फर्जीवाड़े का खुलासा:मां-बाड़ी केंद्रों पर 63.78 लाख रुपए में स्टेशनरी खरीदी, भास्कर ने सौदा 42.28 लाख में किया

जिले के 749 मां-बाड़ी केंद्रों पर 21 तरह की पाठ्य सामग्री (स्टेशनरी) खरीदने में 21.50 लाख के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। जिन दरों पर स्वच्छ परियोजना ने सहकारी उपभोक्ता भंडार से सामग्री खरीदी उतनी ही मात्रा और उसी क्वालिटी की सामग्री मार्केट में इनसे बहुत कम रेट पर उपलब्ध है। कहने के लिए स्वच्छ परियोजना ने उपभोक्ता भंडार से और भंडार ने भंडार के ही स्टेशनरी बुक स्टोर से सामग्री खरीदी।
हालांकि भास्कर पड़ताल में सामने आया कि भंडार ने अपने बुक स्टोर से सामग्री नहीं खरीदकर मार्केट में अलग-अलग दुकानाें से खरीदी। भंडार ने हर केंद्र पर 8517 रु. (बिना जीएसटी) के हिसाब से 63 लाख 78 हजार 813 की सामग्री (बिना जीएसटी) खरीदी। उन्हीं दुकानों से उसी क्वालिटी और उतनी ही मात्रा में सामग्री खरीदने के लिए भास्कर ने सौदा किया तो दुकानदारों ने इनकी रेट 21 लाख 50 हजार 648 रु. कम बताई।
दुकानदार यह सामग्री 42 लाख 28 हजार 164 रु. में देने के लिए तैयार हाे गए। भंडार ने एक केंद्र पर 8517 रु. की सामग्री खरीदना बताया। यही सामग्री भास्कर काे 5645 रु. में मिल रही है। सामग्री के पेज, क्वालिटी और प्रिंटिंग में काेई अंतर नहीं हाे इसके लिए भास्कर टीम ने पहले मां-बाड़ी केंद्रों से 21 सामग्री के एक-एक सैंपल लिए और उनको ही दुकानदारों काे बताकर उतनी ही मात्रा और उसी क्वालिटी की सामग्री खरीदने के लिए उनसे रेट ली। वहीं, स्वच्छ परियोजना ने 1 ग्रीन बोर्ड की रेट 915 रु. बताई, जबकि यही बोर्ड 720 रु. में मिल रहा। ऐसे में 1.46 लाख ज्यादा लगे।
सरकारी खरीद और भास्कर के सौदे में किस सामग्री की रेट में कितना अंतर

ऐसे गड़बड़ी - कमेटी ने एक-एक सामग्री की दरें तय कीं, थाेक में खरीदने पर थाेक रेट लगानी थी, लेकिन रिटेल की रेट ही लगाई
सूत्राें के अनुसार स्वच्छ परियोजना की ओर से खरीदी गई सामग्री की दरें कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी तय करती है। कमेटी की ओर से हर सामग्री की एक-एक संख्या में दरें तय की जाती है। थाेक यानी बड़ी संख्या में एक साथ काेई सामग्री खरीदने पर दरें कम हाेनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
मार्केट में 1 सिंगल पेंसिल करीब 4 रुपए की मिलती है लेकिन करीब सवा दाे लाख पेंसिल खरीदने पर भी पेंसिल करीब 4 रुपए में ही खरीदी गई। इसी तरह की गड़बड़ी 21 सामग्री की दराें में भी की गई। इसके पीछे जिम्मेदारों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि सामग्री एक-एक केंद्र के हिसाब से सप्लाई की गई।

"उसी रेट से सामग्री खरीदी है, जाे कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने तय की। ये दुकानदारों की अापस की लड़ाइयां हैं।"
-याेगेंद्र सिंह सिसोदिया, महाप्रबंधक, भंडार
"यह मैं नहीं बता सकता क्याेंकि मेरे कार्यकाल में खरीदारी नहीं हुई। जहां तक मुझे जानकारी है सामग्री उपभोक्ता भंडार से मंगवाई गई थी।" -संजय डामाेर, परियोजना अधिकारी, स्वच्छ परियोजना
