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526 हैंडपंप से निकला भ्रष्टाचार:5 बोरवेल कंपनियों को 64.48 लाख का ज्यादा भुगतान, 9 का बिना खोदे, 12 का दो बार, 6 बीडीओ, 3 अकाउंटेंट, 4 एईएन दोषी

Banswara
526 हैंडपंप से निकला भ्रष्टाचार:5 बोरवेल कंपनियों को 64.48 लाख का ज्यादा भुगतान, 9 का बिना खोदे, 12 का दो बार, 6 बीडीओ, 3 अकाउंटेंट, 4 एईएन दोषी
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आपने बिहार का चारा घोटाला सुना होगा। वहां गायों को चारा पहुंचाया ही नहीं और बता दिया गया कि गायों ने कई ट्रक चारा खा लिया। इसी तरह जिले की अरथूना पंचायत समिति में हैंडपंप घोटाला हुआ है। वर्ष 2019 से 2023 तक पंचायत समिति की ओर से खुदवाए गए 526 हैंडपंप की जांच में 64.48 लाख रुपए का भ्रष्टाचार निकला।

पांच साल की समयावधि में 6 बीडीओ, 3 अकाउंटेंट, 4 एईएन ने मिलकर 5 बोरवेल कंपनियों को 64.48 लाख रुपए का ज्यादा भुगतान किया। 9 हैंडपंप खोदे ही नहीं लेकिन उनका भुगतान कर दिया गया। 12 हैंडपंप का दो बार भुगतान किया गया। यह पूरी राशि जांच कमेटी ने वसूली योग्य मानी है। इन सभी के बावजूद जांच कमेटी ने इस समयावधि में प्रधान रही कल्पना कटारा और वर्तमान प्रधान राजू मईड़ा के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया है।

जांच कमेटी ने 64.48 लाख रुपए की वसूली 5 बोरवेल कंपनियों से करने की सिफारिश की है। 6 बीडीओ, 3 अकाउंटेंड और 4 एईएन को स्पष्ट रूप से दोषी माना है लेकिन इनसे वसूली की सिफारिश नहीं की है। कमेटी ने इन 13 कर्मचारी-अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की सिफारिश की है। यह जांच वर्ष 2023 तक खोदे गए हैंडपंपों की है। वर्ष 2024 व 2025 में खोदे गए हैंडपंपों की जांच होना बाकी है।

उप प्रधान व उनके करीबी की फर्मों को भुगतान किया, पूर्व प्रधान कटारा और वर्तमान प्रधान मईड़ा का जिक्र नहीं

  • जांच रिपोर्ट में लिखा है कि वर्ष 2018-19 और 2019-20 में अनियमित तरीके से खोदे गए हैंडपंप के बारे में विधायक कैलाश मीणा ने विधानसभा में मुद्दा भी उठाया था लेकिन उप प्रधान पति कल्पित कोठारी ने अपने रसूखात का उपयोग करके इतने बड़े घोटाले को रफादफा करवा दिया। पंचायत समिति स्तर से हुए भुगतान और स्वीकृत हैंडपंपों की जांच ही नहीं करने दी। नियमों को ताक में रखकर वर्तमान उप प्रधान दर्शना कोठारी और उनके करीबी की फर्मों को भुगतान करके भारी वित्तीय अनियमितताएं की गई।
  • अधिकांश हैंडपंप पर उनके नंबर, जानकारी और विभाग का नाम नहीं लिखा हुआ है। जांच कमेटी ने संदेह जताया कि इन हैंडपंपों का ग्राम पंचायतों की ओर से भी भुगतान किया हो सकता है। इसलिए कमेटी ने सिफारिश की है कि अलग-अलग ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति की ओर से किए गए भुगतान की क्रॉस जांच होनी चाहिए। आशंका है कि कई ऐसे हैंडपंप ऐसे हैं जिनका ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति दोनों की ओर से भुगतान किया गया है।
  • पंचायत समिति की एक-एक ग्राम पंचायत में औसत 200-200 हैंडपंप हैं फिर भी बजट नहीं होने के बावजूद और हैंडपंप खोदे गए। इसके बाद इनका अनियमित तरीके से भुगतान किया गया। कई बार बिना टेंडर हैंडपंप खुदवाए और उनका भुगतान किया गया। कई बार रिकॉर्ड में भुगतान बताया गया लेकिन उनके वर्कऑर्डर की कॉपियां ही नहीं मिली।
  • पंचायत समिति के रिकॉर्ड के अनुसार एसएफसी मद में 1 करोड़ 34 लाख 91 हजार 580 रुपए का ही बजट था लेकिन अफसरों ने 3 करोड़ 45 लाख रुपए की स्वीकृतियां जारी कर दी। यह उपलब्ध बजट से 2.10 करोड़ ज्यादा थे। एक साथ इतनी स्वीकृतियां निकालने से केवल हैंडपंप का ही काम हुआ। बाकी काम नहीं हुए। ये सब हैंडपंप खोदने के लिए प्री-प्लान किया।

टेंडर में क्या शर्तें थी और मौके पर क्या किया गया

  • गहराई- 220 फीट खोदने थे, 100 से 130 फीट ही खोदे।
  • सेट- हैंडपंप सेट आईएसआई के लगाने थे, बिना आईएसआई के लगाए।
  • जीआई पाइप- 130 फीट लगाने थे, लगाए 70 से 80 फीट ही।
  • केसिंग पाइप- एमएस के 20 फीट लगाने थे, लगा दिए प्लास्टिक के।

ये कर्मचारी, अधिकारी व बोरवेल कंपनियां दोषी

  • 6 बीडीओ- राजेश वर्मा, रमेश मीणा, नरेश पंचाल, देशराज विश्नोई, बहादुर ताबियार और रितेश जैन।
  • 3 अकाउंटेंट- निलेश जोशी और मनोज निनामा। भरत मनात जो बाबू था लेकिन उसे नियम विरुद्ध अकाउंटेंट का चार्ज दे दिया
  • 4 एईएन- महिपाल कटारा, सुखवीर सिंह, श्यामलाल चरपोटा और रामकिशोर जाट।
  • 5 बोरवेल कंपनियां- मैसर्स चामुंडा बोरवेल एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी- गढ़ी, मैसर्स भगवती बोरवैल-पुरानी हाउसिंग बोर्ड, निंबाहेड़ा-चित्तौड़गढ़, मैसर्स निधि कंस्ट्रक्शन नोलियावाड़ा, अगरपुरा, मैसर्स नमोकार एंटरप्राइजेज अरथूना और तुषार ट्रेडिंग कंपनी उदयपुर।

"पंचायत हैंडपंप खुदाई और भुगतान में कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। जांच रिपोर्ट मिल चुकी है। इसके अनुसार अब आगे की कार्रवाई कर रहे हैं।" - गोपाललाल स्वर्णकार, सीईओ, जिला परिषद

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