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कमल की आतकृति में बना है द्वारिकाधीश का मंडप, 64 योगनियां और 52 भैरव बनाते हैं सुदर्शन स्वरूप

Banswara
कमल की आतकृति में बना है द्वारिकाधीश का मंडप, 64 योगनियां और 52 भैरव बनाते हैं सुदर्शन स्वरूप
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बांसवाड़ा/तलवाड़ा कनिष्ककाल में निर्मित तलवाड़ा का द्वारिकाधीश मंदिर, जो अपनी शैली का एकमात्र मंदिर हैं। मंदिर का गर्भगह 8 गुणा 8 फीट आकार का है और यहां श्रीकृष्ण राजा रूप के साथ महारानी रुक्मिणी के साथ बिराजित हैं। यहां प्रतिमाएं काले चमकदार पत्थर से निर्मित हैं। खास बात यह है कि मंदिर का मंडप कमल की आकृति में बनाया गया है। जहां मंडप के नीचे गरुढ़ की प्रतिमा बनाई गई है। मंडप के एक भाग शेष नाग और भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की प्रतिमाएं हैं। उसके 4 ओर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है। आचार्य निकुंज मोहन पंड्या ने बताया कि मंदिर का मंडप 16 गुणा 16 फीट आकार का है, यहां खंभों पर 52 भैरव व 64 योगनियां की मूर्ति है। जिन्हें ब्रह्मांड की नायिकाओं के रूप में जाना जाता है। यह जिस तरह से निर्मित किया है, उसे सुदर्शन स्वरूप कहा जाता है। मंदिर के पुजारी शांतिलाल शर्मा ने बताया कि मंदिर में बाहर से, मंडप में खड़े होकर और निज मंदिर में प्रवेश कर तीन भावों से लोग दर्शन करने आते हैं। आचार्य निकुंज मोहन पंड्या ने बताया कि मंदिर के मंडप पर श्रीकृष्ण की लीलाओं, समुद्र मंथन, देवासुर संग्राम का चित्रण है। बाहरी भाग में तीन स्थानों पर विष्णु, महेश और ब्रह्मा की मूर्तियां स्थापित हैं। द्वारिकाधीश मंदिर को बाहर से देखने पर ऊपर दो स्थानों पर एक जैसी मूर्तियों के समूह हैं, जो नृत्य कला के निपुण गंधवों और अप्सराओं की हैं।  मंदिर के बाहर सीढ़ियां चढ़ते ही दोनों ओर अतिप्राचीन दो छोटे मंदिर हैं, जो लगभग अपना अस्तित्व खो चुके हैं। जिनमें खंडित देव प्रतिमाएं हैं और एक मूर्ति अलग से मंदिर के बाहर रखी है, जो खंडित है और उस पर प्राचीन प्राकृत भाषा में कुछ लिखा हुआ है। मंदिर के दाहिने भाग में एक मंदिर का भाग पूरी तरह से खंडित नजर आता है।

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