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पादरड़ी बड़ी के धर्मेन्द्र व्यास ने रेस्क्यू किया दुर्लभ नागराज (आंशिक एल्बीनो कोबरा)

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पादरड़ी बड़ी के धर्मेन्द्र व्यास ने रेस्क्यू किया दुर्लभ नागराज (आंशिक एल्बीनो कोबरा)
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पादरड़ी बड़ी के धर्मेन्द्र व्यास ने रेस्क्यू किया दुर्लभ नागराज
आंशिक एल्बीनो कोबरा को पहली बार देख चकिए हुए

बांसवाड़ा, 13 अगस्त/वागड़ अंचल के पिछले दस वर्षों में हजारों सांपों को जीवनदान दे चुके ख्यातनाम सर्पविशेषज्ञ व रेस्क्यूअर धर्मेन्द्र व्यास ने गुरुवार को दुर्लभ नागराज (कोबरा) को रेस्क्यू किया है। व्यास के अनुसार पिछले दस वर्षों में पहली बार उन्होंने आंशिक एल्बीनो कोबरा को रेस्क्यू करने का मौका मिला है।

एक निजी विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत व्यास ने बताया कि एक रेसक्युअर के रूप में उन्होंने पिछले करीब 10 वर्षों की अवधि में 1 हजार से ज्यादा साँप रेस्क्यू कर चुके है। इनके द्वारा रेस्क्यू किये गये साँपों में से 60 प्रतिशत सिर्फ कोबरा हैं। उन्होंने बताया कि दुर्लभ आंशिक एल्बीनो कोबरा को उन्होंने पहली बार पादरड़ी बड़ी गांव से ही रेस्क्यू किया है। एल्बीनो एक तरह की बीमारी होती है जिसमें किसी भी जीव का रंग सफेद हो जाता है, जिस तरह से मनुष्यों में सफेद दाग वाले मनुष्य सूरजमुखी कहे जाते हैं।  
 

कई उपलब्धियां है व्यास के खाते में:
इसके साथ ही उन्होंने कई मॉनिटर लिजॉर्ड्स, मगरमच्छ, सीवेट, अजगर के साथ अन्य वन्यजीवों को भी रेस्क्यू करने में अपनी भूमिका निभाई है। व्यास की सबसे बड़ी उपलब्धि लेथ्स सेंड बोआ प्रजाति के साँप को उदयपुर संभाग में पहली बार ट्रेस करना था। वे सांपों को जीवित बचाकर जंगल और पानी में छोड़कर वन्य जीव प्रेमी का उदाहरण भी पेश कर चुके हैं। व्यास बताते हैं कि रेप्टेलियन यानि रेंगने वाले विषैले सांप को काबू में करने और सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ देते हैं। वागड़, मेवाड़ दक्षिणी गुजरात क्षेत्र में 17 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। इनमें से मात्र 4 विषैली प्रजाति (कोबरा, करैत, वाइपर आदि है।)

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