावों की जांच में 62 हजार 221 दावे झूठे पाए गए हैं। यह भी देखने में आया है कि वनहक पत्रों को लेकर ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति भी है। लोगों को ऐसा लगता है कि हकपत्र मिलने पर वन भूमि उनकी हो जाएगी और वह अपनी मर्जी से इस्तेमाल कर सकेंगे। यही वजह है कि जांच में ऐसे दावे भी सामने आए जिनमें पति सरकारी कर्मचारी है लेकिन पत्नी के नाम से हकपत्र का दावा पेश किया गया। खातेदारी जमीन होने के बावजूद भी आवेदन किया गया।

राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का महज 7.42% वनक्षेत्र, 61.11% मरुस्थल
क्षेत्रफल के लिह्मज से राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन यहां थार का रेगिस्तान भी है। प्रदेश के उहादून मे का 61.11% भाग मरुस्थल से घिरा है। देहरादून में स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग द्वारा जारी 2021 की रिपोर्ट में प्रदेश का वन आवरण 25387,96 वर्ग किमी मीटर है जो प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का महज 7.42 फीसदी है। ऐसे में जंगलों में बन हकपत्र पाने की होड़ में कब्जे की कोशिशें भी चिंता का विषय है।

वनाधिकार कानून में तीन प्रकार से दिए जा रहे हक पत्र, सामुदायिक हकपत्र  पर जोर
वनाधिकार कानून के तहत तीन प्रकार से हक पत्र दिए जाते हैं। इसके तहत धारा 3(1) क के तहत व्यक्तिगत हक, जिसमें वहां निवास करने वालों को जीविकोपार्जन के लिए जमीन का हक पत्र दिया जाता है। वहीं धारा 3(1) ख के तहत जंगल में निवासरत लोगों के समूह के लिए सामुदायिक अधिकार पत्र जारी किए जाते हैं। तीसरे प्रकार के तहत धारा 3(2) के तहत सामुदायिक संरचना के लिए हकपत्र दिए जाते हैं, जिसमें स्कूल, अस्पताल, आंगनबाड़ी, सामुदायिक भवन आदि के लिए अधिकतम एक हेक्टेयर के लिए हक पत्र जारी किया जाता है।

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